
गोण्डा, 27 जनवरी। जिलाधिकारी नेहा शर्मा के नेतृत्व में गोण्डा प्रशासन ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए सरकारी दस्तावेजों में कूटरचना और भूमाफियाओं द्वारा संगठित धोखाधड़ी का खुलासा किया है। इस मामले में जिलाधिकारी ने दोषियों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यह मामला मोतीगंज थाना क्षेत्र के ग्राम डड़वा दसवतिया से जुड़ा है, जहां पैतृक भूमि पर कब्जे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैनामा कराने का प्रयास किया गया। जिलाधिकारी ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए प्रशासनिक सख्ती का एक ठोस उदाहरण पेश किया है।
शिकायत से कार्रवाई तक: डीएम की त्वरित कार्यवाही
यह मामला तब प्रकाश में आया जब 4 जनवरी 2025 को समाधान दिवस के अवसर पर ग्राम डड़वा दसवतिया के निवासी पवन कुमार सिंह ने जिलाधिकारी के समक्ष शिकायती प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पैतृक भूमि, गाटा संख्या-196 मि0 (1.914 हेक्टेयर), को भूमाफियाओं ने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से हड़पने का प्रयास किया है।
पवन कुमार सिंह ने कहा कि वर्ष 1979 के जिल्द संख्या-904 के विलेख संख्या-163 को कूटरचना के माध्यम से छेड़ा गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उप निबंधक कार्यालय के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से असली पन्नों को हटाकर उनके स्थान पर जाली दस्तावेज लगाए गए। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 2019 में अजय सिंह और अशोक कुमार सिंह ने भूमि का बैनामा करवा लिया।
जांच से साजिश का पर्दाफाश
शिकायत की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने मामले की जांच के आदेश दिए। मुख्य राजस्व अधिकारी द्वारा की गई गहन जांच में यह पुष्टि हुई कि विलेख संख्या-163 में कूटरचना की गई थी। जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि 1979 के मूल दस्तावेजों को छेड़छाड़ कर बदला गया और उनके स्थान पर मानक से भिन्न, कूटरचित दस्तावेज लगाए गए।
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि दस्तावेजों के बीच स्पष्ट असमानता थी। यह दर्शाता है कि सरकारी प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए इन फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया गया। यह कूटरचना संगठित और योजनाबद्ध तरीके से की गई थी, जिसमें सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत का भी शक जाहिर किया गया।
डीएम ने दिए सख्त आदेश: दोषियों पर दर्ज हुई एफआईआर
जांच रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने दोषियों के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने राजस्व विभाग और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस मामले में सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। डीएम ने कहा, “सरकारी दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ और धोखाधड़ी गंभीर अपराध है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।”
जिलाधिकारी का भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने इस मामले को उदाहरण के रूप में पेश करते हुए स्पष्ट किया कि गोण्डा प्रशासन भ्रष्टाचार और भूमाफियाओं के खिलाफ सख्त है। उन्होंने कहा कि प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि इस प्रकार की घटनाएं दोबारा न हों।
डीएम ने यह भी निर्देश दिए कि सरकारी अभिलेखों की निगरानी और सुरक्षा के लिए एक मजबूत प्रणाली विकसित की जाए। साथ ही, सभी सरकारी दस्तावेजों को डिजिटल स्वरूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया तेज की जाए। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिया कि नियमित अंतराल पर दस्तावेजों की जांच की जाए, ताकि फर्जीवाड़े की संभावनाओं को खत्म किया जा सके।
भूमाफियाओं की साजिश: एक विस्तृत पड़ताल
जांच रिपोर्ट से यह भी खुलासा हुआ कि यह मामला केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं था, बल्कि यह संगठित गिरोह द्वारा अंजाम दिया गया था। भूमाफियाओं ने सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से न केवल दस्तावेजों में छेड़छाड़ की, बल्कि जाली दस्तावेजों के माध्यम से भूमि का हस्तांतरण भी करवाया।
- फर्जी दस्तावेज तैयार करना: मूल दस्तावेजों को छेड़कर फर्जी दस्तावेज लगाए गए।
- दस्तावेजों का हस्तांतरण: 2019 में इन दस्तावेजों के आधार पर भूमि का बैनामा किया गया।
- अधिकारियों की मिलीभगत: जांच में उप निबंधक कार्यालय के कुछ कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई।
प्रशासन की कार्रवाई: भरोसे का संदेश
इस कार्रवाई के बाद गोण्डा प्रशासन ने जनता के बीच यह संदेश देने की कोशिश की है कि भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामलों में प्रशासन सख्त है। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि पीड़ित को न्याय मिले और दोषियों को उनके अपराध की सजा मिले।
इस कार्रवाई ने न केवल पवन कुमार सिंह जैसे पीड़ितों को राहत दी है, बल्कि यह भी दिखाया है कि प्रशासन भ्रष्टाचार के खिलाफ कितना संवेदनशील और सतर्क है।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा: ईमानदार प्रशासन का प्रतीक
जिलाधिकारी नेहा शर्मा की इस कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि वे प्रशासनिक सख्ती और पारदर्शिता के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उनका यह कदम उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो सरकारी अभिलेखों और प्रक्रियाओं का दुरुपयोग करने की कोशिश करते हैं।
इस मामले में उनकी सख्ती ने गोण्डा प्रशासन को नई पहचान दी है। भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के खिलाफ उनकी यह लड़ाई जनता के विश्वास को और मजबूत करती है।
भविष्य की रणनीति: भ्रष्टाचार पर रोकथाम के उपाय
डीएम नेहा शर्मा ने इस मामले के बाद भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए कई कदम उठाने का आदेश दिया। इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
1. सरकारी दस्तावेजों का डिजिटलीकरण: सभी दस्तावेजों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने की प्रक्रिया तेज की जाएगी।
2. निगरानी प्रणाली: नियमित निरीक्षण और निगरानी के लिए एक अलग टीम बनाई जाएगी।
3. अभिलेखों की सुरक्षा: दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
4. कड़ी सजा: दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई और कठोर सजा सुनिश्चित की जाएगी।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा की गई यह कार्रवाई न केवल गोण्डा में बल्कि पूरे प्रदेश में एक मिसाल बन गई है। यह मामला दिखाता है कि जब प्रशासन निष्पक्ष और सख्त होता है, तो किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है।
इस कार्रवाई से जनता में प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है। यह उन लोगों के लिए भी चेतावनी है जो सरकारी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग कर समाज और कानून का मजाक बनाते हैं। जिलाधिकारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासन भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामलों में जीरो टॉलरेंस नीति अपनाएगा।