
सोशल मीडिया की सूचना पर त्वरित कार्रवाई, जिला प्रशासन ने कड़ी चेतावनी दी
गोंडा, 09 जनवरी। गोंडा जिले के धानेपुर क्षेत्र में अवैध खनन के मामले ने एक बार फिर प्रशासन और जनता का ध्यान आकर्षित किया है। बुधवार देर रात सोशल मीडिया पर वायरल हुई सूचना के आधार पर जिलाधिकारी नेहा शर्मा के निर्देश पर तहसीलदार सदर देवेन्द्र यादव के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम ने धानेपुर क्षेत्र के कालीकुंड इलाके में स्थित स्टेट बैंक के पास छापेमारी की।
सूचना के अनुसार ग्राम धानेपुर के गाटा संख्या 1280 पर अवैध रूप से मिट्टी का खनन किया जा रहा था। प्रशासनिक टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की और पाया कि बिना किसी सक्षम स्तर की अनुमति के यह खनन कार्य किया जा रहा था। छापेमारी के दौरान खनन स्थल पर 84 घन मीटर मिट्टी का अवैध खनन हो चुका था। हालांकि, अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही आरोपित खननकर्ता अपने उपकरणों और अन्य सामग्रियों सहित फरार हो गए। जिला प्रशासन को यह सूचना सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई। प्रशासनिक अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई का निर्णय लिया। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने टीम को निर्देश दिए कि मौके पर जाकर जांच करें और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करें।
तहसीलदार सदर देवेन्द्र यादव के नेतृत्व में राजस्व निरीक्षक, क्षेत्रीय लेखपाल और अन्य अधिकारियों की एक टीम गठित की गई। टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।
तहसीलदार ने बताया कि छानबीन के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि खनन कार्य किसी भी प्रकार की वैध अनुमति के बिना हो रहा था। मिट्टी के खनन के लिए सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया और अनुमति का पालन नहीं किया गया था। टीम ने तत्काल खनन स्थल को सील कर दिया और घटना की रिपोर्ट तैयार कर अपर जिलाधिकारी को भेज दी।
प्रशासनिक टीम के अनुसार, छापेमारी के दौरान खननकर्ता भागने में सफल रहे। हालांकि, उनकी पहचान कर ली गई है, और उन्हें पकड़ने के लिए जिला प्रशासन ने प्रयास तेज कर दिए हैं।
तहसीलदार ने कहा, “हमने खननकर्ताओं के खिलाफ विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। उनकी पहचान कर ली गई है, और जल्द ही उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अवैध खनन के इस मामले में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।”
अवैध खनन से राजस्व को नुकसान पहुंचता है और पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिलाधिकारी ने इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि अवैध खनन में लिप्त पाए जाने वालों के खिलाफ न केवल जुर्माना लगाया जाएगा, बल्कि कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
प्रशासन ने धानेपुर क्षेत्र और अन्य संवेदनशील इलाकों में निगरानी बढ़ाने का निर्णय लिया है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि खनन गतिविधियों पर नियमित रूप से नजर रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत उच्चाधिकारियों को दें।
जिलाधिकारी ने आम जनता से अपील की है कि वे अवैध खनन की सूचना देने में प्रशासन का सहयोग करें। सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से मिल रही सूचनाओं ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की है।
प्रशासन ने अवैध खनन को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का आश्वासन दिया है। यह न केवल जिले के राजस्व को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी जरूरी है।
अवैध खनन से न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान होता है, बल्कि यह पर्यावरण और समाज पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। खनन गतिविधियों से भूमि की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इससे जलस्रोतों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, क्योंकि खनन के दौरान जल स्रोत दूषित हो सकते हैं। खनन गतिविधियों के कारण धूल और अन्य प्रदूषण फैलता है, जिससे स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। अवैध खनन से सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान होता है। साथ ही, यह अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देता है।
प्रशासन ने अवैध खनन को जड़ से खत्म करने के लिए कई कदम उठाए हैं। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में यदि कोई व्यक्ति अवैध खनन में संलिप्त पाया गया, तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत भारी जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। अवैध खनन रोकने के लिए प्रशासन ने एक सतत निगरानी तंत्र विकसित किया है। संवेदनशील क्षेत्रों में नियमित निरीक्षण और गश्त की व्यवस्था की गई है। अवैध खनन की घटनाओं पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरे और जीआईएस तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इससे खनन गतिविधियों की रियल-टाइम निगरानी की जा सकेगी।
धानेपुर में अवैध खनन के खिलाफ की गई त्वरित कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि प्रशासन इस प्रकार की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। सोशल मीडिया पर मिली सूचना के आधार पर की गई यह छापेमारी प्रशासन की तत्परता और जवाबदेही का उदाहरण है।
अब यह देखना होगा कि प्रशासन आगे की कार्रवाई में कितनी सख्ती बरतता है और आरोपियों को कब तक गिरफ्तार कर पाता है। साथ ही, अवैध खनन को रोकने के लिए अपनाए गए नए कदमों का प्रभाव आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।
अवैध खनन के खिलाफ प्रशासन की यह पहल न केवल गोंडा जिले में, बल्कि पूरे प्रदेश में एक मिसाल कायम कर सकती है। इसका उद्देश्य न केवल राजस्व और पर्यावरण की रक्षा करना है, बल्कि जनता के हितों को भी संरक्षित रखना है।