
गोंडा 8 दिसंबर (अतुल यादव)। एक बार फिर से सरकारी विभागों की न्यायालय में लचर पैरवी के चलते भ्रष्टाचार कि आरोपी फर्म को उच्च न्यायालय से रिलीफ मिल गई है और जिलाधिकारी द्वारा काली सूची में डाले जाने के आदेश पर स्टे मिल चुका है पहली बार नहीं है जब अधिकारियों और घोटाले बाजों की मिलीभगत से घोटाले बाज कार्यवाही की जद में आकर भी बाहर निकल गए हो
हम बात कर रहे हैं बेसिक शिक्षा विभाग गोंडा द्वारा संचालित कस्तूरबा आवासीय विद्यालयों में घटिया क्वालिटी के सामानों की आपूर्ति के अलावा उच्चतम विक्रय मूल्य से भी अधिक दर पर सामानों की आपूर्ति के आरोप लगे थे और मुख्य विकास अधिकारी द्वारा जांच में यह भी पाया गया था जिसके बाद जनपद गोंडा की दो फर्म जिन्होंने आपूर्ति का काम किया था मेसर्स अविनाश चंद्र मिश्रा और मेसर्स सिंह कैटरर्स एंड सप्लायर को काली सूची में डाल दिया गया था जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने स्टे दे दिया है और विभाग को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है अगला सुनवाई का दिनांक 20 दिसंबर नियत किया गया है
सूत्रों की मानें तो इस पूरी सप्लाई में जनपद स्तरीय अधिकारियों से लेकर कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में कार्य कर रहे कर्मचारियों तक की मिलीभगत थी आपूर्तिकर्ता फन से बड़े पैमाने पर कमीशन लिया जाता था और बिना सप्लाई ही पेमेंट कर दिया जाता था मिलीभगत तो यहां तक थी की बाजार दर से अधिक पर दिए गए दर को एक नहीं दो नहीं तीन तीन अधिकारियों ने अनुमोदित किया था अब अनुमोदित दर पर 2 साल से सप्लाई हो रही थी और किसी भी अधिकारी एक बार फिर से इन सामानों की बाजार दर पता करना उचित नहीं समझा और 2 साल पुराने मूल्य पर सामानों की सप्लाई होती रही
अब एक बार फिर से 20 तारीख तक विभाग द्वारा दाखिल जवाब से पता चलेगा विभागीय अधिकारी इस पूरे घोटाले में कितना सम्मिलित हैं और अधिकारियों ने कितना कितना कमीशन लिया है