
नई दिल्ली 26 दिसंबर। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन की खबर ने पूरे देश को गहरे शोक में डाल दिया है। उनके सम्मान में भारत सरकार ने सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. सिंह के आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह का जाना देश के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपने जीवन में जो ईमानदारी, सादगी और निष्ठा का परिचय दिया, वह भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। वे न केवल एक महान अर्थशास्त्री थे, बल्कि एक ऐसे नेता भी थे, जिन्होंने देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए अद्वितीय योगदान दिया।”
डॉ. सिंह का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
26 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के पंजाब के गाह में जन्मे डॉ. मनमोहन सिंह ने गरीबी और संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में अपना बचपन बिताया। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत में बस गया। डॉ. सिंह ने अपनी शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से प्रारंभ की और बाद में कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में उच्च डिग्री प्राप्त की। उनकी शिक्षा ने उन्हें न केवल एक बेहतरीन अर्थशास्त्री बनाया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एक अर्थशास्त्री के रूप में योगदान
डॉ. सिंह ने अपने करियर की शुरुआत एक प्रोफेसर के रूप में की, लेकिन जल्द ही वे नीति निर्माण में सक्रिय हो गए। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर के रूप में अपनी सेवाएं दीं और देश की मौद्रिक नीतियों को मजबूती प्रदान की। 1991 में, जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने वित्त मंत्री नियुक्त किया।
डॉ. सिंह ने आर्थिक सुधारों की दिशा में साहसिक कदम उठाए, जिनमें उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण जैसे सुधार शामिल थे। उनके नेतृत्व में भारत ने न केवल अपने विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर किया, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक मजबूत स्थान भी बनाया। उन्होंने विदेशी निवेश को आकर्षित करने, कराधान प्रणाली को सुधारने और देश की आर्थिक नीतियों को अधिक प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस योगदान को याद करते हुए कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में किए गए आर्थिक सुधारों ने देश को आर्थिक स्थिरता और विकास की ओर अग्रसर किया। उनकी नीति निर्माण की क्षमता और दूरदर्शिता का देश हमेशा ऋणी रहेगा।”
राजनीतिक सफर और प्रधानमंत्री के रूप में योगदान
2004 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जीत के बाद, डॉ. मनमोहन सिंह देश के 14वें प्रधानमंत्री बने। वे भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि के बजाय उनकी विशेषज्ञता और नीतिगत कुशलता को उनकी नियुक्ति का आधार माना गया।
प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने आर्थिक प्रगति, सामाजिक न्याय और वैश्विक कूटनीति पर विशेष ध्यान दिया। उनके कार्यकाल में कई ऐतिहासिक योजनाएं और नीतियां लागू की गईं, जिनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), शिक्षा का अधिकार अधिनियम, और खाद्य सुरक्षा अधिनियम शामिल हैं।
प्रधानमंत्री के रूप में उनकी विरासत और निजी व्यक्तित्व
भारत-अमेरिका परमाणु समझौता
डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता था। इस समझौते ने भारत को ऊर्जा संकट से उबरने और वैश्विक ऊर्जा बाजार में महत्वपूर्ण स्थान हासिल करने में मदद की। हालांकि, इस समझौते को लेकर देश के भीतर काफी विवाद हुए, लेकिन डॉ. सिंह ने अपनी दृढ़ता और कूटनीतिक कौशल से इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
सामाजिक और आर्थिक योजनाएं
डॉ. सिंह की नीतियों का केंद्र बिंदु हमेशा आम जनता रही। उनके कार्यकाल में सामाजिक कल्याण योजनाओं को प्राथमिकता दी गई। ग्रामीण भारत के विकास के लिए उन्होंने विशेष योजनाएं लागू कीं, जिनका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन, शिक्षा में सुधार और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाना था।
प्रधानमंत्री मोदी ने उनके इन प्रयासों को याद करते हुए कहा, “डॉ. सिंह का समर्पण और उनकी नीतियों का प्रभाव देश के विकास में हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने अपनी सादगी और दूरदर्शिता से यह दिखाया कि किस प्रकार ऊंचे पदों पर रहते हुए भी जनता के प्रति समर्पित रहा जा सकता है।”
डॉ. सिंह का निजी व्यक्तित्व
डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी सौम्यता, सादगी और बौद्धिकता के लिए जाना जाता था। वे विवादों से दूर रहने वाले नेता थे, जिनका ध्यान हमेशा देश की प्रगति पर केंद्रित रहता था। प्रधानमंत्री मोदी ने उनके इस गुण को याद करते हुए कहा, “डॉ. सिंह का जीवन ईमानदारी और सादगी का प्रतीक था। उन्होंने हमेशा उच्च नैतिक मूल्यों का पालन किया और देश सेवा में अपना सर्वस्व योगदान दिया।”
एक प्रेरणादायक नेता
डॉ. सिंह के नेतृत्व का प्रभाव केवल उनके कार्यकाल तक सीमित नहीं था। वे भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत थे। उनकी विनम्रता और उनकी नेतृत्व क्षमता ने यह साबित किया कि सच्चा नेतृत्व केवल पद की शक्ति से नहीं, बल्कि विचारों और नीतियों की प्रभावशीलता से मापा जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने उनके निधन पर कहा, “उच्च पदों पर रहते हुए भी डॉ. सिंह अपनी जड़ों को कभी नहीं भूले। जब मैं मुख्यमंत्री था, तब उनसे कई बार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होती थी। उनकी गहराई और सहजता मुझे हमेशा प्रेरित करती थी।”
अंतिम विदाई और देश की संवेदनाएं
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर केवल भारत ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शोक व्यक्त किया गया है। उनके नेतृत्व और योगदान को लेकर दुनिया भर के नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। देशभर में उनके सम्मान में सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है।
डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति में एक युग का अंत है। उनका जीवन, उनकी नीतियां और उनका योगदान हमेशा भारतीय इतिहास में अमर रहेंगे। उनके परिवार, दोस्तों और देश के नागरिकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। वे हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।”
आज, जब देश ने अपने सबसे सम्मानित नेताओं में से एक को खो दिया है, तो यह समय उनके जीवन और उनके कार्यों से सीखने का है। डॉ. सिंह का जीवन यह संदेश देता है कि ईमानदारी, सादगी और समर्पण के साथ बड़े से बड़े सपने साकार किए जा सकते हैं।