
गोंडा 17 अक्टूबर। पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह और उनके परिवार के इर्द-गिर्द हालिया घटनाओं ने उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ लाया है। हाल ही में हुई दिशा (जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति) की बैठक में बृजभूषण शरण सिंह के परिवार के सदस्यों और उनके समर्थकों ने भाग नहीं लिया, जिससे राजनीतिक हलकों में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है। यह घटना पूर्व सांसद के परिवार और उनके समर्थकों के बीच पनप रही नाराजगी की ओर इशारा करती है, खासकर तब, जब कैसरगंज के सांसद करण भूषण सिंह को दिशा के अध्यक्ष पद से हटाया गया है। इस नाराजगी ने बैठक से परिवार और समर्थकों की अनुपस्थिति को और भी प्रमुख बना दिया है।
बैठक में अनुपस्थिति की चर्चा
दिशा की बैठक, जिसका उद्देश्य जिले के विकास कार्यों की निगरानी और समन्वय सुनिश्चित करना होता है, बहराइच जिले में आयोजित की गई थी। इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने की, जो कि राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। हालांकि, जिस बात ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा वह यह थी कि बृजभूषण शरण सिंह के परिवार के सदस्यों, 10 से ऊपर ब्लाक प्रमुख और उनके प्रमुख समर्थकों ने इस बैठक से पूरी तरह किनारा कर लिया।
कैसरगंज के वर्तमान सांसद करण भूषण सिंह, जो कि दिशा के पूर्व अध्यक्ष थे, उनके समर्थकों की यह नाराजगी तब सामने आई जब उन्हें दिशा के अध्यक्ष पद से हटाया गया। इसी नाराजगी के चलते बैठक में उनका या उनके परिवार के किसी सदस्य का उपस्थित न होना एक स्पष्ट संकेत है कि पार्टी और नेतृत्व के बीच असंतोष गहरा रहा है। सांसद करण भूषण सिंह और विधायक प्रतीक भूषण सिंह की अनुपस्थिति इस बात का संकेत देती है कि बृजभूषण शरण सिंह के परिवार के भीतर वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व को लेकर असहमति और असंतोष की भावना बढ़ रही है।
नाराजगी की वजहें
पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह और उनके परिवार का राजनीतिक प्रभाव लंबे समय से क्षेत्र में बना हुआ है। चाहे वह विधानसभा हो या लोकसभा, उनका परिवार और समर्थक हमेशा राजनीतिक घटनाक्रम के केंद्र में रहे हैं। बृजभूषण शरण सिंह, जो कई बार सांसद रह चुके हैं, का क्षेत्र में गहरा पकड़ और जनाधार है। उनके बेटे करण भूषण सिंह को दिशा के अध्यक्ष पद से हटाया जाना उनके समर्थकों के लिए एक बड़ा धक्का था, और यही वजह बनी कि बैठक से किनारा किया गया।
इससे पहले बृजभूषण शरण सिंह और उनका परिवार कई बार विवादों में रहा है, लेकिन उनका राजनीतिक वर्चस्व कभी कम नहीं हुआ। उनके समर्थक हमेशा उनके पक्ष में खड़े रहे हैं, चाहे परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों न हो। लेकिन इस बार दिशा की बैठक में उनकी अनुपस्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह साफ संकेत है कि उनके समर्थकों के बीच असंतोष बढ़ रहा है और राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव की चर्चा शुरू हो गई है।
बैठक में अन्य प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति
दिशा की बैठक में बृजभूषण शरण सिंह के परिवार और समर्थकों की अनुपस्थिति ने जितना ध्यान खींचा, उतना ही महत्वपूर्ण था अन्य प्रमुख राजनीतिक हस्तियों की उपस्थिति। बैठक की अध्यक्षता कर रहे केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह के अलावा, कई अन्य प्रमुख विधायक और सांसद भी उपस्थित थे। इनमें कर्नलगंज से विधायक अजय सिंह, गौरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रभात वर्मा, तरबगंज विधानसभा क्षेत्र से प्रेम नारायण पांडे, मनकापुर के विधायक रमापति शास्त्री, और मेहनौन विधानसभा क्षेत्र से विधायक विनय द्विवेदी शामिल थे।
इन नेताओं की उपस्थिति ने इस बात को भी रेखांकित किया कि विकास कार्यों पर चर्चा और उनकी निगरानी के लिए दिशा की बैठक कितनी महत्वपूर्ण है। हालांकि, बृजभूषण शरण सिंह के परिवार की अनुपस्थिति ने इस बैठक की राजनीतिक महत्ता को और बढ़ा दिया। इससे यह साफ हो गया है कि जिले के राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं और बृजभूषण शरण सिंह के परिवार का इस बदले हुए समीकरण में क्या स्थान होगा, यह भविष्य में ही स्पष्ट होगा।
समर्थकों में असंतोष और नेतृत्व का संकट
बैठक में अनुपस्थिति केवल एक राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि एक बड़े असंतोष की ओर इशारा करती है। यह असंतोष सीधे तौर पर बृजभूषण शरण सिंह के परिवार और समर्थकों के बीच नेतृत्व के संकट से जुड़ा हुआ है। खासकर जब सांसद करण भूषण सिंह को दिशा के अध्यक्ष पद से हटाया गया, तब से ही समर्थकों के बीच असंतोष की चिंगारी सुलग रही थी, जो अब साफ तौर पर दिखाई दे रही है।
इस नेतृत्व के संकट की वजह से समर्थकों के बीच एक असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। उनका मानना है कि बृजभूषण शरण सिंह का परिवार अब भी क्षेत्र में अपने राजनीतिक वर्चस्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है, लेकिन उनके विरोधियों ने इस मौके का फायदा उठाते हुए उनकी पकड़ कमजोर करने की कोशिश की है। समर्थकों को लगता है कि अगर स्थिति को सही तरीके से नहीं संभाला गया, तो भविष्य में इसका राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भविष्य की राजनीति पर असर
बृजभूषण शरण सिंह के परिवार और समर्थकों की यह नाराजगी केवल एक बैठक तक सीमित नहीं रहने वाली। इससे आने वाले समय में जिले की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। दिशा की बैठक में उनकी अनुपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना दिया है कि क्या बृजभूषण शरण सिंह का परिवार अब भी क्षेत्र में अपना पुराना वर्चस्व बनाए रख पाएगा, या फिर उनके विरोधी इस मौके का फायदा उठाकर उनकी राजनीतिक पकड़ को कमजोर कर देंगे।
इस बैठक में अनुपस्थिति के बाद यह भी संभावना है कि आने वाले चुनावों में बृजभूषण शरण सिंह और उनके परिवार को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। उनके समर्थकों का यह असंतोष अगर दूर नहीं किया गया, तो इसका असर गोंडा और आसपास के जनपदों में भारतीय जनता पार्टी पर पड़ना तय है।
समर्थकों की नाराजगी के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि बृजभूषण शरण सिंह और उनके परिवार आने वाले दिनों में क्या कदम उठाते हैं। यह घटना संकेत देती है कि परिवार और समर्थकों की नेतृत्व के बीच संवादहीनता बढ़ रही है, और यह स्थिति आने वाले समय में उन्हें राजनीतिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है।