
प्रयागराज, 4 दिसंबर। नोएडा में जारी किसान आंदोलन के समर्थन और पूरा मुफ्ती थाने की पुलिस द्वारा किसानों के कथित शोषण के विरोध में, भारतीय किसान यूनियन (प्रयागराज इकाई) ने आज सिविल लाइन स्थित गिरजाघर धरना स्थल पर विशाल प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में किसानों ने हिस्सा लिया, जिससे आंदोलन को और मजबूती मिली।
धरने की अगुवाई करते हुए युवा प्रदेश अध्यक्ष अनुज सिंह ने जोर देकर कहा, “अगर राष्ट्रीय नेतृत्व का आदेश हुआ, तो उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों से हजारों किसान लखनऊ की ओर ट्रैक्टरों के साथ कूच करेंगे। हमारी मांगों को जब तक स्वीकार नहीं किया जाता और समाधान नहीं मिलता, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। यह सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि जमीन, जल, जंगल और फसल-नसल बचाने का आंदोलन है।”
धरना प्रदर्शन में किसानों ने स्पष्ट रूप से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी वाले कानून की मांग को प्रमुखता दी। अनुज सिंह ने कहा कि देश का किसान आज उचित मूल्य और अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने बताया कि आंदोलनकारी किसानों की निगाहें आज गौतम बुद्ध नगर की महापंचायत पर टिकी हैं, जो इस संघर्ष की दिशा तय करेगी।
जिला अध्यक्ष लालू पटेल और मंडल अध्यक्ष लालचंद यादव ने कहा कि किसान हमेशा अपने हक के लिए डटकर लड़ते आए हैं। आज भी वे संगठित होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। उन्होंने पुलिस के कथित शोषण और किसानों की गिरफ्तारियों को लोकतंत्र के लिए घातक करार दिया।
धरने में मौजूद किसानों ने दावा किया कि पुलिस प्रशासन द्वारा किसानों को डराने और उनकी आवाज दबाने की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन भारतीय किसान यूनियन इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।
आंदोलनकारियों के संकल्प और महिला भागीदारी से मजबूत हुआ प्रदर्शन
प्रदर्शन के दौरान जिले और मंडल से आए युवा, महिला और वरिष्ठ किसानों ने अपनी भागीदारी से आंदोलन को और अधिक मजबूत बनाया। युवा जिला अध्यक्ष रमीज नकवी और युवा मंडल अध्यक्ष मोहम्मद शाकिर ने कहा कि यह सिर्फ किसानों का नहीं, बल्कि हर उस नागरिक का आंदोलन है जो देश की मिट्टी और संसाधनों से जुड़ा है।
जमुना पार प्रभारी अवध राज पटेल और जिला सलाहकार राजेंद्र पटेल ने कहा कि एमएसपी गारंटी कानून की मांग किसानों का मौलिक अधिकार है। अगर सरकार ने इसे अनदेखा किया तो आंदोलन देशव्यापी रूप ले लेगा। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण है, लेकिन इसे कमजोर समझने की भूल न की जाए।
धरने में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं। उन्होंने फसल और परिवार की सुरक्षा के लिए किसानों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का संकल्प लिया। प्रदर्शन में शामिल महिला किसानों ने कहा, “हमारे पति और बेटे खेतों में मेहनत करते हैं, लेकिन जब उनके अधिकार छीनने की कोशिश होती है, तो हम भी पीछे नहीं हटेंगे।”
अन्य प्रमुख वक्ताओं में तारिक, शुभम, दितिन, सचिन, और पियूष सिंह शामिल रहे, जिन्होंने किसानों को संगठित रहने और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुटता बनाए रखने का आह्वान किया।
प्रदर्शन के अंत में यह निर्णय लिया गया कि अगर सरकार किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो लखनऊ कूच के अलावा देशभर में प्रदर्शन तेज किया जाएगा। किसानों ने एक स्वर में कहा कि यह आंदोलन उनकी आत्मा की आवाज है और इसे दबाया नहीं जा सकता।
प्रभात भारत विशेष
आज के धरने ने यह स्पष्ट कर दिया कि किसान अपने हक और अधिकारों के लिए पूरी दृढ़ता से संघर्ष कर रहे हैं। एमएसपी गारंटी कानून और पुलिस के कथित शोषण के खिलाफ उठाई गई आवाज ने सरकार और प्रशासन के लिए एक कड़ा संदेश दिया है। यह प्रदर्शन न केवल किसानों की एकजुटता को दर्शाता है, बल्कि देशभर के नागरिकों को भी इस आंदोलन से जुड़ने के लिए प्रेरित करता है।