
प्रशासनिक सख्ती का असर
गोंडा जिले के विकासखंड वजीरगंज अंतर्गत ग्राम तुलसीपुर मांझा में चकमार्ग पर वर्षों से चला आ रहा अतिक्रमण आखिरकार हटा लिया गया। जिलाधिकारी नेहा शर्मा के स्पष्ट निर्देशों पर राजस्व विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर अतिक्रमण हटवाया और ग्रामीणों के लिए वर्षों से बाधित पड़ी सार्वजनिक राह को फिर से सुगम बना दिया। यह कार्रवाई प्रशासनिक सख्ती और आमजन की शिकायतों के प्रति संवेदनशीलता का जीवंत उदाहरण बनकर उभरी है।
चकमार्ग की महत्ता और वर्षों से चला आ रहा अतिक्रमण
चकमार्ग ग्रामीण अंचलों में खेतों तक पहुँचने का एकमात्र वैध रास्ता होता है, जिसे भू-राजस्व अभिलेखों में सार्वजनिक उपयोग के लिए सुरक्षित रखा गया है। ग्राम तुलसीपुर मांझा के ग्रामीण लंबे समय से शिकायत कर रहे थे कि कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा चकमार्ग पर कब्जा कर लिया गया है, जिससे न सिर्फ किसान खेतों तक पहुँचने में असमर्थ थे बल्कि ग्रामीणों की आपसी तनाव की स्थिति भी पैदा हो रही थी। इस समस्या ने धीरे-धीरे पूरे गांव में सामाजिक विघटन की स्थिति उत्पन्न कर दी थी।
ग्रामीणों की पहल और प्रशासन की सजगता
गांव के कई वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं ने मिलकर एक प्रतिनिधिमंडल बनाकर जिलाधिकारी नेहा शर्मा से मुलाकात की थी। उन्होंने चकमार्ग की समस्या से अवगत कराते हुए यह भी बताया कि पहले भी शिकायतें की गई थीं, परंतु अपेक्षित कार्रवाई नहीं हो पाई थी। जिलाधिकारी ने शिकायत को गंभीरता से लिया और तत्काल संबंधित उप जिलाधिकारी एवं तहसीलदार को निर्देशित किया कि स्थल निरीक्षण कर सच्चाई की पुष्टि की जाए।
कार्रवाई की प्रक्रिया और प्रशासनिक रणनीति
रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने सख्त रुख अपनाते हुए राजस्व विभाग की टीम को पुलिस बल के साथ मौके पर भेजा। नियमानुसार अतिक्रमणकारियों को पहले नोटिस जारी किया गया, और जब निर्धारित समय तक कोई स्वेच्छा से अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो प्रशासन ने बलपूर्वक कार्रवाई की योजना बनाई। यह सुनिश्चित किया गया कि कार्रवाई शांतिपूर्ण ढंग से हो और किसी भी प्रकार की झड़प या हिंसा की स्थिति न उत्पन्न हो।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया और उम्मीदें
कार्रवाई के बाद ग्रामवासियों ने राहत की सांस ली। बुजुर्ग किसान रघुनाथ प्रसाद ने कहा, “हमने सोचा नहीं था कि हमारी सुनी जाएगी, लेकिन डीएम मैडम ने हमें न्याय दिलाया। यह रास्ता हमारे लिए जीवन रेखा जैसा है।” वहीं युवा किसान अनिल यादव ने बताया कि अब उनके ट्रैक्टर-ट्रॉली आसानी से खेत तक पहुँच सकेंगे, जिससे खेती-किसानी का काम बाधित नहीं होगा। ग्रामीणों ने प्रशासन से अन्य सार्वजनिक जमीनों से भी अतिक्रमण हटवाने की मांग की है।
डीएम नेहा शर्मा की भूमिका और विज़न
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने इस प्रकरण में जिस संवेदनशीलता और तत्परता का परिचय दिया, वह प्रशासनिक सेवा में उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जनहित के रास्ते बंद करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। “चकमार्ग, तालाब, चारागाह और अन्य सार्वजनिक भूमियों को अतिक्रमणमुक्त बनाना हमारी प्राथमिकता है,” उन्होंने कहा। डीएम की यह नीति जिले में पारदर्शिता, न्याय और सुशासन की दिशा में मील का पत्थर बन रही है।
जिले में चल रही अन्य अतिक्रमण विरोधी मुहिम
गोंडा जिले में प्रशासन द्वारा लगातार अतिक्रमण विरोधी मुहिम चलाई जा रही है। इससे पहले भी वजीरगंज, मनकापुर, परसपुर और तरबगंज क्षेत्रों में तालाबों व चारागाह की भूमि से कब्जा हटाया गया था। डीएम ने प्रत्येक तहसील में विशेष टास्क फोर्स गठित की है जो गांव-गांव जाकर सार्वजनिक जमीनों की स्थिति की समीक्षा कर रही है। इससे न केवल ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है, बल्कि अतिक्रमण करने वालों में भय भी उत्पन्न हुआ है।
भविष्य की दिशा
ग्राम तुलसीपुर मांझा की यह कार्रवाई सिर्फ एक स्थानीय घटना नहीं है, बल्कि यह व्यापक प्रशासनिक सुधार और ग्रामीण सशक्तिकरण की ओर एक अहम कदम है। ऐसे प्रयास न केवल ग्रामीण जनता को उनका हक दिलाते हैं बल्कि सामाजिक समरसता और कानून के शासन को भी मजबूत करते हैं। उम्मीद की जा सकती है कि जिलाधिकारी नेहा शर्मा के नेतृत्व में गोंडा जिले के अन्य गांव भी जल्द ही अतिक्रमणमुक्त होंगे और विकास की मुख्यधारा में पूरी तरह जुड़ सकेंगे।