
सऊदी अरब में दर्दनाक हत्या: गोंडा के मोहम्मद शकील का शव 40 दिन बाद घर पहुंचा, चार मासूम बेटियों के सिर से उठा पिता का साया
गोंडा, 14 अक्टूबर। सऊदी अरब में हुए एक दिल दहला देने वाले हत्या के मामले में गोंडा जिले के डमरती विसेन गांव के रहने वाले मोहम्मद शकील का शव आखिरकार 40 दिनों बाद भारत पहुंचा। इस हृदय विदारक घटना से शकील के परिवार और पूरे गांव में शोक का माहौल है। शकील, जो सऊदी अरब में बकरी चराने का काम करते थे, उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह उर्फ राजा भैया के हस्तक्षेप के बाद ही यह मुमकिन हो पाया कि शकील का शव भारत लाया जा सके। शकील की चार मासूम बेटियों के सिर से पिता का साया हमेशा के लिए उठ गया है, और उनकी पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है।
हत्या का दर्दनाक मामला: सऊदी अरब में बर्बरता
मोहम्मद शकील, जो उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के निवासी थे, अपने परिवार के बेहतर भविष्य की तलाश में सऊदी अरब गए थे। वहां वह बकरी चराने का काम करते थे। सऊदी में काम करने के दौरान उनके साथ रहने वाले युवक अरबाज और उसके साथियों ने शकील की हत्या कर दी। बताया गया कि उन पर धारदार हथियार से हमला किया गया, जिसके चलते उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
पहले शकील के परिवार को सूचना दी गई थी कि उनकी मौत एक दुर्घटना के कारण हुई है, जहां बताया गया कि शकील की मौत गिरने से हो गई। लेकिन जब मामले की सच्चाई सामने आई, तो परिवार को पता चला कि यह एक सुनियोजित हत्या थी।
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री के हस्तक्षेप से हुआ शव का भारत आगमन
शकील का शव सऊदी अरब से भारत लाने में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। परिवार पहले से ही अपनी इस त्रासदी से टूट चुका था और ऊपर से शव को वापस लाने की प्रक्रिया बेहद जटिल और लंबी हो गई थी।
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह उर्फ राजा भैया ने इस मामले में सीधे हस्तक्षेप किया। उन्होंने सऊदी प्रशासन से संपर्क किया और शव को भारत लाने की प्रक्रिया को तेज किया। उनके हस्तक्षेप के बाद ही शव को भारत लाया जा सका, जिससे शकील के परिवार को उनका अंतिम संस्कार करने का मौका मिला।
गांव में शोक का माहौल
जब शकील का शव 40 दिन बाद गांव पहुंचा, तो पूरे डमरती विसेन गांव में शोक की लहर दौड़ गई। शकील का परिवार इस घटना से पूरी तरह टूट चुका है। शकील की चार बेटियां हैं, जिनकी उम्र क्रमशः 12, 9, 7 और 5 वर्ष है। अब उनके सिर से पिता का साया उठ गया है। बेटियों के भविष्य को लेकर परिवार चिंतित है, क्योंकि शकील ही परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। उनकी पत्नी और अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
शव के गांव पहुंचते ही, लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। गांववालों ने शकील के परिवार को सांत्वना दी, लेकिन इस अप्रत्याशित घटना ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया है। परिवार ने रात को शव का अंतिम संस्कार धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार कर दिया।
परिजनों का संघर्ष: न्याय और मदद की मांग
शकील के परिवार ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री और भारत सरकार को धन्यवाद देते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया। शकील के बहनोई निजामुद्दीन ने बताया, “हम भारत सरकार और गोंडा जिला प्रशासन के आभारी हैं, जिन्होंने हमारी मदद की। विशेष रूप से विदेश राज्य मंत्री ने मामले में हस्तक्षेप कर शव को भारत लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”
परिवार अब न्याय की मांग कर रहा है। उन्होंने अपील की है कि सऊदी अरब में शकील के हत्यारे अरबाज और उसके साथियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। शकील के परिजनों का कहना है कि वे उम्मीद करते हैं कि विदेश मंत्री और भारतीय सरकार सऊदी हुकूमत से इस मामले में उचित कार्रवाई करवाएंगे, ताकि दोषियों को सजा मिल सके।
शकील की जिंदगी: बेहतर भविष्य की तलाश में गए थे विदेश
मोहम्मद शकील का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। अपने परिवार का पेट पालने और बेहतर जीवन जीने के लिए वे सऊदी अरब गए थे। अपने गांव में रोजगार की संभावनाएं सीमित थीं, जिसके चलते उन्होंने विदेश जाकर काम करने का फैसला किया। सऊदी अरब में काम करने से जो भी आमदनी होती, उससे वे अपने परिवार का खर्च चलाते थे और अपनी बेटियों की पढ़ाई-लिखाई का इंतजाम कर रहे थे।
शकील की मौत ने न केवल उनके परिवार को, बल्कि उनके गांव के लोगों को भी गहरा आघात पहुंचाया है। उनका जीवन एक साधारण आदमी का था, जो अपनी मेहनत से परिवार को बेहतर भविष्य देने की कोशिश कर रहा था। लेकिन एक हादसे ने उनकी जिंदगी को इस तरह समाप्त कर दिया कि उनका परिवार अब अनिश्चितताओं में घिर गया है।
विदेश में काम कर रहे भारतीयों की सुरक्षा का सवाल
यह मामला केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह उन लाखों भारतीय कामगारों की स्थिति पर भी सवाल उठाता है, जो विदेशों में रोजगार की तलाश में जाते हैं। सऊदी अरब जैसे देशों में भारतीय कामगार बड़ी संख्या में हैं, और उनमें से कई वहां कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं।
शकील की हत्या ने इन प्रवासी कामगारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार द्वारा विदेश में काम कर रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और भी ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
भारतीय प्रशासन की भूमिका और उम्मीदें
शकील के परिवार और गांववालों को इस बात की उम्मीद है कि भारतीय प्रशासन सऊदी प्रशासन से इस मामले में न्याय दिलवाने की पूरी कोशिश करेगा। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय कानूनी प्रक्रिया जटिल हो सकती है, लेकिन परिवार की यह मांग है कि भारत सरकार इस मुद्दे को सऊदी सरकार के समक्ष जोरदार ढंग से उठाए और आरोपियों के खिलाफ कड़ी सजा की मांग करे।
सऊदी अरब में न्याय प्राप्त करने के लिए वहां की कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है, और इसमें भारतीय अधिकारियों को पूरी सक्रियता दिखानी होगी। शकील के परिवार को इस बात की उम्मीद है कि उनकी मदद के लिए भारत सरकार और विदेश मंत्री इस मामले में पूरी सक्रियता से काम करेंगे।
शकील के परिवार की आर्थिक स्थिति: भविष्य की अनिश्चितता
शकील के निधन के बाद अब उनके परिवार की आर्थिक स्थिति और भी अनिश्चित हो गई है। वे अपने परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। उनकी चार बेटियां, जो अभी बहुत छोटी हैं, उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है।
शकील की पत्नी अब अकेले अपने परिवार को संभालने की स्थिति में नहीं हैं, और उन्हें मदद की सख्त जरूरत है। गांव के लोग और स्थानीय प्रशासन ने परिवार को सांत्वना दी है, लेकिन आर्थिक मदद के बिना इस परिवार का गुजारा मुश्किल हो सकता है।
शकील के परिवार को अब सरकार और समाज की ओर से आर्थिक सहायता की आवश्यकता है, ताकि उनकी बेटियों की पढ़ाई और भविष्य सुरक्षित हो सके।
मोहम्मद शकील की हत्या न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक गहरी त्रासदी है। एक व्यक्ति जो अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य की तलाश में विदेश गया था, उसकी हत्या ने उसके परिवार को अनिश्चितताओं के दलदल में धकेल दिया है।
इस घटना ने विदेशों में काम कर रहे भारतीय कामगारों की सुरक्षा के सवालों को भी उठाया है और यह आवश्यक बना दिया है कि सरकार इन कामगारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।
शकील के परिवार की मांग है कि उनके हत्यारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और भारतीय प्रशासन सऊदी प्रशासन के साथ मिलकर इस मामले में न्याय दिलाने के लिए प्रयास करे। इसके साथ ही, शकील के परिवार को आर्थिक मदद की भी सख्त जरूरत है, ताकि उनकी बेटियों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
इस त्रासदी ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि विदेशों में काम करने वाले लाखों भारतीय प्रवासी किस तरह की मुश्किलों का सामना करते हैं और सरकार को उनकी सुरक्षा और कल्याण के लिए और अधिक सक्रियता दिखाने की आवश्यकता है।