
गोण्डा, 29 अगस्त। जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं को सुधारने और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दिलाने के लिए जिलाधिकारी गोण्डा प्रियंका निरंजन ने शुक्रवार को औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान डीएम ने साफ-सफाई से लेकर बैठने की व्यवस्था, दवाओं की उपलब्धता और जांच सुविधाओं तक कई अहम बिंदुओं पर समीक्षा की और जिम्मेदार अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान सीएमओ, सीएमएस और मेडिकल स्टाफ भी मौजूद रहे।
जिलाधिकारी ने सबसे पहले अस्पताल परिसर की सफाई व्यवस्था का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि अस्पताल संवेदनशील स्थान होता है जहां गंदगी या अव्यवस्था किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है। एक ओर जहां मरीज पहले से ही बीमारी और तनाव से जूझते हैं, वहीं यदि उन्हें अस्वच्छ माहौल मिले तो यह उनके स्वास्थ्य पर और प्रतिकूल असर डाल सकता है।
डीएम ने अस्पताल प्रशासन को स्पष्ट रूप से कहा कि नियमित मॉनिटरिंग के साथ-साथ स्थायी सफाई व्यवस्था विकसित की जाए। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर भविष्य में निरीक्षण के दौरान लापरवाही मिली तो संबंधित जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
निरीक्षण के दौरान प्रतीक्षालयों और ओपीडी क्षेत्रों का विशेष तौर पर मुआयना किया गया। कई बार देखा जाता है कि मरीजों और उनके परिजनों को फर्श पर बैठना पड़ता है या लंबे समय तक खड़े रहना पड़ता है। जिलाधिकारी ने इस स्थिति को देखते हुए निर्देश दिया कि पर्याप्त बेंच और कुर्सियों की व्यवस्था तत्काल सुनिश्चित की जाए।
डीएम प्रियंका निरंजन ने डॉक्टरों को स्पष्ट चेतावनी दी कि मरीजों को बाहर से दवा या जांच लिखने की प्रवृत्ति पर तत्काल रोक लगाई जाए। सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध दवाएं मरीजों को मुफ्त दी जानी चाहिए और जांच की सुविधा भी अस्पताल के अंदर ही होनी चाहिए।
डीएम ने कहा कि “सरकार मरीजों को निःशुल्क दवाएं और जांच की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। ऐसे में डॉक्टरों द्वारा मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर या पैथोलॉजी पर भेजना अनुचित है। यह न केवल नियम विरुद्ध है बल्कि गरीब मरीजों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी डालता है।”
निरीक्षण के दौरान डीएम ने जननी सुरक्षा योजना, आयुष्मान भारत योजना और निःशुल्क दवा वितरण जैसी सुविधाओं पर विशेष चर्चा की। उन्होंने कहा कि “सरकार द्वारा दी जा रही योजनाओं का पूरा लाभ मरीजों तक पहुँचना चाहिए।”
डीएम ने अस्पताल प्रशासन को निर्देशित किया कि इन योजनाओं की जानकारी पोस्टर और पंपलेट के माध्यम से प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित की जाए। ताकि कोई भी मरीज अनभिज्ञ न रहे और उन्हें योजनाओं का पूरा लाभ मिल सके।
गोंडा जिला अस्पताल लंबे समय से कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। भीड़ अधिक होने और संसाधनों की कमी के कारण मरीजों को अक्सर असुविधा का सामना करना पड़ता है। ओपीडी में लंबी लाइनें, दवाओं की अनुपलब्धता, जांचों में देरी और रेफर किए जाने की मजबूरी जैसे हालात आम हैं।
डीएम का यह औचक निरीक्षण ऐसे समय पर हुआ है जब जनपद की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में यह निरीक्षण न केवल व्यवस्थाओं को सुधारने की दिशा में अहम कदम है, बल्कि यह भी संकेत है कि शासन-प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं पर गंभीर है।
मरीजों और उनके परिजनों को उम्मीद है कि डीएम के इस निरीक्षण का असर जमीन पर भी दिखेगा। एक मरीज ने कहा, “अक्सर हमें दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है और जांच भी बाहर करनी होती है। अगर अस्पताल में सब सुविधा मिले तो हमें बहुत राहत होगी।”
एक अन्य मरीज ने कहा कि प्रतीक्षालय में बैठने की व्यवस्था न होने से बुजुर्ग और गंभीर मरीजों को बहुत दिक्कत होती है। डीएम का आदेश अगर लागू हो गया तो मरीजों को राहत मिलेगी।
जिलाधिकारी ने अपने निरीक्षण के दौरान दो टूक कहा कि लापरवाही या उदासीनता किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह स्पष्ट चेतावनी अस्पताल प्रशासन और चिकित्सा अधिकारियों के लिए एक संदेश है कि अब मरीजों की सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
गोंडा ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में यही स्थिति देखने को मिलती है। संसाधनों की कमी, अव्यवस्था, और निजी अस्पतालों की बढ़ती निर्भरता सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बड़ी चुनौती है। डीएम का यह निरीक्षण एक मिसाल है कि यदि जिला प्रशासन सक्रिय हो जाए तो स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार संभव है।
गोंडा जिला अस्पताल के औचक निरीक्षण से यह संदेश साफ है कि शासन और प्रशासन मरीजों की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना चाहता है। अब देखना यह होगा कि डीएम के निर्देशों का पालन किस हद तक होता है और क्या सचमुच मरीजों को स्वच्छ वातावरण, मुफ्त दवाएं और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाती हैं।