
रूद्रपुर विसेन में बिना अनुमति मिट्टी खनन पर डीएम ने जताई कड़ी नाराजगी, 24 घंटे में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश
गोंडा, 15 अप्रैल। गोंडा जिले में अवैध खनन को लेकर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपना लिया है। जिले की जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा ने खनन से जुड़ी एक गंभीर शिकायत पर तत्परता दिखाते हुए खान अधिकारी श्री अभय रंजन को कड़ी फटकार लगाई है और उनसे 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह कार्रवाई ग्राम रूद्रपुर विसेन, थाना कोतवाली देहात में बिना अनुमति मिट्टी खनन के मामले में की गई है।
जिले में खनन गतिविधियों को लेकर लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं। ताजा मामला रूद्रपुर विसेन का है, जहां स्थानीय ग्रामीणों ने बिना किसी वैध अनुमति के बड़े पैमाने पर मिट्टी खनन की शिकायत की थी। यह शिकायत सीधे जिलाधिकारी तक पहुंची। डीएम ने तत्काल खान अधिकारी को मौके पर जाकर स्थिति का सत्यापन करने और विधिक कार्रवाई सुनिश्चित करने का आदेश दिया। लेकिन अधिकारी ने मात्र औपचारिकता निभाते हुए एक सतही रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें खनन को वैध और शिकायत को आपसी रंजिश का परिणाम बताया गया।
जिलाधिकारी ने इस रिपोर्ट को गम्भीरता से लिया और इसे ‘उपेक्षात्मक एवं पक्षपातपूर्ण’ करार दिया। उन्होंने साफ कहा कि “खनन जैसे संवेदनशील मामले में विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता से जांच करें। सिर्फ कागजी कार्रवाई कर देना और वास्तविकता से आंखें मूंद लेना प्रशासनिक कर्तव्यों की अवहेलना है।”
उन्होंने कहा कि जिन भूखंडों में वैध अनुमति दी गई है, उनमें भी यह अनिवार्य है कि खनन अनुज्ञप्ति की सभी शर्तों का कड़ाई से पालन हो। परंतु इस प्रकरण में ऐसा प्रतीत होता है कि खान अधिकारी ने बिना स्थल निरीक्षण के ही पूर्वधारणाओं के आधार पर रिपोर्ट प्रस्तुत की है। यह न केवल लापरवाही है, बल्कि प्रशासन की साख पर भी आंच लाने वाला कृत्य है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता ग्रामीणों ने इस मामले में स्पष्ट रूप से कुछ भूखंडों की पहचान की थी जहां जेसीबी मशीनों से रात के अंधेरे में मिट्टी उठाई जा रही थी। इस मिट्टी को कथित रूप से निजी निर्माण कार्यों और ईंट भट्ठों को बेचा जा रहा था। इससे ग्राम पंचायत को न केवल राजस्व की हानि हो रही थी, बल्कि पर्यावरणीय असंतुलन का खतरा भी बढ़ रहा था। डीएम ने इस शिकायत की जांच रिपोर्ट को खारिज करते हुए खनन अधिकारी से पूछा है कि बिना अनुमति खनन की शिकायत के बावजूद उन्होंने कोई विधिक कार्रवाई क्यों नहीं की। डीएम का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि वे जमीनी हकीकत को समझें और जनहित को सर्वोपरि रखें, न कि किसी व्यक्तिगत अथवा संस्थागत प्रभाव में आकर निर्णय लें।
डीएम ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि खान अधिकारी स्वयं मौके पर जाएं, और यह सुनिश्चित करें कि जहां भी बिना अनुमति खनन हुआ है अथवा खनन अनुज्ञप्ति की शर्तों का उल्लंघन किया गया है, वहां के दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। इसमें अर्थदंड, एफआईआर, अनुज्ञप्ति निरस्ति तक की कार्रवाई सम्मिलित हो सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि यह पाया जाता है कि खनन अधिकारी ने जानबूझकर तथ्यों को छुपाया या किसी पक्ष को संरक्षण देने का प्रयास किया है, तो उनके विरुद्ध भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। डीएम ने कहा कि प्रशासनिक जिम्मेदारियों का पालन न करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
गौरतलब है कि गोंडा जिले में हाल के वर्षों में खनन को लेकर विवाद सामने आते रहे हैं। भू-माफिया और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त समूहों द्वारा बिना अनुमति खनन कर करोड़ों रुपये की मिट्टी-बालू की तस्करी की जाती रही है। इससे न केवल शासन को राजस्व की क्षति हुई है, बल्कि स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। डीएम ने इस प्रकार के अवैध खनन की रोकथाम के लिए विशेष अभियान शुरू करने का संकेत भी दिया है। इसके तहत जिले के सभी अनुमोदित खनन स्थलों की भौतिक जांच की जाएगी और जिन स्थलों में अनुमति के बाहर खनन पाया जाएगा, उनके विरुद्ध आपराधिक एवं राजस्व वसूली की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि ग्राम स्तरीय सतर्कता समितियों को पुनः सक्रिय किया जा रहा है, ताकि वे स्थानीय स्तर पर खनन से संबंधित गतिविधियों पर नजर रखें और प्रशासन को समय से सूचित करें। साथ ही एक विशेष हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया जाएगा, जिस पर कोई भी व्यक्ति गुप्त रूप से अवैध खनन की सूचना दे सकेगा। डीएम ने जिले के समस्त खंड विकास अधिकारियों, तहसीलदारों एवं पुलिस थानों को निर्देशित किया है कि वे खनन गतिविधियों पर सतत निगरानी रखें। साथ ही निर्देशित किया गया है कि 16 अप्रैल तक विस्तृत जांच आख्या स्पॉट मेमो के साथ अनिवार्य रूप से प्रस्तुत की जाए। यदि यह समयावधि समाप्त होने तक रिपोर्ट नहीं दी जाती है, तो इसे सेवा में लापरवाही मानते हुए कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम से साफ हो गया है कि डीएम नेहा शर्मा प्रशासनिक जवाबदेही के मामले में किसी भी प्रकार की कोताही को सहन करने के पक्ष में नहीं हैं। उनका यह कदम जनहित के साथ-साथ प्रशासन की पारदर्शिता एवं कार्यप्रणाली में विश्वास को और मजबूत करता है। इससे यह संदेश भी गया है कि अब अधिकारी सिर्फ कागजी खानापूर्ति से नहीं बच सकते, बल्कि उन्हें ठोस कार्यवाही करनी ही होगी।