
गोंडा प्रशासन में हड़कंप, डीएम नेहा शर्मा ने वित्त एवं लेखाधिकारी की “परिनिन्दा” कर सख्त कार्रवाई के दिए निर्देश
गोंडा 4 फरवरी। जिले में प्रशासनिक व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए जिलाधिकारी (डीएम) नेहा शर्मा लगातार सख्त फैसले ले रही हैं। इसी कड़ी में उन्होंने वित्त एवं लेखाधिकारी, जिला पंचायत गोंडा की गंभीर लापरवाही को उजागर करते हुए कड़ी कार्रवाई की है। मामला स्वर्गीय रामयश मौर्य के दत्तक पुत्र अनूप कुमार की पारिवारिक पेंशन से जुड़ा है, जिसमें वित्त एवं लेखाधिकारी कामेश्वर प्रसाद ने गलत तथ्यों के आधार पर टिप्पणी करते हुए पेंशन आवेदन अस्वीकार करने की संस्तुति कर दी थी।
डीएम नेहा शर्मा की सख्ती के बाद पूरे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि जनहित से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। डीएम ने वित्त एवं लेखाधिकारी की “परिनिन्दा” करते हुए निर्देश दिया कि वे अपनी गलती सुधारें और एक सप्ताह के भीतर संशोधित प्रस्ताव सक्षम स्तर पर भेजें। इस आदेश से अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को भी सख्त संदेश गया है कि कोई भी निर्णय तथ्यों की सही जांच-पड़ताल के बाद ही लिया जाए।
पेंशन प्रकरण: लापरवाही की पूरी कहानी
स्वर्गीय रामयश मौर्य, जो कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) कार्यालय में कार्यरत थे, उनका 20 सितंबर 1999 को निधन हो गया था। उनके दत्तक पुत्र अनूप कुमार ने अपने अधिकारों के तहत पारिवारिक पेंशन के लिए आवेदन किया। लेकिन वित्त एवं लेखाधिकारी कामेश्वर प्रसाद ने बिना तथ्यों की गहन जांच किए गोदनामा विलेख को संदेहास्पद घोषित कर दिया और पेंशन का क्लेम खारिज करने की संस्तुति कर दी।
वित्त एवं लेखाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि गोदनामा विलेख 20 जुलाई 2000 को पंजीकृत हुआ, जबकि वास्तविकता यह थी कि गोदनामा 17 अगस्त 1999 को पंजीकृत हुआ था। इस भ्रामक रिपोर्ट के आधार पर पेंशन की प्रक्रिया अवरुद्ध कर दी गई, जिससे अनूप कुमार को अपने हक के लिए संघर्ष करना पड़ा।
डीएम नेहा शर्मा की सख्ती से खुली पोल
जब यह मामला डीएम नेहा शर्मा के संज्ञान में आया, तो उन्होंने तत्काल उप निबंधक, तरबगंज के कार्यालय से इस प्रकरण की जांच करवाई। जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि गोदनामा 17 अगस्त 1999 को विधिवत रूप से पंजीकृत किया गया था, जो कि स्व. रामयश मौर्य के निधन (20 सितंबर 1999) से पहले का है।
इससे साफ जाहिर होता है कि वित्त एवं लेखाधिकारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट तथ्यों के विपरीत थी। उन्होंने न केवल गलत सूचना दी, बल्कि एक पात्र व्यक्ति को उसका कानूनी हक मिलने में बाधा भी उत्पन्न की।
जांच रिपोर्ट के आधार पर डीएम नेहा शर्मा ने इस मामले को गंभीर प्रशासनिक लापरवाही करार दिया और स्पष्ट निर्देश दिए कि ऐसी त्रुटियों को दोहराने वाले अधिकारियों पर भविष्य में और कठोर कार्रवाई की जाएगी।
वित्त एवं लेखाधिकारी पर कड़ी कार्रवाई, “परिनिन्दा” कर दी चेतावनी
डीएम नेहा शर्मा ने इस पूरे प्रकरण को प्रशासनिक लापरवाही मानते हुए वित्त एवं लेखाधिकारी कामेश्वर प्रसाद की “परिनिन्दा” की। सरकारी तंत्र में “परिनिन्दा” एक कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है, जो अधिकारी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाती है और भविष्य में उसकी पदोन्नति व सेवाकाल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
डीएम ने इस पर स्पष्ट शब्दों में कहा,
“किसी भी अधिकारी को अपने व्यक्तिगत मत या बिना प्रमाणिकता की पुष्टि किए किसी निष्कर्ष पर पहुंचने का अधिकार नहीं है। प्रशासन का दायित्व पारदर्शिता और निष्पक्षता से कार्य करना है। यदि कोई अधिकारी मनमाने तरीके से जनहित के मामलों को प्रभावित करेगा, तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को निर्देश
डीएम ने इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को भी आदेश दिया है कि वे प्रकरण की पूरी जांच स्वयं करें और पारिवारिक पेंशन का संशोधित प्रस्ताव सक्षम स्तर पर भेजें।
साथ ही, एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
डीएम के इन निर्देशों के बाद अब प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बढ़ गया है कि वे किसी भी मामले में लापरवाही न बरतें।
इस कार्रवाई का व्यापक असर: प्रशासनिक जवाबदेही बढ़ी
डीएम नेहा शर्मा की इस सख्त कार्रवाई से जिले के अन्य प्रशासनिक अधिकारियों में भी हड़कंप मचा हुआ है। पारिवारिक पेंशन से जुड़े इस मामले ने यह साबित कर दिया कि अब अधिकारी बिना तथ्यों की जांच किए कोई निर्णय नहीं ले सकते।
सरकारी फाइलों में देरी, अनावश्यक आपत्तियां और तथ्यों को नजरअंदाज करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए यह फैसला मील का पत्थर साबित हो सकता है।
एक ओर जहां अनूप कुमार को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक अधिकारियों को भी स्पष्ट संदेश गया है कि वे मनमाने ढंग से जनहित के मामलों को प्रभावित करने का प्रयास न करें।
अनूप कुमार के लिए राहत भरी खबर
अनूप कुमार, जो कि कई महीनों से अपनी पारिवारिक पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे थे, अब राहत की सांस ले सकते हैं। डीएम के निर्देश के बाद संशोधित प्रस्ताव भेजा जाएगा और जल्द ही उनकी पारिवारिक पेंशन बहाल होने की उम्मीद है।
उन्होंने डीएम नेहा शर्मा का आभार व्यक्त करते हुए कहा,
“यदि डीएम साहिबा ने इस मामले को गंभीरता से न लिया होता, तो शायद मुझे न्याय नहीं मिल पाता। मैं उनके फैसले से बेहद संतुष्ट हूं।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा की सख्त नीति से प्रशासन में पारदर्शिता
गोंडा की जिलाधिकारी नेहा शर्मा प्रशासनिक मामलों में निष्पक्षता और जवाबदेही को प्राथमिकता दे रही हैं। वित्त एवं लेखाधिकारी की लापरवाही को उजागर कर उन्होंने यह संदेश दिया है कि प्रशासनिक अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से करना होगा।
यह मामला न केवल पारिवारिक पेंशन के हकदार अनूप कुमार के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि पूरे प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अब देखना यह होगा कि इस फैसले के बाद अन्य विभागों में भी कार्यशैली में कितना सुधार आता है। लेकिन इतना तय है कि डीएम नेहा शर्मा की सख्ती से जिले में प्रशासनिक सुशासन की नई मिसाल कायम हो रही है।