गोंडा, 12 नवम्बर, 2024 – गोवंश संरक्षण को लेकर जनपद गोंडा में विशेष अभियान का संचालन हो रहा है, जिसमें डीएम नेहा शर्मा ने हाल में सख्त निर्देश दिए हैं। इस अभियान का उद्देश्य नगर क्षेत्र, प्रमुख बाजार और मुख्य मार्गों के किनारे निराश्रित गोवंशों को गो-आश्रय स्थलों तक पहुंचाकर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। जिलाधिकारी ने अभियान में लापरवाही बरतने पर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई है, और स्पष्ट कर दिया है कि जब तक शत प्रतिशत गोवंशों को सुरक्षित नहीं किया जाता, तब तक यह अभियान जारी रहेगा।
लापरवाही पर डीएम की कड़ी कार्रवाई
गोंडा के डीएम नेहा शर्मा ने 9 नवम्बर को प्रस्तुत की गई एक रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त किया, जिसमें अभियान के तहत अब तक केवल 67 गोवंशों को ही आश्रय स्थल तक पहुंचाने की बात कही गई थी। डीएम ने इसे खानापूर्ति करार देते हुए अधिकारियों को फील्ड में सक्रियता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को हिदायत दी है कि कागजों में आंकड़े भरने के बजाय वास्तविकता में अभियान को असरदार तरीके से चलाया जाए। डीएम ने कहा कि अभियान को कागजों तक सीमित रखने की बजाय फील्ड पर जाकर काम को गंभीरता से अंजाम देना होगा। इस दौरान, डीएम ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया कि वे व्यक्तिगत रुचि लेकर इस कार्य का नेतृत्व करें और अन्य संबंधित अधिकारियों के सहयोग से इसे सफल बनाएं।
नगर क्षेत्र और प्रमुख मार्गों से गोवंशों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का लक्ष्य
डीएम ने नगर क्षेत्र, प्रमुख बाजारों, और मुख्य मार्गों पर घूम रहे सभी निराश्रित गोवंशों को गो-आश्रय स्थलों तक पहुंचाने का आदेश दिया है। इस दिशा में, जिलाधिकारी ने कहा कि जब तक सभी गोवंशों का उचित संरक्षण नहीं हो जाता, तब तक यह अभियान नहीं रुकेगा। अभियान के अंतर्गत सभी गोवंशों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के बाद ही जिम्मेदार अधिकारियों के वेतन के आहरण पर विचार किया जाएगा। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया है कि गोवंशों की सुरक्षा और देखभाल में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
डीएम ने प्रमुख अधिकारियों को दिए कार्यक्षेत्र में सक्रियता बढ़ाने के निर्देश
जिलाधिकारी ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को विशेष रूप से निर्देशित किया कि वे फील्ड में जाकर अभियान का निरीक्षण करें और जिम्मेदार टीमों का मार्गदर्शन करें। इसके अतिरिक्त, डीएम ने अधिशासी अधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों को भी इस कार्य में सक्रिय सहयोग देने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि यदि किसी विकास खंड या नगर निकाय में किसी अधिकारी से सहयोग प्राप्त करने में कठिनाई होती है, तो इसकी सूचना जिलाधिकारी या मुख्य विकास अधिकारी को दी जाए। उन्होंने कहा कि गोवंशों का सुरक्षित परिवहन और देखभाल एक संवेदनशील मुद्दा है और इसमें किसी प्रकार की लापरवाही सहन नहीं की जाएगी।
कागजों पर नहीं, फील्ड पर होनी चाहिए कार्यवाही
डीएम ने निर्देश दिया कि अभियान को सिर्फ कागजों में दर्ज आंकड़ों तक सीमित न रखें। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया कि वे फील्ड में जाकर गोवंश संरक्षण अभियान का जायजा लें। डीएम का कहना है कि यह अभियान सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि गोवंशों की सुरक्षा और उन्हें सड़कों पर भटकने से बचाने के लिए एक आवश्यक कदम है। इस अभियान के दौरान डीएम ने कहा कि जो भी अधिकारी इस कार्य में लापरवाही बरतेगा, उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि अभियान के दौरान प्रतिदिन की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए ताकि अभियान की सटीकता और सफलता सुनिश्चित की जा सके।
अभियान में अब तक की स्थिति और आंकड़े
अभियान की शुरुआत से लेकर अब तक मात्र 67 गोवंशों को ही गो-आश्रय स्थलों तक पहुंचाया गया है। डीएम ने इसे निराशाजनक बताते हुए अधिकारियों से सवाल किया कि आखिर इतने बड़े जिले में इतनी छोटी संख्या में गोवंशों को आश्रय स्थल तक क्यों पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि अगर आवश्यक हो तो और अधिक संसाधनों का उपयोग करें, लेकिन सुनिश्चित करें कि अभियान का लक्ष्य पूरा हो।
डीएम का दृष्टिकोण: गोवंश संरक्षण का मुद्दा और इसके व्यापक प्रभाव
डीएम नेहा शर्मा ने कहा कि गोवंश संरक्षण केवल पशु कल्याण से संबंधित नहीं है, बल्कि यह जनहित का भी मामला है। निराश्रित गोवंशों के सड़कों पर भटकने से यातायात और सुरक्षा को भी खतरा होता है। इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि इन गोवंशों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए, जिससे जनता को भी राहत मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि गोवंशों का सड़कों पर होना न केवल यातायात जाम का कारण बनता है, बल्कि दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ाता है। डीएम ने कहा कि इस मुद्दे को हल करने के लिए अधिकारियों को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
जिलाधिकारी का कड़ा संदेश: लापरवाही की स्थिति में सख्त कार्यवाही
डीएम ने अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया है कि यदि इस अभियान में किसी प्रकार की लापरवाही पाई गई तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस कार्य के प्रति जो भी अधिकारी जिम्मेदार हैं, वे अपनी भूमिका को गंभीरता से निभाएं। डीएम ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि यदि अभियान में कोताही बरती गई तो उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। जिलाधिकारी ने अधिकारियों से यह भी कहा कि यदि उन्हें अभियान में किसी प्रकार की कठिनाई आती है तो वे सीधे उनसे संपर्क कर सकते हैं।
स्थानीय लोगों की राय और अपेक्षाएं
स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी के इस अभियान की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि इससे सड़कों पर भटक रहे गोवंशों की समस्या का समाधान होगा। लोगों का मानना है कि यदि प्रशासन इस अभियान को गंभीरता से चलाए तो गोवंशों की सुरक्षा के साथ-साथ यातायात समस्या भी कम हो सकती है। कई लोगों का कहना है कि सड़कों पर भटक रहे गोवंशों के कारण दुर्घटनाएं होती हैं और यातायात जाम भी लगता है। ऐसे में, प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान से उन्हें उम्मीद है कि शहर की स्थिति में सुधार आएगा। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से यह भी अपील की है कि वे इस अभियान को और तेज करें ताकि गोवंशों को शीघ्र ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।
गोवंश संरक्षण अभियान: भविष्य की दिशा और आवश्यक कदम
डीएम ने कहा कि इस अभियान को प्रभावी बनाने के लिए सभी अधिकारियों को एकजुट होकर काम करना होगा। अभियान को सफल बनाने के लिए उन्हें टीम भावना से कार्य करने की आवश्यकता है। डीएम ने यह भी कहा कि गोवंशों की सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत है, जिसमें सभी संबंधित विभागों का समन्वय हो। उन्होंने कहा कि इस अभियान को केवल एक बार की कार्यवाही के रूप में नहीं, बल्कि सतत प्रक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिए।
अभियान को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन और स्थानीय निकायों को एक ठोस कार्य योजना बनानी होगी, जिसमें गोवंशों के लिए और अधिक आश्रय स्थलों का निर्माण और उचित देखभाल के प्रावधान शामिल हों। डीएम ने कहा कि यदि आवश्यक हो तो निजी क्षेत्र और सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिया जा सकता है ताकि अधिक संसाधनों का उपयोग किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि गोवंशों की नियमित देखभाल और भोजन की व्यवस्था के लिए भी एक योजना तैयार की जाएगी।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा चलाए जा रहे इस विशेष अभियान ने गोंडा में गोवंश संरक्षण की दिशा में एक नई उम्मीद जगाई है। डीएम की सख्ती और अभियान को प्रभावी बनाने के प्रयासों से स्थानीय लोगों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। डीएम का स्पष्ट संदेश है कि गोवंशों की सुरक्षा और देखभाल में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इस प्रकार, गोंडा का यह अभियान न केवल गोवंशों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को भी यातायात और अन्य समस्याओं से राहत दिलाएगा। डीएम नेहा शर्मा की यह पहल भविष्य में अन्य जिलों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है। यदि अभियान सही तरीके से चलता रहा तो निश्चित ही यह गोंडा में एक सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा।

