
गोंडा 6 जनवरी। जिले के अनुदानित लघु माध्यमिक विद्यालयों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की कहानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इन संस्थानों में फर्जी दस्तावेज, न्यायालय को गुमराह करने और धोखाधड़ी के मामले लगातार उजागर हो रहे हैं। ऐसे ही एक चर्चित विद्यालय “जनता लघु माध्यमिक विद्यालय सर्वांगपुर कटरा बाजार” पर एसआईटी और एसटीएफ की टीमें लंबे समय से जांच कर रही हैं। हालांकि, जांच में भारी गड़बड़ियों का खुलासा होने के बावजूद, प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक दबाव के चलते अब तक ठोस कार्रवाई का अभाव दिख रहा है।
भ्रष्टाचार का शुरुआती खुलासा
यह मामला 2018 में उस समय प्रकाश में आया, जब जनता लघु माध्यमिक विद्यालय द्वारा सहायक अध्यापक पदों पर रिक्तियों का दावा करते हुए एक पत्र बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) को दिया गया। इस पत्र में दावा किया गया कि विद्यालय में सहायक अध्यापक पद पर भर्तियां होनी चाहिए, और इसके साक्ष्य के रूप में पत्रांक संख्या 2710/87-88, दिनांक 6 अक्टूबर 1987 का उल्लेख किया गया।
बीएसए ने इस पत्र पर संदेह प्रकट करते हुए सत्यापन के लिए संबंधित सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक), फैजाबाद मंडल को लिखा। जवाब में सहायक शिक्षा निदेशक ने स्पष्ट किया कि दिए गए पत्रांक संख्या का कोई रिकॉर्ड तत्कालीन डिस्पैच पंजिका में मौजूद नहीं है। इसके आधार पर बीएसए ने चयन पत्रावली को निरस्त कर दिया।
फर्जी दस्तावेजों का खेल और न्यायालय में दायर याचिका
न केवल प्रशासन को गुमराह किया गया, बल्कि इसी फर्जी पत्र के आधार पर हाई कोर्ट में भी नियुक्ति के लिए अनुरोध किया गया। याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय में दावा किया कि उनकी नियुक्ति को अनावश्यक रूप से रोका जा रहा है और बीएसए को निर्देश दिया जाए कि वह नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करें।
हाई कोर्ट के आदेश पर बीएसए ने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज फर्जी हैं। इसके बावजूद, बीएसए ने फर्जीवाड़ा करने वाले व्यक्तियों या संस्था के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की।
व्यवस्था की विफलता और निजी लाभ का संदेह
यह मामला प्रशासनिक और कानूनी विफलताओं की मिसाल बन गया है। वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना है कि बीएसए को फर्जीवाड़े का खुलासा करने के साथ-साथ संबंधित अभ्यर्थियों और प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराना चाहिए था। इसके अतिरिक्त, हाई कोर्ट में भी जवाब दाखिल कर कड़ी कार्रवाई की मांग करनी चाहिए थी।
हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि तत्कालीन बीएसए ने निजी लाभ या अन्य दबावों के चलते मामले को दबाने की कोशिश की। न तो प्रबंधन के खिलाफ कोई कानूनी कदम उठाया गया और न ही फर्जी तरीके से नियुक्ति पाने का प्रयास करने वालों पर कोई कार्रवाई हुई।
दस्तावेजों की सच्चाई और प्रशासन की अनदेखी
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि 6 अक्टूबर 1987 का संदर्भित पत्र कभी जारी ही नहीं हुआ था। यह फर्जी दस्तावेज, स्कूल प्रबंधन और अभ्यर्थियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था। इसके बावजूद, एसआईटी और एसटीएफ की जांच रिपोर्ट के बाद भी कार्रवाई का न होना, गोंडा की शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
जनता लघु माध्यमिक विद्यालय का भविष्य
जनता लघु माध्यमिक विद्यालय सर्वांगपुर कटरा बाजार जैसे प्रतिष्ठित संस्थान का नाम इन घोटालों में जुड़ना गोंडा के शिक्षा क्षेत्र की विश्वसनीयता पर बड़ा धब्बा है। यह मामला यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार एक सशक्त और पारदर्शी जांच प्रणाली के बावजूद भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई न होने से अपराधियों का हौसला बढ़ता है।
समाज और प्रशासन के लिए सबक
यह प्रकरण न केवल गोंडा प्रशासन बल्कि प्रदेश के शिक्षा विभाग के लिए भी आत्ममंथन का समय है। फर्जीवाड़ा करने वालों पर कार्रवाई न होने से यह संदेश जाता है कि कानून और व्यवस्था भ्रष्टाचार के खिलाफ कमजोर हैं।
जरूरत है कि:
1. कानूनी प्रक्रिया को सशक्त बनाया जाए: भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाएं।
2. प्रबंधन की जिम्मेदारी तय हो: स्कूल प्रबंधन को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए।
3. शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाए जाए: भर्ती प्रक्रिया में तकनीकी उपाय और निगरानी सुनिश्चित हो।
प्रभात भारत विशेष
जनता लघु माध्यमिक विद्यालय का यह मामला गोंडा जिले में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है। शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में इस तरह की अनियमितताएं न केवल बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेलती हैं, बल्कि समाज में शिक्षा की मूलभूत धारणाओं को भी कमजोर करती हैं। अब समय है कि प्रशासन और न्यायपालिका सख्ती से इन मामलों पर लगाम लगाएं और दोषियों को सजा दिलाएं। तभी गोंडा और प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और विश्वास की भावना स्थापित हो सकेगी।