
यातायात और सड़क सुरक्षा पर आधारित पुस्तक को पुलिस प्रशिक्षण में शामिल किए जाने की संस्तुति
लखनऊ, 26 अप्रैल। उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय में आज पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार द्वारा अपर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस महानिदेशक के स्टाफ ऑफिसरपूर्णेन्दु सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘सड़क सुरक्षा विमर्श’ का विधिवत विमोचन किया गया। यह पुस्तक भारत में सड़क सुरक्षा और यातायात की वर्तमान स्थिति पर आधारित है, जिसमें दुर्घटनाओं के कारणों, रोकथाम, और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक, प्रशिक्षण निदेशालय, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) तथा अपर पुलिस महानिदेशक (यातायात) सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि ‘सड़क सुरसा विमर्श’ न केवल एक उत्कृष्ट शोधपरक प्रयास है, बल्कि यह पुस्तक पुलिस बल, प्रशासनिक अधिकारियों, नीति निर्धारकों और आमजन के लिए भी अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।
पुस्तक विमोचन 📘
पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश, श्री प्रशान्त कुमार द्वारा अपर पुलिस अधीक्षक श्री पूर्णेन्दु सिंह की पुस्तक "सड़क सुरक्षा विमर्श" का विमोचन किया गया। पुस्तक में भारत की यातायात एवं सड़क सुरक्षा परिदृश्य पर बहुत व्यापक रूप से वर्णन किया गया है। इसमें न केवल सड़क… pic.twitter.com/yd2znW3Kor
— UP POLICE (@Uppolice) April 25, 2025
पूर्णेन्दु सिंह द्वारा लिखित इस पुस्तक में सड़क दुर्घटनाओं को केवल एक आकस्मिक घटना के रूप में नहीं, बल्कि एक सामाजिक त्रासदी के रूप में देखा गया है। लेखक ने दुर्घटनाओं के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला है। उनका मानना है कि दुर्घटना के बाद पीड़ित परिवारों पर जो प्रभाव पड़ता है, वह लंबे समय तक समाज की उत्पादकता और मानसिक संरचना को प्रभावित करता है।
पुस्तक में उल्लेख है कि सड़क सुरक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें समाज के प्रत्येक वर्ग की भागीदारी आवश्यक है। लेखक ने इस दिशा में कार्य कर रहे विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों, ऑटोमोबाइल कंपनियों की परियोजनाओं और मोटर प्रशिक्षण संस्थानों के कार्यों को पुस्तक में समाहित किया है। इन सभी प्रयासों का विश्लेषण कर यह दर्शाया गया है कि सड़क सुरक्षा सामूहिक प्रयास से ही संभव हो सकती है।
लेखक ने संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों का तुलनात्मक अध्ययन भी प्रस्तुत किया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि भारत को सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में वैश्विक मानकों के अनुरूप कार्य करने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया है कि सख्त प्रवर्तन, नागरिक सहभागिता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समन्वय से ही सुधार संभव है।
पुस्तक में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा हेतु किए जा रहे प्रयासों का भी विशेष उल्लेख किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर चल रहे सड़क सुरक्षा सप्ताह, जन-जागरूकता अभियानों, और सड़क इंजीनियरिंग में सुधार जैसे विभिन्न पहलुओं को समाहित कर यह दिखाया गया है कि प्रदेश सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और ठोस कदम उठा रही है।
आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था और ‘गोल्डन ऑवर’ की अवधारणा पर भी इस पुस्तक में प्रकाश डाला गया है। दुर्घटना के बाद की प्राथमिक चिकित्सा सहायता, एम्बुलेंस सेवाएं, ट्रॉमा सेंटर की उपलब्धता जैसे विषयों को विस्तार से समझाते हुए लेखक ने यह बताया है कि केवल जागरूकता ही नहीं, बल्कि व्यवस्थागत सुधार भी आवश्यक है।
डीजीपी प्रशांत कुमार ने पुस्तक के विमोचन के दौरान यह अपेक्षा व्यक्त की कि ‘सड़क सुरक्षा विमर्श’ को पुलिस प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए ताकि अधिक से अधिक पुलिस कर्मी इससे लाभान्वित हो सकें। उन्होंने यह भी कहा कि यातायात व्यवस्था और सड़क सुरक्षा अब महज कानून व्यवस्था का विषय नहीं, बल्कि यह समाज के नैतिक दायित्व और प्रशासनिक सजगता का परीक्षण भी है।
कार्यक्रम के अंत में पूर्णेन्दु सिंह ने कहा कि उन्होंने इस पुस्तक को वर्षों के फील्ड अनुभव, अनुसंधान और संवेदना के साथ तैयार किया है। उनका उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि समाज को एक सुरक्षित परिवेश की दिशा में प्रेरित करना है। उन्होंने आशा जताई कि यह पुस्तक नीति निर्धारकों, शिक्षकों, छात्रों और आम नागरिकों के लिए एक जागरूकता का माध्यम बनेगी।
इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों ने भी पुस्तक की सराहना की और इसे उत्तर प्रदेश पुलिस के ज्ञान-कोष में एक महत्वपूर्ण योगदान बताया। विमोचन समारोह के माध्यम से यह संदेश गया कि सड़क सुरक्षा केवल एक प्रशासनिक विषय नहीं, बल्कि यह जनजागरूकता और सामाजिक उत्तरदायित्व का साझा क्षेत्र है जिसमें ‘सड़क सुरक्षा विमर्श’ एक सार्थक प्रयास है।