
धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे भारत और दुनिया भर में बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन का महत्व मुख्य रूप से धन और स्वास्थ्य के देवताओं – भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा से जुड़ा हुआ है। धनतेरस को दिवाली के पाँच दिवसीय उत्सव का पहला दिन माना जाता है, और यह भाई दूज के साथ समाप्त होता है। इस दिन को शुभ और सौभाग्यशाली मानते हुए, लोग नए सामान, विशेष रूप से सोना, चांदी, आभूषण, और बर्तन खरीदते हैं।
धनतेरस 2024: तिथि और समय
धनतेरस या धनत्रयोदशी इस वर्ष 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ 29 अक्टूबर को रात 12:01 बजे से होगा, और यह तिथि 30 अक्टूबर को सुबह 2:45 बजे समाप्त होगी।
इस शुभ दिन पर पूजा का विशेष महत्व होता है, और इसके लिए कुछ निश्चित मुहूर्त तय किए गए हैं। 29 अक्टूबर 2024 को शाम 7:27 बजे से रात 9:16 बजे तक धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त है। प्रदोष काल 6:37 बजे से 9:16 बजे तक रहेगा, जबकि वृषभ काल शाम 7:27 बजे से रात 9:19 बजे तक होगा। इन मुहूर्तों के दौरान की गई पूजा और खरीदी को शुभ और सौभाग्यवर्धक माना जाता है।
धनतेरस का महत्व
धनतेरस का विशेष महत्व इस दिन के साथ जुड़े धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं से है। यह दिन भगवान कुबेर, जो धन के देवता माने जाते हैं, और भगवान धन्वंतरि, जो चिकित्सा के देवता हैं, की पूजा के लिए समर्पित है। धनतेरस का नाम स्वयं ही इस पर्व के उद्देश्य को परिभाषित करता है – ‘धन’ का अर्थ है संपत्ति और ‘तेरस’ का अर्थ है तेरहवां दिन। अतः धनतेरस का तात्पर्य धन के लिए समर्पित दिन से है, जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है।
इस दिन लोग अपने घरों में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के लिए भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं। भगवान धन्वंतरि का जन्म भी इसी दिन हुआ था, इसीलिए उन्हें याद करने और पूजा करने से आयु, स्वास्थ्य, और दीर्घ जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
धनतेरस के दिन सोना, चांदी, और अन्य कीमती धातुएं खरीदना शुभ माना जाता है। यह परंपरा सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है, और ऐसा विश्वास है कि इससे घर में धन, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है। इस दिन लोग बर्तन, गहने और अन्य वस्त्र खरीदते हैं, क्योंकि माना जाता है कि इससे घर में आर्थिक स्थिरता और सफलता का आगमन होता है।
धनतेरस के अनुष्ठान
धनतेरस के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और पूजा की तैयारियां करते हैं। इसके बाद वे अपने घर को पूरी तरह से साफ करते हैं, क्योंकि इसे पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। घर को फूलों, रंगोली, और रोशनी से सजाया जाता है, जिससे देवी लक्ष्मी का स्वागत किया जा सके।
इस दिन शुभ मुहूर्त के दौरान सोना, चांदी, बर्तन, और अन्य वस्तुएं खरीदने की परंपरा है। इसे संपत्ति में वृद्धि और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। धनतेरस पर बाजारों में भीड़ बढ़ जाती है, और लोग अपने प्रियजनों के लिए भी उपहार खरीदते हैं।
धनतेरस के दिन गौधूलि के समय, यम दीपदान का एक विशेष अनुष्ठान किया जाता है। इसमें चार मुख वाला दीया जलाया जाता है और इसे भगवान यमराज को अर्पित किया जाता है। इस अनुष्ठान को ‘यम दीपम’ के रूप में जाना जाता है। यह माना जाता है कि इस दीपदान से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है, और भगवान यम सभी प्रकार की समस्याओं और कष्टों को दूर करते हैं।
यम दीपम के इस अनुष्ठान का महत्व यह है कि इससे घर में शांति और सुरक्षा का वातावरण बना रहता है। मान्यता है कि यमराज, जो मृत्यु के देवता हैं, इस दीपदान से प्रसन्न होते हैं और घर में कष्ट व दुर्भाग्य का नाश होता है।
धनतेरस के माध्यम से समाज में समृद्धि का संदेश
धनतेरस न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन के माध्यम से समाज में समृद्धि और खुशहाली का संदेश फैलता है। लोग अपने परिवारों के साथ यह त्योहार मनाते हैं और संपत्ति में वृद्धि की कामना करते हैं। यह पर्व यह भी सिखाता है कि संपत्ति और सुख दोनों के बीच संतुलन बनाना जरूरी है।
समाज में इस पर्व के दौरान दान-पुण्य का महत्व भी बढ़ता है। लोग गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं और उन्हें धन, वस्त्र, और भोजन प्रदान करते हैं। इससे समाज में भाईचारा और सहयोग की भावना बढ़ती है।
धनतेरस एक ऐसा पर्व है, जो न केवल घरों में आर्थिक संपन्नता का प्रतीक है, बल्कि समाज में सकारात्मकता और खुशहाली का संचार करता है। लोग इस दिन नए-नए सामान खरीदकर अपने घरों को सजाते हैं और अपने जीवन को खुशहाल बनाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हैं।
प्रभात भारत विशेष
धनतेरस एक ऐसा पर्व है जो समाज में आर्थिक और सामाजिक खुशहाली का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि ईश्वर की पूजा के साथ-साथ समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी समझना चाहिए। धनतेरस का पर्व संपत्ति और सुख के बीच संतुलन का संदेश देता है, जो हमारे जीवन को खुशहाल और सफल बनाता है।
धनतेरस का दिन समर्पित है भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए, जो हमें यह सिखाता है कि संपत्ति के साथ-साथ स्वास्थ्य का महत्व भी समान रूप से है। यह पर्व हमारे जीवन में सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक बनकर आता है और हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
आशा है कि इस धनतेरस, लोग अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव करेंगे और समाज में भी इस पर्व का महत्व बढ़ेगा।