
अयोध्या 30 अक्टूबर। 8वें दीपोत्सव के अवसर पर दिवाली की पूर्व संध्या पर अयोध्या एक बार फिर दिव्य प्रकाश से जगमगा उठी। पूरे शहर में भूमि, जल और आकाश का संगम दिखा, जहां भक्तों ने सरयू के तट पर भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह 500 वर्षों बाद का पहला ऐसा दीपोत्सव है जब भगवान राम अपने निवास पर दिवाली मना रहे हैं। इस अवसर पर अयोध्या ने दो नए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए।
नया रिकॉर्ड: 25 लाख से अधिक दीयों का प्रकाश
राम की पैड़ी पर आयोजित दीपोत्सव में 1,121 स्वयंसेवकों की मदद से 25,12,585 दीये एक साथ प्रज्ज्वलित किए गए, जो पिछले वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक नया मानक स्थापित कर गया। यह आयोजन गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा प्रमाणित किया गया। कुल मिलाकर, शहर में लगभग 35 लाख दीये जलाए गए, जिससे अयोध्या का प्रत्येक घर, मंदिर, आश्रम, और मठ इस अलौकिक प्रकाश से रोशन हो गया। इस भव्य आयोजन में 30,000 से अधिक स्वयंसेवकों, विभिन्न महाविद्यालयों, इंटर कॉलेजों और गैर सरकारी संगठनों ने सहयोग किया।
सरयू आरती में दूसरा रिकॉर्ड
नया घाट पर आयोजित सरयू आरती भी एक अभूतपूर्व दृश्य प्रस्तुत करती है। इसमें 1,121 स्वयंसेवकों और संतों ने एक समन्वित ढंग से दीयों की परिक्रमा की, जिससे एक नया गिनीज रिकॉर्ड स्थापित हुआ। यह आरती संध्या के समय की गई, जिसके बाद गिनीज बुक के निर्णायकों ने जलते दीयों की संख्या की घोषणा की। श्रद्धालुओं ने इस अद्वितीय आरती को बड़े उत्साह से देखा और इसे एक ऐतिहासिक क्षण बताया।
ड्रोन शो और अन्य आकर्षण
इस वर्ष दीपोत्सव का एक और खास आकर्षण 500 ड्रोन का बेड़ा था, जिसने आकाश में समन्वित शो प्रस्तुत किया। छोटे दीपों और आकाशीय शो के बीच तालमेल ने इस आयोजन को अद्वितीय बना दिया। ड्रोन शो को विशेष रूप से छोटी दिवाली के मौके पर आयोजित किया गया, जो भक्तों और पर्यटकों के लिए यादगार रहा।
प्रमुख व्यक्तित्व और विशेष अतिथियों की उपस्थिति
दीपोत्सव में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली बार राम की पैड़ी पर दीया जलाकर इसका शुभारंभ किया। उनके साथ केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, और राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी उपस्थित थे। इस भव्य आयोजन के तहत मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया था और धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ आस्था और परंपरा का अनूठा समन्वय देखने को मिला।
प्राचीन कला, संगीत, और झांकी का आयोजन
दीपोत्सव का प्रारंभ 18 भव्य झांकियों के प्रदर्शन से हुआ, जो सुबह साकेत इंटरकॉलेज से राम कथा पार्क तक निकलीं। प्रत्येक झांकी ने भगवान राम के जीवन और उनके आदर्शों का प्रदर्शन किया। रास्ते में कलाकारों, संगीतकारों और ढोल वादकों ने संगीत और गीतों के माध्यम से झांकी का उत्साह बढ़ाया। झांकी मार्ग में उपस्थित नागरिक, पर्यटक और श्रद्धालु इन पर पुष्प वर्षा कर रहे थे, जिससे माहौल और भी भव्य हो गया।
शहर में सुरक्षा प्रबंध और व्यवस्था
इस बड़े आयोजन को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए व्यापक सुरक्षा प्रबंध किए गए थे। पुलिस और प्रशासन ने शहर में जगह-जगह बैरिकेडिंग की थी और सुरक्षा के लिए अत्यधिक सावधानी बरती गई। आईटी पेशेवर करमवीर सिंह, जो पुणे से आए थे, ने कहा कि उन्होंने इस आयोजन का भरपूर आनंद लिया, हालांकि, बाहरी लोगों के लिए सुरक्षा प्रबंध के चलते शहर में घूमना चुनौतीपूर्ण रहा।
अवध विश्वविद्यालय और स्वयंसेवकों का योगदान
डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय और अन्य महाविद्यालयों के 30,000 से अधिक स्वयंसेवकों ने दीप जलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने तेल और बाती डालकर दीपों को प्रज्वलित करने का कार्य किया। इस आयोजन में स्थानीय समुदाय और छात्रों का योगदान अत्यंत सराहनीय रहा।
इस दीपोत्सव के माध्यम से अयोध्या ने न केवल एक धार्मिक आयोजन किया, बल्कि इसे सांस्कृतिक धरोहर का स्वरूप भी प्रदान किया। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिला और स्थानीय समुदाय को एकजुट होकर अपनी संस्कृति का गौरव मनाने का अवसर मिला। राम मंदिर के पुनः स्थापना के बाद पहली दिवाली को मनाने के लिए यह दीपोत्सव विशेष बन गया।
अयोध्या का यह दीपोत्सव न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह आस्था और एकता का भी संगम है। दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के साथ, यह आयोजन अपने आप में एक नया इतिहास रचता है। दीपों की जगमगाहट, भक्तों की श्रद्धा और भव्य आयोजन ने इस दीपोत्सव को चिरस्मरणीय बना दिया।