
भारत ने डिजिटल युग को आगे बढ़ाया: वैश्विक दूरसंचार शिखर सम्मेलन में नई ऊँचाइयाँ
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर। भारत की राजधानी नई दिल्ली ने अक्टूबर 2024 में दुनिया के सबसे बड़े दूरसंचार शिखर सम्मेलनों में से एक की मेजबानी की। यह सम्मेलन न केवल डिजिटल समावेश और तकनीकी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम था, बल्कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डिजिटल क्रांति की दिशा में किए गए प्रयासों की भी एक अहम झलक पेश करता है। यह आयोजन 15 से 24 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें 30 से अधिक देशों के प्रमुख नीति-निर्माता, उद्योग जगत के दिग्गज और दूरसंचार विशेषज्ञ एक साथ आए हैं। इसका उद्देश्य था, वैश्विक स्तर पर डिजिटल और दूरसंचार क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना, नवाचार और निवेश को प्रोत्साहित करना और डिजिटल समावेश को साकार करना।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उद्घाटन भाषण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए भारत की डिजिटल प्रगति और दूरसंचार क्षेत्र में देश की उभरती भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने अपने भाषण में कहा, “भारत 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ रहा है, और इस प्रक्रिया में दूरसंचार क्षेत्र रीढ़ की हड्डी साबित होगा।” उन्होंने आगे यह भी उल्लेख किया कि कैसे पिछले कुछ वर्षों में उनकी सरकार ने भारत को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, जिससे आज भारत दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल बाजारों में से एक बन चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जोर दिया कि भारत के डिजिटल परिवर्तन ने केवल शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसके सकारात्मक प्रभाव देखे जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि हर व्यक्ति के पास सुलभ और किफायती इंटरनेट हो। यह सम्मेलन उन वैश्विक सहयोगों को और मजबूत करेगा जो हमें इस लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेंगे।”
डिजिटल युग का नेतृत्व: 5जी और उससे आगे
सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण 5जी और उससे आगे की तकनीकों पर केंद्रित था। 5जी नेटवर्क की तैनाती पर विशेषज्ञों की गहन चर्चा हुई, जिसमें यह विचार सामने आया कि भारत जल्द ही वैश्विक 5जी नवाचार का एक केंद्र बन सकता है। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने 5जी के तेजी से रोलआउट के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया है, जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था को और गति मिल सके। उन्होंने कहा, “5जी के माध्यम से हम न केवल अपनी कनेक्टिविटी में सुधार करेंगे, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योगों में भी क्रांति लाएंगे।”
यह स्पष्ट है कि 5जी नेटवर्क के व्यापक उपयोग से स्मार्ट शहरों का विकास, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का व्यापक प्रसार, और स्वचालित उद्योगों का उभरना संभव होगा। इस संदर्भ में, मोदी सरकार ने फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क के विस्तार और टावरों की संख्या बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की योजनाओं की भी घोषणा की, जिससे पूरे भारत में 5जी कनेक्टिविटी संभव हो सके।
डिजिटल समावेश: ग्रामीण भारत तक इंटरनेट की पहुंच
प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है डिजिटल समावेश, खासकर उन दूरदराज के क्षेत्रों में जहां पहले तक इंटरनेट की पहुंच सीमित थी। इस सम्मेलन में विशेषज्ञों और नीति-निर्माताओं ने इस पर चर्चा की कि किस तरह डिजिटल समावेश को और अधिक बढ़ावा दिया जा सकता है ताकि ग्रामीण और वंचित समुदायों को भी सस्ती और सुलभ इंटरनेट सेवाएँ प्राप्त हो सकें।
भारत सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ योजना ने अब तक 2 लाख से अधिक गांवों में ब्रॉडबैंड पहुंचा दी है। इस योजना के तहत अनेक पहलों को लागू किया गया है, जैसे ‘भारतनेट’, जिसने ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच को सुनिश्चित किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बारे में कहा, “डिजिटल समावेश का मतलब है कि हर नागरिक को समान अवसर मिले, चाहे वह किसी भी क्षेत्र से हो। इंटरनेट की शक्ति ने हमें यह अवसर प्रदान किया है कि हम सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक असमानताओं को कम कर सकें।”
साइबर सुरक्षा की अहमियत
जब डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ती है, तो साइबर सुरक्षा की आवश्यकता भी बढ़ जाती है। इस सम्मेलन में साइबर सुरक्षा पर भी गहन चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि उपयोगकर्ताओं के डेटा की सुरक्षा के लिए भारत ने कई मजबूत कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, “हमारे लिए नागरिकों की गोपनीयता और डेटा सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।” भारत की सरकार ने इसके लिए अनेक नियम और नीतियाँ बनाई हैं, जिससे ऑनलाइन खतरों से बचाव सुनिश्चित किया जा सके।
विशेषज्ञों ने साइबर सुरक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि सरकार और निजी कंपनियों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि हर स्तर पर साइबर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसमें उन्नत एन्क्रिप्शन तकनीकों का उपयोग, साइबर हमलों से बचाव के लिए जागरूकता अभियानों का आयोजन, और साइबर सुरक्षा अनुसंधान को प्रोत्साहित करना शामिल है।
वैश्विक सहयोग और साझेदारी
सम्मेलन में वैश्विक सहयोग की महत्ता पर भी जोर दिया गया। 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने इस शिखर सम्मेलन में भाग लिया और एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने का अवसर प्राप्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बारे में कहा, “डिजिटल परिवर्तन कोई अकेला राष्ट्र नहीं कर सकता। हमें एक वैश्विक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें सभी देश एक साथ मिलकर काम करें।” उन्होंने ज्ञान साझाकरण और संयुक्त अनुसंधान पहलों की जरूरत पर जोर दिया, जिससे दुनिया के सभी हिस्सों में डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार हो सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डिजिटल दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल युग को अपनाने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। डिजिटल इंडिया अभियान के माध्यम से सरकार ने देश के हर कोने में डिजिटल सेवाओं को पहुंचाने का काम किया है। वित्तीय लेन-देन से लेकर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक, सभी क्षेत्रों में डिजिटल क्रांति आई है। भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) प्रणाली इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल रही है, जिसने डिजिटल भुगतान को आसान और सुलभ बनाया है।
मोदी ने इस अवसर पर कहा, “डिजिटल परिवर्तन केवल तकनीकी बदलाव नहीं है, यह सामाजिक और आर्थिक विकास का आधार है। हमने जो कदम उठाए हैं, वे न केवल भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक उदाहरण पेश करते हैं।”
भारत में डिजिटल युग का उदय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की डिजिटल क्रांति के प्रयासों ने इस वैश्विक दूरसंचार शिखर सम्मेलन को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बना दिया है। इस सम्मेलन ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत ने दूरसंचार और डिजिटल विकास में वैश्विक नेतृत्व की स्थिति हासिल कर ली है। प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी नीतियों ने न केवल देश की तकनीकी और आर्थिक क्षमताओं को उभारा है, बल्कि समाज के हर वर्ग को डिजिटल समावेश के माध्यम से सशक्त बनाने का मार्ग भी प्रशस्त किया है।
भारत अब वैश्विक स्तर पर एक डिजिटल पावरहाउस के रूप में उभर रहा है, जहाँ दूरसंचार क्षेत्र में नवाचार, सुरक्षा और समावेश को प्राथमिकता दी जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी की इस उपलब्धि ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत दुनिया के सबसे आगे बढ़ते डिजिटल बाजारों में से एक है, जो आने वाले वर्षों में वैश्विक डिजिटल क्रांति का नेतृत्व करेगा।