
नई दिल्ली, 15 अप्रैल। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के ₹13,500 करोड़ रुपये के महाघोटाले में मुख्य आरोपी और भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी अंततः कानून के शिकंजे में आ गया है। बेल्जियम पुलिस ने 12 अप्रैल को उसे उस वक्त गिरफ्तार किया, जब वह स्विट्जरलैंड भागने की फिराक में था। भारतीय जांच एजेंसियों ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और सीबीआई के लगातार प्रयासों के बाद यह सफलता हाथ लगी। चोकसी के खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी है और भारत सरकार ने उसके प्रत्यर्पण की औपचारिक प्रक्रिया तेज़ कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि वे जल्द से जल्द उसे भारत लाकर कानून के हवाले करना चाहते हैं।भारतीय एजेंसियों की निगरानी के बीच चोकसी काफी समय से बेल्जियम में था। जानकारी के अनुसार, वह चिकित्सा उपचार का बहाना बनाकर स्विट्जरलैंड भागने की योजना बना रहा था, जहाँ वह शरण की कोशिश कर सकता था। लेकिन इस योजना को अंजाम देने से पहले ही बेल्जियम पुलिस ने इंटरपोल के इनपुट पर उसे गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी चोकसी के खिलाफ वर्षों से चल रही अंतरराष्ट्रीय अभियान की एक अहम कड़ी है, जिसने इस भगोड़े की गतिविधियों पर लगाम लगाई।
बारबरा जबारिका का प्रवेश: एक रहस्यमयी महिला की भूमिका और हनी ट्रैप का दावा
इस पूरे प्रकरण में जिस नाम ने सबसे अधिक सुर्खियाँ बटोरीं, वह है बारबरा जबारिका। बारबरा हंगरी की नागरिक है, और चोकसी ने उस पर ‘हनी ट्रैप’ का आरोप लगाया है। चोकसी का दावा है कि बारबरा ने योजनाबद्ध तरीके से उससे दोस्ती की, फिर उसे फंसाकर अगवा करने की साजिश रची। उसका कहना है कि अपहरण की रात वह बारबरा के निमंत्रण पर रात्रिभोज के लिए गया था, जहाँ से उसे जबरन ले जाया गया। चोकसी की पत्नी प्रीति ने भी इन दावों की पुष्टि करते हुए कहा कि बारबरा का आचरण संदेहास्पद रहा है और वह उनके पति को फंसा चुकी है।मेहुल चोकसी जनवरी 2018 में भारत से भागकर कैरेबियाई द्वीप एंटीगुआ में जा बसा था, जहाँ उसने नागरिकता भी प्राप्त कर ली थी। मई 2021 में वह अचानक डोमिनिका में पकड़ा गया, जहाँ वह अवैध रूप से प्रवेश करता पाया गया। चोकसी का दावा था कि उसे भारतीय एजेंटों ने अपहरण कर डोमिनिका लाया, ताकि भारत प्रत्यर्पण को आसान बनाया जा सके। उसने स्थानीय अदालत में मुकदमा भी दर्ज कराया और बारबरा को इस पूरे प्रकरण में साजिशकर्ता बताया। हालांकि डोमिनिका ने उसे एंटीगुआ लौटने की अनुमति दे दी थी।
बारबरा का पक्ष: दोस्ती या फरेब?
बारबरा जबारिका ने चोकसी के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उसका कहना है कि दोनों की दोस्ती सामान्य थी और उसने कभी किसी साजिश में भाग नहीं लिया। उसने बताया कि मेहुल ने खुद को ‘राज’ नाम से परिचित कराया था और वही उसकी ओर आकर्षित था। बारबरा का कहना है कि उसने कभी चोकसी को मिलने के लिए मजबूर नहीं किया, न ही अपहरण के किसी प्रयास का हिस्सा रही। उसने चोकसी के व्यवहार को ‘मनगढंत और दोषारोपण’ करार दिया। यह बयान इस पूरे मामले को और रहस्यमय बना देता है।
बारबरा जबारिका ने अपने लिंक्डइन प्रोफाइल में खुद को एक प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट एजेंट बताया है, जिसके पास डायरेक्ट सेल्स, रियल एस्टेट और प्रबंधन क्षेत्र में 10 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वह खुद को एक ‘अनुभवी सेल्स नेगोशिएटर’ बताती है। उसका प्रोफेशनल नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय है, जिससे उसे विभिन्न देशों में काम करने का अनुभव है। लेकिन चोकसी द्वारा उस पर लगाए गए आरोपों ने उसकी पृष्ठभूमि पर भी संदेह खड़ा कर दिया है कि क्या वह किसी खुफिया ऑपरेशन का हिस्सा थी या वाकई एक स्वतंत्र प्रोफेशनल?
प्रत्यर्पण की प्रक्रिया: कानूनी चुनौतियाँ और कूटनीतिक संवाद
भारत सरकार अब बेल्जियम से मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में जुट गई है। प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत ने आवश्यक दस्तावेज और कानूनी साक्ष्य भेजे हैं। लेकिन चोकसी एक तेज़ तर्रार कानूनी टीम से लैस है, जो यह तर्क दे सकती है कि उसे भारत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी। इसके अलावा वह यह भी दावा कर सकता है कि उसे भारत भेजा जाना उसके मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा। भारत सरकार ने हालांकि इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कूटनीतिक और कानूनी स्तर पर तैयारी कर ली है।
मेहुल चोकसी पर कई गंभीर आरोप हैं। PNB घोटाले में उसका नाम नीरव मोदी के साथ जुड़ा हुआ है। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग, संपत्ति जब्ती, और अंतरराष्ट्रीय फंड ट्रांसफर जैसे कई मामलों में केस दर्ज कर रखा है। सीबीआई ने उसे मुख्य साजिशकर्ता बताया है जिसने भारतीय बैंकों को चूना लगाया और फिर फरार हो गया। भारत में उसकी सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्तियाँ जब्त हो चुकी हैं। ईडी का कहना है कि वह आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा और चोकसी की वापसी इसके लिए एक मिसाल होगी।मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी के बाद भारत में राजनीतिक हलचल भी देखने को मिली। विपक्षी दलों ने सरकार से पूछा कि इतने वर्षों तक उसे क्यों नहीं लाया जा सका। वहीं सरकार समर्थकों ने इस गिरफ्तारी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति और कूटनीतिक ताकत का परिणाम बताया। सोशल मीडिया पर भी बारबरा और चोकसी के किस्से मज़ाक और व्यंग्य का विषय बने हुए हैं। लोगों में यह जानने की उत्सुकता है कि इस हाई-प्रोफाइल मामला आखिर किस अंजाम तक पहुँचेगा।
क्या कानून का शिकंजा अब और मज़बूत होगा?
मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी से भारत सरकार को एक बड़ी नैतिक और कानूनी जीत जरूर मिली है, लेकिन अंतिम लड़ाई अब भी बाकी है—वह है चोकसी को भारत लाना और अदालत में दोष सिद्ध करना। यह केस सिर्फ एक आर्थिक अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि इसमें अंतरराष्ट्रीय राजनीति, गुप्त ऑपरेशन, और ‘हनी ट्रैप’ जैसी साज़िशों की गहराई भी छुपी है। यदि भारत सफलतापूर्वक उसे प्रत्यर्पित करा लेता है, तो यह न केवल एक अपराधी को सज़ा दिलाने की दिशा में मील का पत्थर होगा, बल्कि आर्थिक अपराधियों के लिए स्पष्ट संदेश भी होगा—”भागोगे, तो भी बच नहीं पाओगे।”