
गोंडा 24 अक्टूबर। शिक्षा का मंदिर, जहां बच्चों को ज्ञान की रोशनी मिलनी चाहिए, वह आज अत्याचार का स्थल बन गया है। कर्नलगंज शिक्षा क्षेत्र अंतर्गत कंपोजिट विद्यालय रामपुर के प्रभारी प्रधानाध्यापक गजाधर सिंह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह मासूम बच्चों की बेरहमी से डंडे से पिटाई करते नजर आ रहे हैं। इस घटना ने न केवल अभिभावकों को हिला दिया है, बल्कि पूरे गोंडा जिले के शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया है। यह मामला बच्चों के साथ हिंसा और अभद्रता का गंभीर उदाहरण बनकर सामने आया है, जिसने समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर शिक्षा के इन पवित्र स्थलों में बच्चों का भविष्य सुरक्षित है या नहीं।
घटना का विवरण
प्रभारी प्रधानाध्यापक गजाधर सिंह पर आरोप है कि वह न केवल छोटे-छोटे मासूम बच्चों की नियमित रूप से पिटाई करते हैं, बल्कि उन्होंने विद्यालय परिसर के एक कमरे को भी कब्जे में कर रखा है, जहां वह विद्यालय के परिसर में ही रह रहे हैं। वायरल हो रहे वीडियो में गजाधर सिंह कई बार बच्चों पर क्रूरता करते हुए नजर आ रहे हैं, जो उनकी दमनकारी प्रवृत्ति और अनुचित व्यवहार को स्पष्ट करता है।
पहला वीडियो: बच्चों की पंक्ति में खड़े मासूम की पिटाई
पहले वायरल वीडियो में, जो कि कंपोजिट विद्यालय रामपुर के प्रांगण में शूट किया गया है, प्रधानाध्यापक गजाधर सिंह कई बच्चों की उपस्थिति में एक छोटे बच्चे की बेरहमी से पिटाई कर रहे हैं। वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि वह बच्चा अपनी गलती के बारे में बताने की कोशिश कर रहा है, लेकिन प्रधानाध्यापक उसकी बात सुनने की बजाय उस पर लगातार डंडे से वार कर रहे हैं। इस वीडियो के सोशल मीडिया पर आने के बाद से अभिभावक और स्थानीय लोग गहरे आक्रोश में हैं।
दूसरा वीडियो: बरामदे में बैठे बच्चे की पिटाई
दूसरे वायरल वीडियो में गजाधर सिंह विद्यालय के बरामदे में बैठे एक अन्य बच्चे को डंडे से मारते नजर आते हैं। वीडियो से स्पष्ट होता है कि यह पिटाई किसी अनुशासनात्मक उद्देश्य के बजाय केवल दबंगई और क्रूरता का प्रदर्शन है। इस तरह की घटनाएं बच्चों की मानसिक स्थिति पर गहरा असर डालती हैं और उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाती हैं।
तीसरा वीडियो: सवाल न बता पाने पर बच्चों की पिटाई
तीसरे वायरल वीडियो में गजाधर सिंह बच्चों की लाइन लगवाकर एक-एक से सवाल पूछ रहे हैं। जब कोई बच्चा सही उत्तर नहीं दे पाता, तो उसे डंडे से बेरहमी से मारा जाता है। यह घटना न केवल शिक्षा के मूल्यों का उल्लंघन है, बल्कि यह दर्शाती है कि कैसे शिक्षा के नाम पर बच्चों के साथ मानसिक और शारीरिक हिंसा की जा रही है।
वायरल वीडियो के परिणाम
जब से ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, गोंडा जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में हलचल मच गई है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने तत्काल मामले की जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि दोषी पाए जाने पर प्रधानाध्यापक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अभिभावकों और स्थानीय निवासियों का आक्रोश
विद्यालय में इस तरह की घटनाओं के सामने आने के बाद स्थानीय निवासियों और अभिभावकों में भारी आक्रोश है। बच्चों के परिजन इस बात से नाखुश हैं कि जिस जगह पर उनके बच्चों को शिक्षा और सुरक्षा मिलनी चाहिए, वहां वे हिंसा का शिकार हो रहे हैं।
शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया
गोंडा बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इस पूरे मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। उनका कहना है कि “हम बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के प्रति बेहद गंभीर हैं। इस तरह की घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी और यदि गजाधर सिंह दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें तत्काल निलंबित किया जाएगा। साथ ही इस मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाएगी ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।”
बाल संरक्षण कानूनों का उल्लंघन
यह घटना न केवल शिक्षा व्यवस्था की विफलता का प्रतीक है, बल्कि यह बाल अधिकारों और सुरक्षा कानूनों के भी गंभीर उल्लंघन की ओर इशारा करती है। भारत में बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कई कड़े कानून बनाए गए हैं, जैसे कि बाल संरक्षण अधिनियम और शिक्षा का अधिकार अधिनियम। इन कानूनों के तहत किसी भी बच्चे के साथ हिंसा या दुर्व्यवहार को अपराध माना जाता है। लेकिन इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इन कानूनों का सही ढंग से पालन हो रहा है?
प्रधानाध्यापक का बचाव
वहीं, प्रधानाध्यापक गजाधर सिंह का कहना है कि यह वीडियो एक साजिश के तहत बनाया गया है ताकि उनकी छवि को धूमिल किया जा सके। उन्होंने अपनी सफाई में कहा है कि वह बच्चों के अनुशासन और बेहतर भविष्य के लिए कठोर कदम उठा रहे हैं, लेकिन उनका उद्देश्य बच्चों को नुकसान पहुंचाना नहीं था। हालांकि, वीडियो में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही क्रूरता उनके दावों के विपरीत है, और यह देखना होगा कि जांच के बाद इस मामले में क्या निष्कर्ष निकाला जाता है।
बच्चों की मानसिक स्थिति पर प्रभाव
इस तरह की घटनाएं बच्चों के मानसिक विकास और उनके आत्मविश्वास पर गहरा असर डालती हैं। कई मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि विद्यालय में इस प्रकार की हिंसा बच्चों के अंदर भय और असुरक्षा का भाव पैदा करती है। इससे न केवल उनका शैक्षिक प्रदर्शन प्रभावित होता है, बल्कि उनके व्यक्तित्व विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बच्चों को सुरक्षित और सहयोगी वातावरण में शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि वे अपने शैक्षिक लक्ष्यों को हासिल कर सकें और उनका संपूर्ण विकास हो सके।
सरकार और समाज की भूमिका
इस घटना के बाद समाज में एक बार फिर यह सवाल उठने लगा है कि क्या विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं? सरकार और शिक्षा विभाग को चाहिए कि वे इस तरह की घटनाओं की गंभीरता से जांच करें और सुनिश्चित करें कि शिक्षा के इन मंदिरों में बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय न हो।
कंपोजिट विद्यालय रामपुर की यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। बच्चों के साथ इस प्रकार की हिंसा न केवल उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि यह समाज के समक्ष एक महत्वपूर्ण मुद्दा भी प्रस्तुत करती है कि हमें अपने बच्चों की सुरक्षा और उनके भविष्य को गंभीरता से लेना होगा। प्रधानाध्यापक गजाधर सिंह के खिलाफ जांच के परिणाम के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि इस घटना के पीछे की सच्चाई क्या है, लेकिन इतना निश्चित है कि इस घटना ने गोंडा जिले में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अभी यह देखना बाकी है कि क्या इस घटना के बाद शिक्षा विभाग इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाता है या यह मामला भी अन्य घटनाओं की तरह समय के साथ भुला दिया जाएगा।