
घरेलू और वैश्विक बाजारों की सुस्ती ने खींचा निवेशकों का ध्यान
नई दिल्ली 8 नवंबर। पिछले कुछ दिनों से सोने और चांदी के दामों में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है, जिससे घरेलू निवेशकों, आभूषण विक्रेताओं और उद्योग जगत में खलबली मची हुई है। भारतीय बाजार में सोने की कीमत में करीब 1,650 रुपये की गिरावट आई है, जिससे इसका भाव 80,000 रुपये प्रति किलो के नीचे पहुंच गया। इसी प्रकार, चांदी में भी 2,900 रुपये की गिरावट देखने को मिली, जिससे इसकी कीमतें 79,500 रुपये प्रति किलो हो गई। सोने-चांदी के इस कीमत में अचानक गिरावट ने निवेशकों के बीच चिंता पैदा कर दी है, जो इसे सुरक्षित निवेश का जरिया मानते आए हैं।
वैश्विक बाजारों में गिरावट का प्रभाव
भारत में सोने-चांदी की कीमतों में इस गिरावट का एक बड़ा कारण वैश्विक बाजारों में आई सुस्ती है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में स्थिरता बनाए रखने और आर्थिक नीतियों के बदलावों के संकेतों ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेशकों के भरोसे को कमजोर किया है। सोने को अक्सर निवेशकों द्वारा “सुरक्षित आश्रय” के रूप में देखा जाता है, लेकिन जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ती है, तो इसका असर सोने की मांग और मूल्य पर प्रतिकूल रूप से पड़ता है। अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से भी सोने की मांग में कमी आई है, जिससे इसकी कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है।
घरेलू मांग में सुस्ती
घरेलू स्तर पर भी आभूषण विक्रेताओं और औद्योगिक इकाइयों की मांग में कमी आई है। त्योहारों के बाद आमतौर पर सोने और चांदी की मांग में गिरावट आ जाती है, लेकिन इस बार बाजार में अपेक्षाकृत अधिक सुस्ती देखी जा रही है। आभूषण निर्माताओं ने भी इस गिरावट का कारण बढ़ते उत्पादन लागत और श्रम लागत में वृद्धि को बताया है। इसके अलावा, निवेशकों की ओर से सोने की खरीदी में कमी आई है क्योंकि उन्होंने अन्य निवेश विकल्पों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है, जिसमें शेयर बाजार और क्रिप्टोकरेंसी प्रमुख हैं।
बिटकॉइन और क्रिप्टो बाजार की ओर आकर्षण
वर्तमान में बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी में आई तेजी ने निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। निवेशक अब अपने धन को सोने में लगाने के बजाय क्रिप्टोकरेंसी जैसे विकल्पों में लगा रहे हैं, जिनमें अधिक मुनाफा मिलने की संभावना होती है। पिछले कुछ वर्षों में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी ने निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है, जिससे उनकी रुचि बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोने में निवेश का आकर्षण अब धीरे-धीरे कम हो रहा है और निवेशक अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने की कोशिश कर रहे हैं।
घरेलू अर्थव्यवस्था पर असर
सोने और चांदी की कीमतों में आई गिरावट का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है। भारत सोने का एक बड़ा आयातक देश है और घरेलू मांग में कमी आने से इसके आयात में भी कमी आई है। आयात कम होने से भारत के व्यापार घाटे में सुधार हो सकता है, लेकिन इसका प्रभाव घरेलू उद्योगों और रोजगार पर भी पड़ सकता है। सोने और चांदी के व्यवसाय में लगे लाखों लोगों की आय पर असर पड़ सकता है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में कमी देखने को मिल सकती है।
सेंसेक्स में भी गिरावट
इस कीमत में गिरावट के साथ ही शेयर बाजार में भी भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स में 836 अंक की गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों के चार लाख करोड़ रुपये डूब गए। सेंसेक्स की गिरावट का कारण भी वैश्विक बाजारों में आई सुस्ती और विदेशी निवेशकों की निकासी बताया जा रहा है। विदेशी निवेशक, जो कि भारतीय शेयर बाजार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ने अपने धन को सुरक्षित करने के लिए बाजार से निकासी करना शुरू कर दिया है। इस वजह से घरेलू बाजार पर भी दबाव बढ़ा है।
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है और आने वाले दिनों में कीमतें स्थिर हो सकती हैं। हालांकि, अगर वैश्विक बाजारों में सुस्ती बरकरार रहती है तो सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट का दौर और लंबा चल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में सोने की कीमतें घरेलू और वैश्विक मांग तथा सप्लाई के बीच संतुलन पर निर्भर करती हैं। यदि सोने की मांग में और कमी आती है, तो इसके दामों में और गिरावट देखी जा सकती है।
निवेशकों के लिए संकेत
इस समय सोने-चांदी की कीमतों में आई गिरावट निवेशकों के लिए एक अवसर भी हो सकता है। जिन निवेशकों ने पिछले ऊंचे भावों पर सोना खरीदा था, उनके लिए यह घाटे का सौदा हो सकता है, लेकिन जो निवेशक अभी तक इस बाजार में प्रवेश नहीं कर पाए हैं, उनके लिए यह एक सुनहरा मौका हो सकता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि निवेशकों को जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए और बाजार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने निवेश के फैसले लेने चाहिए।
आने वाले समय में सोने और चांदी की कीमतें स्थिर रहेंगी या और गिरेंगी, यह वैश्विक बाजार की स्थिति, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों और भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर निर्भर करेगा। यदि वैश्विक बाजार में अस्थिरता बनी रहती है तो सोने की कीमतों में और गिरावट आ सकती है। वहीं, भारतीय बाजार में मांग बढ़ने की संभावना है क्योंकि शादी-विवाह का मौसम नजदीक है, जिससे सोने की मांग में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है।
प्रभात भारत विशेष
इस प्रकार, सोने और चांदी के दामों में आई गिरावट ने भारतीय बाजार में चिंता का माहौल बना दिया है। निवेशक अब यह सोच रहे हैं कि क्या यह सही समय है सोने-चांदी में निवेश करने का, या उन्हें अन्य विकल्पों की ओर देखना चाहिए। घरेलू बाजार में सोने और चांदी की मांग में सुस्ती ने इस उद्योग से जुड़े लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। आने वाले दिनों में बाजार की स्थिति में सुधार हो सकता है, लेकिन इसके लिए वैश्विक बाजार में स्थिरता का होना आवश्यक है।