
प्रभात भारत डेस्क 01 सितंबर।
करीब 68 साल बाद एयर इंडिया की घर वापसी हुई है। एयर इंडिया अब टाटा ग्रुप की हो गई है। टाटा एण्ड संस ने घाटे में चल रही सरकारी विमान कंपनी एयर इंडिया के लिए बोली जीत ली है। टाटा ग्रुप अब एयर इंडिया का नया मालिक होगा। मंत्रियों के एक पैनल ने एयरलाइन के अधिग्रहण के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। आने वाले दिनों में एक आधिकारिक घोषणा की उम्मीद है। 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से शुरूआत हुई थी। टाटा के साथ सरकार का सौदा पक्का होने से विमान कम्पनी की 67 साल बाद घर वापसी होगी। टाटा ग्रुप ने अक्तूबर 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से एयर इंडिया की शुरुआत की थी। वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद एक राष्ट्रीय एयरलाइंस की जरूरत महसूस हुई। भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 फीसदी हिस्सेदारी कर अधिग्रहण कर था। 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉर्पोरेशन एक्ट पास किया और फिर टाटा समूह से इस कंपनी में बहुअंश हिस्सेदारी खरीद ली। मार्च 2019 तक कंपनी पर 60074 करोड़ रुपये का कर्ज था। मार्च 2021 को समाप्त तिमाही में कंपनी के 9500 से 10000 करोड़ रुपये के घाटे में रहने की आशंका है। एयर इंडिया खरीदने वाली कंपनी टाटा ग्रुप को 23,286.5 करोड़ रुपये ही चुकाने होंगे। शेष कर्ज खुद सरकार उठाएगी। एयर इंडिया का मुंबई में स्थित हेड ऑफिस और दिल्ली का एयरलाइंस हाउस भी शामिल है। मुंबई के ऑफिस का बाजार मूल्य 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसके अलावा मौजूदा समय में एयर इंडिया 4400 घरेलू उड़ानें और विदेशों में 1800 लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट कंट्रोल करती है। टाटा ग्रुप की बोली सरकार द्वारा तय किए गए रिजर्व प्राइस से करीब 3,000 करोड़ रुपये ज्यादा है। टाटा समूह की बोली स्पाइसजेट के चेयरमैन (अजय सिंह) द्वारा लगाई गई बोली से लगभग 5 हजार करोड़ रुपये अधिक है। आगे रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी सूत्रों ने उन रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया है, जिसमें रिजर्व प्राइस को 15,000-20,000 करोड़ रुपये बताया गया है। एयर इंडिया को बेचने की प्रक्रिया जनवरी 2020 में ही शुरू कर दी गई थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसमें लगातार देरी हुई। 15 सितंबर बोली लगाने का आखिरी दिन था। साल 2020 में भी टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया के अधिग्रहण को लेकर रुचि पत्र दिया था। सरकार ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के नियमों में ढील दी थी जिसके बाद कर्ज में डूबे एयर इंडिया को खरीदने में कुछ कंपनियों ने रुचि दिखाई थी।