गोंडा, 8 नवंबर। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के थानेपुरा थाना क्षेत्र में गुरुवार को एटीएस की टीम ने मदरसों में जांच शुरू की। राज्य सरकार के आदेश के तहत जिले के लगभग 286 मदरसों और मकतबों की गहन जांच की जा रही है, जिसमें उनके फंडिंग स्रोत और संचालन से संबंधित तथ्यों की पड़ताल की जा रही है। एटीएस के इस अभियान से जिले में हड़कंप मच गया है।
जिले में एटीएस की टीम का डेरा
एटीएस की टीम ने जिले में डेरा डाल दिया है, और उनके द्वारा किए जा रहे छापों से जिले में विभिन्न संस्थानों में खलबली का माहौल है। गोंडा जिले के खानपुर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत त्रिभुवन नगर, खलिया, रेतजागाड़ा के नेवार जोत, श्रीनगर, सांपरही विशुनपुर माफी के तिवारी पुरवा, जानकीनगर, और गनेरपुर ग्रांट के सलामतडीह में संचालित मदरसों में एटीएस की टीम ने गुरुवार को पहुंचकर जांच की। इन मदरसों के संचालन, फंडिंग और अन्य प्रशासनिक गतिविधियों से जुड़ी जानकारियां जुटाई गईं।
मदरसा संचालकों से विस्तृत जानकारी मांगी गई
एटीएस की टीम ने मदरसा संचालकों और सदस्यों से कई सवाल पूछे। इन सवालों में मदरसों का रजिस्ट्रेशन, भूमि स्वामित्व, संचालन प्रक्रिया, शिक्षकों और छात्रों की संख्या, फीस की जानकारी, और मदरसे के संचालन का समय शामिल थे। टीम ने विशेष रूप से यह जानने की कोशिश की कि क्या मदरसों में रात में कोई मौलाना या अन्य व्यक्ति रुकता है। इसके साथ ही, मदरसों के फंडिंग स्रोत और वित्तीय गतिविधियों पर भी सवाल किए गए। इन सवालों का सामना करते हुए कई संचालक पसीना-पसीना हो गए, जिससे जांच के दौरान संभावित अनियमितताओं की संभावना भी नजर आई।
जांच के दौरान मिली गड़बड़ियां
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एटीएस को अब तक की जांच में कई मदरसों में अनियमितताएं मिली हैं। जांच पूरी होने के बाद एटीएस की टीम अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी और शासन को सौंपेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर इन मदरसों पर उचित कार्रवाई की जा सकती है। थानाध्यक्ष सुनील सिंह ने बताया कि एटीएस की टीम को स्थानीय प्रशासन की ओर से पूरा सहयोग दिया जा रहा है, ताकि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से हो सके।
बिना मान्यता के चल रहे मदरसों पर हो सकती है कार्रवाई
पिछले कुछ वर्षों में गोंडा जिले में कई मदरसे बिना सरकारी मान्यता के चल रहे हैं। जिला प्रशासन ने पूर्व में इनकी जांच कराई थी, जिसमें 286 मदरसों और मकतबों को बिना मान्यता के पाया गया था। इसके बाद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने इनकी सूची शासन को भेजी थी, जिसके आधार पर एटीएस की जांच शुरू की गई है। इस जांच के शुरू होने से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बिना मान्यता वाले मदरसों पर जल्द ही सख्त कार्रवाई हो सकती है।
राज्य सरकार का सख्त रुख
उत्तर प्रदेश सरकार लंबे समय से मदरसों के संचालन और उनकी फंडिंग को लेकर सतर्क रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश भर में मदरसों की जांच की जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य में कोई भी मदरसा बिना मान्यता के कार्य न कर रहा हो और उनके वित्तीय स्रोत पारदर्शी हों। सरकार का कहना है कि मदरसों में मिलने वाली फंडिंग और उनकी गतिविधियों का पूरी तरह से सत्यापन जरूरी है, ताकि किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।
मदरसा संचालकों में दहशत का माहौल
एटीएस की अचानक आमद से जिले के मदरसा संचालकों में भय का माहौल है। यह जांच न केवल उनके संचालन पर प्रश्न उठा रही है, बल्कि उनके वित्तीय लेन-देन और गतिविधियों पर भी सवाल खड़े कर रही है। एटीएस की टीम ने सभी मदरसा संचालकों को अपने सभी दस्तावेज तैयार रखने के निर्देश दिए हैं, ताकि जांच में कोई कमी न रह जाए। जांच के दौरान ऐसे भी कई मदरसे सामने आए हैं जिन्होंने शासन को पत्र लिखकर अपने संचालन को बंद करने की मंजूरी मांगी है।
क्या है एटीएस का उद्देश्य?
एटीएस का इस जांच में प्रमुख उद्देश्य यह है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि मदरसों में किसी प्रकार की अवैध गतिविधियां संचालित नहीं हो रही हैं और उनके पास जो भी फंडिंग आ रही है वह उचित स्रोतों से है। इसके अलावा, एटीएस यह भी देखना चाहती है कि मदरसों के माध्यम से छात्रों को किस प्रकार की शिक्षा दी जा रही है और उनकी गतिविधियाँ सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों के अनुसार हैं या नहीं।
समुदाय का रुख
मुस्लिम समुदाय में एटीएस की इस जांच को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे सरकारी हस्तक्षेप के रूप में देख रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि यह कदम राज्य में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। कई संगठनों ने सरकार से इस जांच को निष्पक्षता के साथ करने की अपील की है ताकि किसी समुदाय विशेष को निशाना न बनाया जाए।
प्रभात भारत विशेष
गोंडा जिले में एटीएस द्वारा मदरसों की जांच ने एक नई बहस छेड़ दी है। राज्य सरकार द्वारा मदरसों की वित्तीय पारदर्शिता और संचालन की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि एटीएस की जांच के बाद क्या परिणाम सामने आते हैं और इसके बाद राज्य सरकार किस प्रकार की कार्रवाई करती है।

