
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सिविल सेवकों को उभरते शासन मानकों को पूरा करने और तकनीकी प्रगति के साथ अपडेट रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी आधुनिक तकनीकों का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने यह संदेश नई दिल्ली के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में “कर्मयोगी सप्ताह” के अवसर पर दिया, जो राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह के रूप में मनाया गया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने 2020 में शुरू किए गए “मिशन कर्मयोगी” की प्रगति पर भी चर्चा की। यह मिशन सिविल सेवाओं की क्षमता को बढ़ाने और उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने का उद्देश्य रखता है। इसके साथ ही, उन्होंने सिविल सेवकों से स्टार्टअप्स, शोध संगठनों और युवा दिमागों से इनपुट मांगकर नवाचार को अपनाने का आग्रह किया।
यह लेख प्रधानमंत्री के इस महत्वपूर्ण संदेश का विस्तार से विश्लेषण करेगा, जिसमें सिविल सेवाओं में तकनीकी प्रगति, एआई का प्रभाव, नवाचार की आवश्यकता और भारत के विकास में सिविल सेवकों की भूमिका पर गहराई से चर्चा की जाएगी।
तकनीकी प्रगति और सिविल सेवाओं में सुधार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिविल सेवकों से कहा कि उन्हें तकनीकी विकास से अद्यतित रहना होगा ताकि वे शासन के उभरते मानकों को पूरा कर सकें। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक, विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ने न केवल सूचना प्रसंस्करण में क्रांति लाई है, बल्कि नागरिकों को सशक्त बनाने और सरकारों को अधिक जवाबदेह बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सूचना प्रसंस्करण में क्रांति ला रहा है, नागरिकों को सशक्त बना रहा है और सरकारों को जवाबदेह बना रहा है।” यह कथन दर्शाता है कि सरकार डिजिटल युग के महत्व को समझ रही है और इसे प्रशासनिक सुधारों में शामिल कर रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे उन्नत तकनीकी उपकरण सरकारी कामकाज को अधिक पारदर्शी, तेज और कुशल बनाने में मदद कर सकते हैं।
इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री ने सिविल सेवकों से आग्रह किया कि वे इन तकनीकी प्रगति के साथ स्वयं को अद्यतन रखें और इस प्रकार की प्रगति को अपने कार्यों में शामिल करें। उनका मानना है कि इस तकनीकी उन्नति के साथ सिविल सेवक बेहतर ढंग से नागरिकों की आवश्यकताओं का समाधान कर पाएंगे और शासन की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बना सकेंगे।
मिशन कर्मयोगी: सिविल सेवा का सशक्तिकरण
प्रधानमंत्री मोदी ने 2020 में शुरू किए गए “मिशन कर्मयोगी” का उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य सिविल सेवकों को सशक्त बनाना और उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है। मिशन कर्मयोगी एक व्यापक कार्यक्रम है, जिसमें सिविल सेवकों को उनकी क्षमताओं को निखारने और तकनीकी, सामाजिक और व्यावसायिक कौशलों को सशक्त बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इस मिशन के अंतर्गत सिविल सेवकों को एक विशेष डिजिटल प्लेटफॉर्म iGoT (Integrated Government Online Training) पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस मंच के माध्यम से सिविल सेवकों को अपने कौशल को लगातार नवीनीकृत करने और उन्हें तकनीकी दृष्टिकोण से उन्नत बनाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि अब तक 40 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी इस प्लेटफॉर्म के 1,400 से अधिक पाठ्यक्रमों में नामांकित हो चुके हैं, और 1.5 करोड़ से अधिक पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने इस पहल की सफलता पर संतोष व्यक्त किया और इसे भारत सरकार की डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा, “मिशन कर्मयोगी के माध्यम से हमारा लक्ष्य ऐसे मानव संसाधनों को विकसित करना है जो भारत के विकास को गति देंगे।”
नवाचार और स्टार्टअप्स से सीखने की आवश्यकता
प्रधानमंत्री मोदी ने सिविल सेवकों से यह भी आग्रह किया कि वे नवाचार को अपनाने के लिए स्टार्टअप्स, शोध संगठनों और युवा दिमागों से इनपुट मांगें। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी के विचार और नवाचारों को सिविल सेवाओं में शामिल करना अत्यधिक आवश्यक है, ताकि शासन में नई सोच और दृष्टिकोण को अपनाया जा सके।
प्रधानमंत्री ने सिविल सेवकों से आग्रह किया कि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, और अन्य उन्नत तकनीकों का उपयोग करें ताकि उनके कामकाज में अधिक दक्षता आ सके। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स और नवाचारियों से जुड़े रहना सिविल सेवाओं को अधिक सक्षम और आधुनिक बना सकता है।
उन्होंने यह भी कहा, “सिविल सेवकों को नवाचार को अपनाने की जरूरत है। उन्हें स्टार्टअप्स, शोध संगठनों और युवा दिमागों से इनपुट मांगकर नए तरीकों को अपनाना चाहिए।”
नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता
प्रधानमंत्री ने सिविल सेवाओं में नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी नीतियों और योजनाओं का लाभ सीधे नागरिकों तक पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि सिविल सेवकों को शासन के एक ऐसे मॉडल को अपनाना चाहिए, जिसमें नागरिकों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जा सके।
प्रधानमंत्री का यह दृष्टिकोण नागरिकों की समस्याओं के प्रति सिविल सेवाओं की संवेदनशीलता को बढ़ाने और उनकी जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभाने पर बल देता है। उनका मानना है कि एक नागरिक-केंद्रित शासन प्रणाली न केवल भारतीय लोकतंत्र को सुदृढ़ करेगी, बल्कि देश की प्रगति को भी गति देगी।
एआई और आकांक्षी भारत का भविष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और “आकांक्षी भारत” के दोहरे पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि एआई का उपयोग केवल तकनीकी सुधारों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव सामाजिक और आर्थिक सुधारों पर भी पड़ेगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एआई का सही और संतुलित उपयोग न केवल सरकारी प्रक्रियाओं को अधिक तेज और सटीक बनाएगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि भारत अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर सके।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के लिए एआई एक चुनौती और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है। हमें इन दोनों को संतुलित करना होगा ताकि हम एआई की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकें और इसे राष्ट्रीय प्रगति में शामिल कर सकें।” उनका यह बयान दर्शाता है कि एआई को केवल एक तकनीकी उपकरण के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे भारत के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में समझा जाना चाहिए।
2047 तक विकसित भारत का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में 2047 तक “विकसित भारत” के अपने दृष्टिकोण को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत को विकसित देशों की श्रेणी में लाने के लिए सिविल सेवाओं में नवाचार, तकनीकी प्रगति और नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सरकार की सभी योजनाएं और नीतियां इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए बनाई जा रही हैं, और सिविल सेवकों की भूमिका इसमें अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “2047 तक विकसित भारत का हमारा सपना तभी साकार हो सकता है, जब सिविल सेवक अपनी जिम्मेदारियों को समझें और नई तकनीकों एवं नवाचारों को अपनाएं।”
विभागों के भीतर सहयोग और फीडबैक तंत्र
प्रधानमंत्री मोदी ने सिविल सेवा संस्थानों में फीडबैक तंत्र के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को अपने विभागों के भीतर और विभिन्न सरकारी संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार के कामकाज को और अधिक प्रभावी और उत्तरदायी बनाने के लिए यह जरूरी है कि विभागों के बीच फीडबैक तंत्र को मजबूत किया जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा, “फीडबैक तंत्र को मजबूत करना और विभागों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है ताकि सरकार की नीतियां और योजनाएं अधिक प्रभावी तरीके से लागू की जा सकें।”
मिशन कर्मयोगी: एक व्यापक पहल
मिशन कर्मयोगी सिविल सेवा सुधारों के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रमुख पहल है। यह मिशन सिविल सेवाओं को तकनीकी दृष्टि से सशक्त बनाता है, उन्हें भारतीय मूल्यों के साथ जोड़ता है, और उन्हें वैश्विक दृष्टिकोण के साथ तैयार करता है।