
नई दिल्ली, 06 दिसंबर। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने मणिपुर में जारी हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता को लेकर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गठबंधन ने दावा किया कि राज्य में अघोषित राष्ट्रपति शासन लागू है और केंद्र सरकार मणिपुर की उपेक्षा कर रही है।
विजय चौक पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष के. मेघचंद्र सिंह और दस विपक्षी दलों के संयोजक क्षेत्रीमयुम शांता ने कहा कि वे जंतर-मंतर पर धरना देना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई। नेताओं ने प्रधानमंत्री से मणिपुर का दौरा करने और राज्य में शांति बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।
मणिपुर की अनदेखी का आरोप
इंडिया गठबंधन ने केंद्र सरकार पर मणिपुर की समस्याओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया। नेताओं ने कहा कि राज्य में जारी हिंसा और सामाजिक विभाजन के बावजूद प्रधानमंत्री ने न तो अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री और मंत्रियों से मुलाकात की है, न ही विपक्षी नेताओं से कोई चर्चा की।
नेताओं ने सवाल उठाया कि पिछले 18 महीनों में केंद्र सरकार ने मणिपुर में स्थिति सुधारने के लिए क्या प्रयास किए हैं। मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष के. मेघचंद्र सिंह ने कहा, “मणिपुर भारत का हिस्सा है और वहां के लोग भारतीय नागरिक हैं। उनके साथ इस तरह की उपेक्षा क्यों की जा रही है?”
राहत शिविरों में रह रहे 60 हजार विस्थापित लोग
गठबंधन नेताओं ने खुलासा किया कि मणिपुर में करीब 60 हजार लोग अभी भी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। राज्य में सामुदायिक विभाजन इतना गहरा हो चुका है कि एक समुदाय के लोगों के लिए दूसरे समुदाय के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में जाना असंभव हो गया है।
क्षेत्रीमयुम शांता ने कहा, “मणिपुर का सामाजिक ताना-बाना पूरी तरह से टूट चुका है। यह स्थिति राज्य के इतिहास में पहले कभी नहीं देखी गई।” उन्होंने जोर देकर कहा कि इस विभाजन को पाटने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
आर्थिक संकट और महंगाई की मार
मणिपुर में हिंसा और राजमार्गों के अवरुद्ध होने के कारण आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इंडिया गठबंधन ने दावा किया कि राज्य में महंगाई अपने चरम पर है।
आवश्यक वस्तुओं की किल्लत
नेताओं ने कहा कि मणिपुर में आवश्यक वस्तुएं जैसे खाद्य सामग्री, दवाइयां और अन्य रोजमर्रा की चीजें मुश्किल से उपलब्ध हैं। यदि कुछ उपलब्ध है भी, तो उसकी कीमतें इतनी अधिक हैं कि आम जनता के लिए उन्हें खरीद पाना असंभव हो गया है।
क्षेत्रीमयुम शांता ने कहा, “देशभर में महंगाई की मार झेल रही जनता की स्थिति मणिपुर में सबसे अधिक दयनीय है। यह केंद्र सरकार की नीतिगत विफलता का नतीजा है।”
राजमार्गों का अवरोध और जीवन पर असर
राज्य के राजमार्गों पर हो रहे अवरोधों के कारण जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति ठप हो गई है। मणिपुर के निवासियों का जीवन इन अवरोधों से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार को तत्काल राजमार्गों से अवरोध हटाने के उपाय करने चाहिए ताकि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बहाल हो सके।
प्रधानमंत्री से मांग: राज्य का दौरा करें या सर्वदलीय बैठक बुलाएं
इंडिया गठबंधन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर की स्थिति पर तुरंत संज्ञान लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री राज्य का दौरा नहीं कर सकते, तो कम से कम दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाएं।
राजनीतिक संवाद की मांग
नेताओं ने कहा कि मणिपुर के लोगों को प्रधानमंत्री से बड़ी उम्मीदें हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री को भाजपा सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक करनी चाहिए और राज्य में शांति बहाल करने के उपाय करने चाहिए।
जंतर-मंतर पर धरना देने से रोकने की निंदा
गठबंधन नेताओं ने कहा कि वे मणिपुर में शांति की मांग को लेकर दिल्ली आए हैं, लेकिन जंतर-मंतर पर धरना देने की अनुमति नहीं दी गई। के. मेघचंद्र सिंह ने कहा, “हमारा संघर्ष मणिपुर में शांति और कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए है। अनुमति न मिलने के बावजूद हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।”
केंद्र सरकार के रवैये की निंदा
गठबंधन ने केंद्र सरकार के रवैये को मणिपुर की जनता के प्रति असंवेदनशील बताया। उन्होंने कहा कि राज्य को भारत के अन्य हिस्सों की तरह समान प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
क्षेत्रीमयुम शांता ने कहा, “मणिपुर की समस्याओं को नजरअंदाज करना न केवल राज्य के लोगों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए खतरनाक है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि मणिपुर के लोग भी भारतीय नागरिक हैं और उन्हें समान अधिकार मिलना चाहिए।
शांति बहाली की अपील
इंडिया गठबंधन ने मणिपुर की स्थिति को चिंताजनक बताते हुए केंद्र सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। नेताओं ने कहा कि मणिपुर के लोगों को शांति, सुरक्षा और समानता का अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो जाती।