
लखनऊ 18 अक्टूबर। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने ही सर्वेक्षण में हार रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा, जो खुद को मजबूत और अजेय पार्टी मानती है, इस चुनाव में अपनी संभावित हार को लेकर इतनी चिंतित हो गई है कि उसने चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर्स) और अफसरों को हटाने का काम किया है, जो पिछड़े, दलित, और अल्पसंख्यक (पीडीए) समुदाय से आते हैं। यह कदम स्पष्ट रूप से भाजपा की चुनावी हताशा को दर्शाता है।
मिल्कीपुर में भाजपा की रणनीति पर अखिलेश का तंज
अखिलेश यादव ने बताया कि भाजपा ने मिल्कीपुर में जीत सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बार-बार भेजा। मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात की, खुफिया तंत्र से रिपोर्ट मंगाई, और हर संभव उपाय किए ताकि भाजपा चुनाव में अपनी पकड़ बनाए रख सके। इसके बावजूद, अखिलेश का दावा है कि भाजपा को अपने ही सर्वे में हार की आशंका हो रही थी, और इसी वजह से चुनाव को स्थगित करने की साजिश रची गई।
पीडीए समुदाय के बीएलओ और अफसर हटाने का आरोप
सपा अध्यक्ष ने विशेष रूप से यह आरोप लगाया कि भाजपा ने पिछड़े, दलित, और अल्पसंख्यक समुदाय के सभी बीएलओ और अफसरों को जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया से हटा दिया। यह कदम भाजपा की ओर से समाज के वंचित तबकों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करने का प्रयास है, ताकि उनकी आवाज को दबाया जा सके और अपने हितों को साधा जा सके।
अखिलेश यादव ने सवाल उठाया कि भाजपा यदि सच में चुनाव जीतने की स्थिति में होती, तो उसे चुनाव अधिकारियों और बीएलओ को हटाने की जरूरत क्यों पड़ती? यह केवल तभी होता है जब किसी पार्टी को अपनी हार का डर सताने लगता है।
चुनाव स्थगन: भाजपा का हताशा भरा कदम?
अखिलेश ने अपने बयान में कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन और खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट का गहन अध्ययन किया और पाया कि भाजपा मिल्कीपुर चुनाव हार रही है। इस हार से बचने के लिए, उन्होंने चुनाव को स्थगित करने की कोशिश की है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा इस लड़ाई में टिकने की काबिलियत नहीं रखती और इसलिए वह मैदान से पहले ही बाहर हो गई है।
चुनाव आयोग और न्यायालय के दरवाजे खटखटाने का मुद्दा
अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि अब वे (भाजपा) अपनी फजीहत से बचने के लिए कोर्ट और चुनाव आयोग के चक्कर लगा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर दो दिनों के भीतर उपचुनाव पर कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो चुनाव स्थगित कर दिया जाएगा। अखिलेश ने भाजपा से अपील की कि वह कोर्ट की रिट वापस लें और चुनावी प्रक्रिया को स्वाभाविक रूप से चलने दें।
महर्षि वाल्मीकि जयंती पर श्रद्धांजलि और रामराज्य का जिक्र
महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने वाल्मीकि को रामायण के रचयिता और समाज में पूजनीय बताते हुए कहा कि वह भगवान के समकक्ष हैं। रामायण में उन्होंने रामराज्य की जो कल्पना की थी, वह सामाजिक न्याय के बिना संभव नहीं है। अखिलेश यादव ने वादा किया कि सपा सरकार में आने पर वाल्मीकि समाज को रोजगार और सम्मान दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
बहराइच दंगा: प्रशासन की विफलता का प्रतीक
अखिलेश यादव ने बहराइच दंगे को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह दंगा प्रशासन और शासन की विफलता का परिणाम है। अखिलेश ने आरोप लगाया कि अब सरकार और प्रशासन मिलकर अन्याय कर रहे हैं, और आम जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दंगे के बाद न्याय की जगह प्रशासन ने उन लोगों पर ही अत्याचार किए, जो पहले से ही पीड़ित थे।
महाराष्ट्र चुनाव और इंडी गठबंधन
महाराष्ट्र के आगामी चुनावों पर भी अखिलेश यादव ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि वे अगले दिन महाराष्ट्र का दौरा करेंगे और वहां शरद पवार, उद्धव ठाकरे, और इंडी गठबंधन के अन्य दलों के साथ मिलकर चुनावी रणनीति पर काम करेंगे। अखिलेश ने दावा किया कि समाजवादी पार्टी के दो विधायक महाराष्ट्र में मौजूद हैं और उन्हें उम्मीद है कि इस बार उन्हें वहां अधिक सीटें मिलेंगी। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश में गठबंधन के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि बहुत जल्द इस पर भी सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।
मिल्कीपुर उपचुनाव: सपा की चुनौतियां और भाजपा का पलटवार
अखिलेश यादव के दावे के विपरीत, भाजपा ने उनके आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। भाजपा के प्रवक्ता ने कहा कि अखिलेश यादव अपनी पार्टी की कमजोर स्थिति से वाकिफ हैं और इसीलिए वह चुनाव से पहले ही हार की बात कर रहे हैं। भाजपा का कहना है कि अखिलेश यादव इस वक्त अपनी पार्टी के भीतर गहरे संकट से गुजर रहे हैं और मिल्कीपुर उपचुनाव में उनकी हार तय है, इसलिए वे अब चुनाव आयोग और कोर्ट के सहारे चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा के प्रवक्ता ने सपा पर पलटवार करते हुए कहा, “जो लोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भरोसा नहीं करते, वे ही ऐसी बयानबाजी करते हैं। अखिलेश यादव की पार्टी जमीनी स्तर पर कमजोर हो चुकी है और अब वह चुनाव आयोग और न्यायालय के माध्यम से जनता की राय को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।”
मिल्कीपुर चुनाव की राजनीति: कौन है मजबूत, कौन कमजोर?
मिल्कीपुर उपचुनाव का राजनीतिक परिदृश्य बेहद पेचीदा है। भाजपा और सपा दोनों ही इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जहां भाजपा सरकार में रहते हुए इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना चुकी है, वहीं सपा इस सीट को जीतकर अपनी राजनीतिक ताकत को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अखिलेश यादव की रणनीति, जिसमें पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) वर्ग को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है, इस चुनाव में सपा की प्रमुख ताकत है। दूसरी ओर, भाजपा हिंदू वोट बैंक पर ध्यान केंद्रित कर रही है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
चुनाव में निर्णायक फैक्टर: पीडीए और हिंदू वोट बैंक की लड़ाई
मिल्कीपुर का चुनाव पीडीए और हिंदू वोट बैंक के बीच सीधी टक्कर माना जा रहा है। सपा ने पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोटों को एकजुट करने की पूरी कोशिश की है, जबकि भाजपा हिंदू मतदाताओं के समर्थन से जीतने की कोशिश कर रही है। इस चुनाव में सपा और भाजपा दोनों ही अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए जुटी हुई हैं, और नतीजे काफी हद तक इस पर निर्भर करेंगे कि कौन सा वर्ग अधिक संगठित होकर मतदान करता है।
अखिलेश यादव की चुनौती: मिल्कीपुर में सपा की स्थिति
मिल्कीपुर उपचुनाव अखिलेश यादव के लिए एक बड़ी चुनौती है। सपा के लिए यह चुनाव न केवल एक सीट का सवाल है, बल्कि प्रदेश की राजनीति में अपनी स्थिति को पुनः स्थापित करने का मौका भी है। अगर सपा इस सीट पर जीत हासिल करती है, तो यह अखिलेश यादव के नेतृत्व में पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण जीत होगी। लेकिन अगर पार्टी हार जाती है, तो यह अखिलेश की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े कर सकता है।
मिल्कीपुर उपचुनाव के संभावित परिणाम और सियासी प्रभाव
मिल्कीपुर उपचुनाव का परिणाम न केवल इस सीट के भविष्य को तय करेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। अगर सपा जीतती है, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका होगा और सपा को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक नई ऊर्जा मिलेगी। वहीं, अगर भाजपा इस सीट को जीतती है, तो यह उसके लिए एक और महत्वपूर्ण जीत होगी और वह इसे अखिलेश यादव की हार के रूप में प्रचारित करेगी। इस उपचुनाव के नतीजे से यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि प्रदेश में भाजपा और सपा के बीच संघर्ष का भविष्य कैसा रहने वाला है।