
नई दिल्ली, 25 सितंबर। तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डू को बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में कथित तौर पर पशु वासा की मौजूदगी को लेकर उठे बवाल के बाद उड़ीसा सरकार ने जगन्नाथ पुरी मंदिर में इस्तेमाल किए जाने वाले घी को गुणवत्ता परीक्षण के लिए भेजने का निर्णय किया है जगन्नाथ पुरी के जिलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर ने मंगलवार को कहा कि इस कदम का उद्देश्य 12वीं सदी के मंदिरों में देवताओं को दिए जाने वाले प्रसाद में मिलावट को रोकना है जिलाधिकारी ने यह फैसला जगन्नाथ पुरी के वकील दिलीप द्वारा दिए गए आवेदन के बाद किया है कलेक्टर ही जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के उपप्रसाशक हैं आवेदन मिलने के 1 दिन बाद कलेक्ट्रेट ने फैसला करते हुए यह आदेश दिए हैं जिसमें मंदिर की रसोई में महाप्रसाद तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी सहित अन्य सामग्री की गुणवत्ता की भी उचित जांच के सुझाव दिए गए हैं शंकर ने प्रभात भारत से बात करते हुए बताया है कि घी की गुणवत्ता के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है लेकिन प्रशासन ने तिरुपति लडडू विवाद की पृष्ठभूमि में इसकी भी जांच कराने का फैसला किया है फिलहाल इस मंदिर में सरकारी स्वामित्व वाली उड़ीसा राज्य सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ पिछले कुछ वर्षों से मंदिर को घीकी आपूर्ति कर रहा है, प्रतिदिन महाप्रसाद तैयार करने वाले सेवकों के अनुसार ओमफेड से हर महीने लगभग ₹700 प्रति लीटर की दर से लगभग 6000 लीटर घी खरीदा जाता है जिलाधिकारी ने बताया कि खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारियों को पहले ही मंदिर की रसोई में इस्तेमाल होने वाले घी और अन्य कच्चे माल की जांच के लिए सूचित किया जा चुका है अब तक लगभग 25000 भक्तों के लिए दाल, चावल, खिचड़ी, राजमा, करी और मिठाई जैसी कई चीजे रोजाना पकाई जाती है और महाप्रसाद के रूप में परोसी जाती हैं हम इस मंदिर में दिए जलाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी की भी गुणवत्ता की जांच करेंगे हम यहां देखेंगे कि ओमफेड घी का इस्तेमाल कर रहे हैं या नहीं अगर कोई अवैधानिकता हमारे संज्ञान में आता है तो कार्रवाई की जाएगी