बड़े काम का वायरस एम्स के माइक्रो बायोलॉजी विभाग ने गंगाजल में मौजूद बीमारी का इलाज करने वाला ‘बैक्टीरियाफाज’ तलाश लिया है। एम्स के माइक्रो बायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर रमा चौधरी ने बताया कि ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और उन्हें मारने के बाद फिर छिप जाते हैं। इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। यह बैक्टीरियाफाज दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया स्यूडोनेमस एयरूजिनोसा को भी खत्म कर देता है। इसके चलते यह कई गंभीर रोगों के इलाज में मददगार हो सकता है।
त्वचा संक्रमण पर ट्रायल इस बैक्टीरियोफाज को मरीजों की त्वचा पर पेस्ट के रूप में लगाया जाएगा। इस बैक्टीरियोफाज का सबसे पहले इस्तेमाल त्वचा के संक्रमितों पर किया जाएगा। शुरुआत में इसका इलाज में बाह्य इस्तेमाल किया जाएगा। इसके बाद दूसरे मरीजों को भी इसे दिया जा सकता है।

