विभाग में लंबे समय बाद स्थिरता, कई विभागों में भी हुए वित्तीय अधिकारियों के तबादले व अतिरिक्त प्रभार
गोंडा, 11 दिसंबर। बेसिक शिक्षा विभाग में कई महीनों से वित्त एवं लेखा अधिकारी के स्थाई अभाव से जूझ रहे गोंडा जिले को आखिरकार स्थिरता मिल गई है। शासन ने एक बार फिर अनुभवी अधिकारी संजय चतुर्वेदी पर भरोसा जताते हुए उन्हें गोंडा का वित्त एवं लेखा अधिकारी (बेसिक शिक्षा) के साथ अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया है। इससे जनपद के वित्तीय कार्यों में गति आने की संभावना प्रबल हो गई है।
संजय चतुर्वेदी पहले भी गोंडा में वित्त एवं लेखा अधिकारी के पद पर तैनात रह चुके हैं। उस दौरान उनकी कार्यशैली तेज, निर्णय क्षमता मजबूत और निडर व्यवहार को लेकर विभागीय कर्मचारियों से लेकर उच्चाधिकारियों तक उनकी छवि एक प्रभावशाली अधिकारी की रही है। माना जाता है कि वे फाइलों को अनावश्यक रूप से लंबित नहीं रखते और लंबित देयों, भुगतान, पोषण वाटिका, भवन निर्माण, वेतन-मान्यता जैसे मुद्दों को त्वरित निस्तारण की नीति पर काम करते हैं। उनकी वापसी से जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में काम की गति बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, जिले में गत महीनों में वित्तीय विषयों से जुड़ी कई फाइलें लंबित होने के कारण विद्यालयों और शिक्षकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। विद्यालयों के अनुदान, मरम्मत, उपकरण क्रय, बच्चों के लिए शैक्षणिक सामग्री की खरीद और शिक्षक वेतन भुगतान जैसी प्रक्रियाएँ धीमी पड़ गई थीं। ऐसे में संजय चतुर्वेदी जैसे अनुभवी अधिकारी की वापसी विभाग में नई ऊर्जा का संचार करेगी।

राज्य स्तर पर भी कई अहम वित्तीय पदों पर नियुक्तियाँ व प्रभार
केवल गोंडा ही नहीं, बल्कि राज्य सरकार ने प्रदेश भर के कई महत्वपूर्ण विभागों में वित्तीय अनुशासन और कार्यकुशलता बढ़ाने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर वित्त एवं लेखा अधिकारियों, वित्त नियंत्रकों और परामर्शदाताओं की तैनातियाँ और अतिरिक्त प्रभार सौंपे हैं। नीचे प्रमुख नियुक्तियाँ—
- बृज बिहारी कुशवाहा को राष्ट्रीय आयुष मिशन के लिए वित्तीय परामर्शदाता नियुक्त किया गया है। मिशन से जुड़े वित्तीय नियंत्रण और योजनाओं के सुचारु संचालन में उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है।
- पवन कुमार द्विवेदी को वित्त नियंत्रक, उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम का महत्वपूर्ण प्रभार दिया गया है। निगम की वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने में यह पद अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
- संतोष कुमार को मुख्य लेखा अधिकारी एवं वरिष्ठ परामर्शदाता, उत्तर प्रदेश वन निगम बनाया गया है। वन निगम की आय-व्यय प्रणाली एवं प्रोजेक्ट फंडिंग व्यवस्था में सुधार की दिशा में उनसे उम्मीदें जताई जा रही हैं।
- मालिनी सिंह को वित्त नियंत्रक, आयुक्त कार्यालय, कानपुर में जिम्मेदारी दी गई है। कानपुर मंडल के वित्तीय पुनर्गठन में उनकी भूमिका प्रमुख होगी।
- विपिन कुमार वर्मा को वित्त नियंत्रक, मेडिकल कॉलेज हरदोई नियुक्त किया गया है। मेडिकल कॉलेजों में बढ़ते वित्तीय दबाव के बीच यह पद महत्वपूर्ण माना जाता है।
- दुर्गेश त्रिपाठी को वित्त नियंत्रक, भूमि सुधार निगम का कार्यभार सौंपा गया है।
- विजय कुमार चौहान को वित्त नियंत्रक, मेडिकल कॉलेज एटा नियुक्त किया गया है।
- दिलीप कुमार गुप्ता को भू-तत्व एवं खनिज विभाग में महत्वपूर्ण वित्तीय जिम्मेदारियाँ दी गई हैं।
- प्राची वर्मा विक्रम को लेखा अधिकारी, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग, प्रयागराज का अतिरिक्त प्रभार मिला है।
इन नियुक्तियों से प्रदेश सरकार की मंशा स्पष्ट होती है कि वह वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और दक्षता को प्राथमिकता देना चाहती है। विशेषकर ऐसे समय में जब प्रदेश की कई योजनाओं, मिशनों और परियोजनाओं में समयबद्ध कार्यान्वयन और सटीक वित्तीय मॉनिटरिंग की आवश्यकता बढ़ गई है।
गोंडा में शिक्षा विभाग के लिए राहत
गोंडा जिले में शिक्षण सामग्री वितरण, ग्रांट खर्च, निर्माण कार्यों के भुगतान और शिक्षकों-कर्मचारियों के एरियर व वेतन से जुड़ी समस्याएँ लंबे समय से चर्चा में थीं। संजय चतुर्वेदी के फिर से पदभार संभालने के बाद इन मुद्दों के समाधान की उम्मीदें बढ़ी हैं। विभाग के कुछ कर्मचारियों का कहना है कि उनके पिछले कार्यकाल में जैसे ही कोई वित्तीय प्रस्ताव आता था, उसका शीघ्र विश्लेषण कर निस्तारण कराया जाता था।
जिले के कई विद्यालय प्रबंधकों ने भी उम्मीद जताई है कि लंबित भुगतान और अनुदानों की प्रक्रिया अब पहले की तरह गति पकड़ेगी, जिससे शैक्षणिक गतिविधियाँ सुचारु होंगी।
शासन की मंशा—तेज, पारदर्शी और जवाबदेह वित्तीय प्रणाली
राज्य स्तर पर हुई इन व्यापक तैनातियों से शासन का संदेश स्पष्ट है कि वित्तीय ढांचा मजबूत करने के लिए अनुभवी अधिकारियों पर भरोसा जताया जा रहा है। निर्विवाद, निष्पक्ष और समयबद्ध वित्तीय प्रबंधन किसी भी योजना की सफलता की आधारशिला होता है, और हालिया निर्णय इसी दिशा में उठाया गया कदम है।
गोंडा के संदर्भ में यह तैनाती इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जिला लगातार प्रशासनिक दृष्टि से सक्रिय रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर अलग-अलग योजनाओं के लिए आने वाले फंड के पारदर्शी उपयोग और समय पर वितरण में वित्त एवं लेखा अधिकारी प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
संजय चतुर्वेदी की गोंडा में वापसी से न केवल विभाग के भीतर एक सकारात्मक संदेश गया है, बल्कि जिले में शिक्षा से संबंधित कार्यों में सुधार की उम्मीदें भी मजबूत हुई हैं।

