
गोंडा, 13 जनवरी। गोंडा जिले में स्थित सरयू और घाघरा नदी के पवित्र संगम पर इस बार पौष पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धा और आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ा, जिसने पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिकता से ओतप्रोत कर दिया। लघु प्रयाग के नाम से प्रसिद्ध इस संगम स्थल पर लाखों श्रद्धालुओं ने पौष पूर्णिमा के पावन दिन आस्था की डुबकी लगाई। सुबह से ही भक्तों का घाटों पर आना शुरू हो गया था, और पूरा मेला क्षेत्र ‘हर हर महादेव’ और भजन-कीर्तन के स्वर से गूंज उठा।
पौष पूर्णिमा को हिंदू धर्म में विशेष महत्व प्राप्त है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य को अत्यंत फलदायी माना जाता है। सरयू और घाघरा नदी के संगम पर श्रद्धालुओं ने स्नान कर अपने पापों का प्रायश्चित किया और ईश्वर से अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना की। संगम स्थल पर जगह-जगह संत-महात्माओं के प्रवचन और भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया, जिससे क्षेत्र का माहौल और भी पवित्र हो गया।
नेपाल से भी पहुंचे श्रद्धालु
इस मेले की खासियत यह रही कि केवल गोंडा जिले और आस-पास के जनपदों से ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देश नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम स्नान के लिए पहुंचे। नेपाल से आए श्रद्धालुओं ने इस आयोजन की भव्यता और धार्मिक महत्त्व की सराहना की। नेपाल के भक्तों ने बताया कि लघु प्रयाग का यह संगम स्थल उनकी धार्मिक परंपराओं में भी गहरी आस्था रखता है, और यहां आकर स्नान करना उनके लिए एक विशेष अनुभव है।
सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। पूरे मेला क्षेत्र में पुलिस बल तैनात था। जिला पुलिस अधीक्षक ने स्वयं मौके पर रहकर सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लिया। घाटों पर स्नान के दौरान कोई अनहोनी न हो, इसके लिए गोताखोरों और एनडीआरएफ की टीम को भी सतर्क रखा गया था। मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निगरानी की जा रही थी, ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
दान-पुण्य का महत्व
संगम स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य का भी विशेष ध्यान रखा। लोग गरीबों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा देते नजर आए। संगम पर कई स्थानों पर भंडारे का आयोजन किया गया, जहां श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। दान-पुण्य के इस पर्व ने न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट किया, बल्कि समाज में सहयोग और सेवा की भावना को भी बढ़ावा दिया।
श्रद्धालुओं की व्यवस्था और सुविधाएं
मेले में आए श्रद्धालुओं के लिए जिला प्रशासन और मंदिर कमेटी ने विशेष व्यवस्थाएं की थीं। स्नान के लिए घाटों को साफ-सुथरा रखा गया और पीने के पानी, चिकित्सा सेवा और मार्गदर्शन के लिए हेल्प डेस्क भी स्थापित किए गए। श्रद्धालुओं ने प्रशासन की व्यवस्थाओं की सराहना की और कहा कि इस बार मेले का अनुभव पहले से अधिक सुखद और सुव्यवस्थित रहा।
भजन-कीर्तन और धार्मिक आयोजन
मेले के दौरान विभिन्न स्थानों पर धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सुबह से लेकर देर रात तक श्रद्धालु इन कार्यक्रमों में भाग लेते रहे। पूरा क्षेत्र भगवान के नाम के जयघोष और मंत्रोच्चारण से गूंज उठा।
मेला क्षेत्र में स्थानीय व्यापारियों और दुकानदारों के लिए यह आयोजन आर्थिक रूप से लाभकारी साबित हुआ। मेले में धार्मिक वस्त्र, पूजा सामग्री और अन्य वस्तुएं खरीदने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई।
आस्था का महापर्व
पौष पूर्णिमा के इस महापर्व ने गोंडा के लघु प्रयाग को एक बार फिर से धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक शांति का माध्यम बना, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूती प्रदान की।
“लघु प्रयाग का यह पवित्र संगम, श्रद्धा और आस्था का ऐसा केंद्र है, जो हर साल लाखों भक्तों को ईश्वर से जोड़ने का माध्यम बनता है। इस बार भी यह आयोजन सफल और भव्य रहा, और श्रद्धालुओं ने अपने जीवन को पुण्य से भरने का अद्भुत अनुभव किया।”