गोण्डा, 19 सितम्बर। जनपद में लगातार मिल रही चोरी की शिकायतों और फैल रही अफवाहों पर अंकुश लगाने के लिए गोण्डा पुलिस ने सामुदायिक सहभागिता पर आधारित एक नई पहल शुरू की है। पुलिस अधीक्षक गोण्डा श्री विनीत जायसवाल के निर्देशन, अपर पुलिस अधीक्षक पूर्वी एवं पश्चिमी के पर्यवेक्षण तथा सभी क्षेत्रीय अधिकारियों के नेतृत्व में जनपद के प्रत्येक गाँव और मजरों में ग्राम सुरक्षा समितियाँ/मोहल्ला सुरक्षा समितियाँ गठित कराई जा रही हैं।
पुलिस-जन सहयोग का नया मॉडल
पुलिस अधीक्षक श्री जायसवाल का कहना है कि इन समितियों का उद्देश्य केवल गश्त करना या सूचना देना नहीं है, बल्कि गाँवों और मोहल्लों में पुलिस और जनता के बीच भरोसे का रिश्ता मजबूत करना भी है। उन्होंने बताया कि समितियों के सदस्य स्थानीय स्तर पर पुलिस को गाँव की गतिविधियों की जानकारी देंगे। किसी भी प्रकार की अफवाह फैलने की स्थिति में यह समिति समय रहते सच और झूठ का फर्क बताकर हालात को बिगड़ने से रोकने में मदद करेगी।
रात्रि गश्त में समितियों की भागीदारी से चोरी और असामाजिक गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। इससे न केवल अपराधों की रोकथाम होगी बल्कि ग्रामीणों में सुरक्षा की भावना भी मजबूत होगी।
अब तक का आंकड़ा
अब तक जनपद के 17 थाना क्षेत्रों में 1128 सुरक्षा समितियों का गठन किया जा चुका है। यह समितियाँ 1731 गाँवों में सक्रिय की गई हैं। थाना-वार विवरण इस प्रकार है–
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कोतवाली नगर – 42
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कोतवाली देहात – 164
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खरगूपुर – 108
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इटियाथोक – 34
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धानेपुर – 86
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मोतीगंज – 79
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मनकापुर – 21
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खोड़ारे – 44
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छपिया – 31
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तरबगंज – 65
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नवाबगंज – 33
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वजीरगंज – 87
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उमरीबेगमगंज – 45
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कर्नलगंज – 92
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परसपुर – 72
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कौड़िया – 65
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कटरा बाजार – 60
समितियों की मुख्य भूमिका
ग्राम एवं मोहल्ला सुरक्षा समितियों की जिम्मेदारी केवल सूचना देना ही नहीं बल्कि गाँव की सामाजिक एकजुटता को भी मजबूत करना है। इन समितियों की जिम्मेदारियाँ निम्नलिखित होंगी–
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चोरी की घटनाओं की रोकथाम – संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी तुरंत पुलिस तक पहुँचाना।
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बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने पर नियंत्रण – रात्रि के समय ड्रोन संचालन की सूचना देकर सुरक्षा जोखिमों से निपटना।
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अफवाहों का खंडन – किसी भी अफवाह को फैलने से रोकना और समय रहते उसका निवारण करना।
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स्थानीय विवादों का समाधान – आपसी झगड़ों को पुलिस-जन सहयोग से सुलझाने का प्रयास।
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सामुदायिक सहभागिता – अपराध नियंत्रण और शांति व्यवस्था में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी।
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मित्रवत पुलिसिंग को बढ़ावा – आमजन और पुलिस के बीच सीधे संवाद और भरोसे का रिश्ता बनाना।
जनता को क्या लाभ होगा
इस पहल से गाँवों में शांति-सुरक्षा का माहौल बनेगा। चोरी जैसी घटनाएँ घटेंगी और झूठी अफवाहों पर रोक लगेगी। ग्रामीणों को पुलिस तक पहुँचने के लिए किसी औपचारिकता की ज़रूरत नहीं रहेगी, बल्कि सुरक्षा समिति के सदस्य ही उनकी आवाज़ बनकर तुरंत सूचना देंगे।
इसके अलावा रात्रि गश्त में समितियों की मौजूदगी से गाँव वालों को सुरक्षा का अहसास होगा। सामुदायिक भागीदारी से विवाद बढ़ने से पहले ही निपटा लिए जाएंगे, जिससे मुकदमों और अनावश्यक झगड़ों की संख्या घटेगी।गोण्डा पुलिस की यह पहल सामुदायिक पुलिसिंग का एक नया मॉडल साबित हो सकती है। जिस तरह पहले मोहल्ला समितियों ने शहरों में अपराध नियंत्रण में अहम भूमिका निभाई थी, उसी तरह गाँवों में ग्राम सुरक्षा समितियाँ पुलिस की “आँख और कान” बन सकती हैं।
पुलिस अधीक्षक श्री विनीत जायसवाल का कहना है कि आने वाले दिनों में इस अभियान को और व्यापक बनाया जाएगा तथा हर समिति को जागरूकता और जिम्मेदारी से जोड़ने के लिए नियमित बैठकें आयोजित की जाएँगी। जनपद गोण्डा में शुरू हुआ यह अभियान केवल चोरी और अफवाहों को रोकने का प्रयास नहीं, बल्कि पुलिस और जनता के बीच विश्वास बढ़ाने का जरिया भी है। जब गाँव का हर नागरिक अपराध नियंत्रण का साझेदार बनेगा, तभी पुलिसिंग का असली उद्देश्य—शांति, सौहार्द और सुरक्षित समाज—पूरी तरह से साकार हो सकेगा।

