
गोंडा 5 अप्रैल। जनपद की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती प्रदान करने की दिशा में आज एक ऐतिहासिक पहल देखने को मिली जब राजकीय मेडिकल कॉलेज गोंडा से 108 एवं 102 सेवा की कुल 18 एंबुलेंस वाहनों को जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह आयोजन न केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता थी, बल्कि यह गोंडा की आम जनता के लिए सरकार द्वारा समर्पित एक सशक्त सन्देश भी था कि अब इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाओं में कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। इन एंबुलेंसों के माध्यम से जनपद के दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों को समय पर प्राथमिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी। 108 सेवा जहां इमरजेंसी केसों—जैसे दुर्घटनाएं, हृदयघात, प्रसव जैसी स्थितियों में तत्काल प्रतिक्रिया देने के लिए जानी जाती है, वहीं 102 सेवा विशेषकर गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए निःशुल्क परिवहन सुविधा के रूप में कार्यरत है। ऐसे में दोनों सेवाओं का विस्तार गोंडा जैसे अपेक्षाकृत पिछड़े जनपद के लिए एक वरदान सिद्ध होगा।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा की भूमिका
इस अवसर पर जिलाधिकारी महोदया नेहा शर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य सेवाएं तभी प्रभावशाली बन सकती हैं जब उनका क्रियान्वयन ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ किया जाए। उन्होंने कहा कि 108 और 102 जैसी सेवाएं सिर्फ नंबर नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद जीवन रेखा हैं, जिनके जरिए हजारों परिवारों ने समय पर चिकित्सा सहायता पाकर अपने प्रियजनों की जान बचाई है। उन्होंने सभी एंबुलेंस चालकों और तकनीकी स्टाफ को निर्देशित किया कि वे निष्ठा और मानवता के भाव से कार्य करें और यह सुनिश्चित करें कि मरीजों को समय पर सेवा मिले। जिलाधिकारी ने विशेष रूप से यह भी कहा कि प्रत्येक एंबुलेंस का ट्रैकिंग सिस्टम सक्रिय रहेगा और नियंत्रण कक्ष के माध्यम से उनकी निगरानी की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की लापरवाही पर तत्काल कार्रवाई की जा सके। इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
तकनीकी विशेषताएं और सेवा प्रबंधन
108 और 102 एंबुलेंस में इस बार जो नया बदलाव किया गया है, वह तकनीकी रूप से अत्यंत सराहनीय है। इन एंबुलेंसों में आधुनिक जीवन रक्षक उपकरणों के साथ-साथ ऑक्सीजन सपोर्ट, स्ट्रेचर, प्राथमिक उपचार किट, जीपीएस ट्रैकिंग, टेलीमेडिसिन सुविधा, और प्रशिक्षित EMT (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) की व्यवस्था की गई है। प्रत्येक एंबुलेंस में दो स्टाफ सदस्य होंगे—एक ड्राइवर और एक EMT—जिन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया है कि वे कैसे मरीज को अस्पताल पहुंचाने से पहले प्रारंभिक चिकित्सा सहायता दें। इसके अलावा इन वाहनों को जिला स्वास्थ्य समिति और इमरजेंसी मेडिकल रिस्पॉन्स टीम द्वारा मॉनिटर किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे। सेवा की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए शिकायत निवारण प्रणाली भी विकसित की जा रही है, ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा की स्थिति में आमजन अपनी शिकायत सीधे जिला स्वास्थ्य विभाग को दे सके।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वरदान
गोंडा जैसे जनपद में, जहां अभी भी कई गांव सड़क से कटे हुए हैं और परिवहन की समुचित व्यवस्था नहीं है, वहां यह सेवा ग्रामीण जनता के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं को प्रसव के समय अस्पताल लाना अक्सर एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, जिससे प्रसव के दौरान होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में वृद्धि होती है। अब 102 एंबुलेंस सेवा के माध्यम से ऐसी महिलाओं को समय पर अस्पताल पहुंचाकर सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित किया जा सकेगा। वहीं सड़क दुर्घटनाओं या दिल का दौरा जैसे आपातकालीन स्थितियों में 108 सेवा उस ‘गोल्डन ऑवर’ को बचाने में सहायक होगी जो किसी भी मरीज की जान बचाने में निर्णायक होती है। सरकार और जिला प्रशासन द्वारा की गई यह पहल ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
जनता की प्रतिक्रिया और उम्मीदें
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और आशा बहुओं ने भी बताया कि पहले कई बार गांवों से मरीजों को अस्पताल लाने में बहुत समय लगता था, जिससे उनका इलाज विलंबित होता था। अब इस सेवा से यह समस्या काफी हद तक समाप्त हो जाएगी। वहीं मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का भी मानना है कि समय पर मरीजों के पहुंचने से आपातकालीन स्थितियों में इलाज की सफलता दर में उल्लेखनीय सुधार होगा। आमजन की यही अपेक्षा है कि इन सेवाओं का संचालन लगातार, पारदर्शी और तकनीकी रूप से दक्ष तरीके से हो, ताकि किसी को भी इनका लाभ लेने में कठिनाई न हो।
भविष्य की योजनाएं और प्रशासनिक संकल्प
इस अवसर पर जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल एक शुरुआत है। स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक जनोन्मुखी और तकनीकी रूप से मजबूत बनाने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन लगातार प्रयासरत है। आगामी समय में टेलीमेडिसिन, मोबाइल स्वास्थ्य वैन, और डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड जैसी योजनाओं को भी जनपद में लागू किया जाएगा। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज को एक अत्याधुनिक ट्रॉमा सेंटर और क्रिटिकल केयर यूनिट से भी जोड़ा जाएगा ताकि गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने यह भी संकल्प लिया कि किसी भी मरीज को सिर्फ दूरी या संसाधनों की कमी के कारण इलाज से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा। यह पहल एक प्रमाण है कि अगर इच्छा शक्ति हो तो संसाधनों की सीमाएं भी बाधा नहीं बन सकतीं। गोंडा अब एक नई स्वास्थ्य क्रांति की ओर अग्रसर है, और इसकी बागडोर ऐसे संवेदनशील और सक्षम प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ में है जो वास्तव में जनकल्याण को सर्वोपरि मानते हैं।