
गोण्डा, 03 अप्रैल। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत गोण्डा जिले ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। जिले की कुल 53 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है। इस उपलब्धि के अवसर पर जिला पंचायत सभागार में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें जिलाधिकारी नेहा शर्मा और मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अंकिता जैन ने ग्राम प्रधानों को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। इस पहल के अंतर्गत जिले के सभी टीबी मरीजों को अधिकारियों, कर्मचारियों और अन्य समाजसेवियों द्वारा गोद लिया गया है, जिससे उनका समुचित उपचार और देखभाल सुनिश्चित की जा सके।
टीबी मुक्त अभियान की अवधारणा और मानक
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सलाहकार डॉ. दीपक चतुर्वेदी ने इस अवसर पर टीबी मुक्त अभियान की अवधारणा को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि किसी भी ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त घोषित करने के लिए कुछ आवश्यक मानकों को पूरा करना होता है। यदि किसी ग्राम पंचायत की कुल जनसंख्या 1000 है, तो पूरे वर्ष में कम से कम 30 लोगों की टीबी जांच होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, पूरे क्षेत्र में टीबी के अधिकतम एक ही सक्रिय मरीज होने चाहिए, सभी मरीजों की यूनिवर्सल ड्रग सेंसिटिविटी टेस्टिंग (UDST) होनी चाहिए, और टीबी के उपचार का आउटपुट 85% से अधिक होना चाहिए। इसके अलावा, भारत सरकार की निःक्षय पोषण योजना के तहत सभी मरीजों को ₹1000 प्रति माह की सहायता राशि समय पर मिलनी चाहिए।
टीबी मुक्त ग्राम पंचायतों की संख्या और सत्यापन प्रक्रिया
वर्ष 2024 में कुल 59 ग्राम पंचायतों ने टीबी मुक्त घोषित होने के लिए आवेदन किया था। जिला प्रशासन की 16 टीमों ने राज्य सरकार से प्राप्त सूचकांकों के आधार पर इन ग्राम पंचायतों का सघन सत्यापन किया। जांच के दौरान 06 ग्राम पंचायतें अयोग्य पाई गईं, जबकि 53 ग्राम पंचायतों को मानकों के अनुरूप पाया गया। इनमें से 09 ग्राम पंचायतें ऐसी थीं जो पहले ही वर्ष 2023 में टीबी मुक्त घोषित की जा चुकी थीं, जबकि 44 नई ग्राम पंचायतों ने इस वर्ष यह उपलब्धि हासिल की।
इस उपलब्धि को चिह्नित करने के लिए जिलाधिकारी और सीडीओ ने इन ग्राम पंचायतों को प्रतीकात्मक रूप से सम्मानित किया। पिछले वर्ष से टीबी मुक्त बनी 09 ग्राम पंचायतों को महात्मा गांधी जी की रजत रंग की मूर्ति और प्रमाण पत्र प्रदान किया गया, जबकि इस वर्ष टीबी मुक्त घोषित हुई 44 नई ग्राम पंचायतों को कांस्य रंग की मूर्ति और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने ग्राम प्रधानों को संबोधित करते हुए कहा कि टीबी जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए सामुदायिक स्तर पर सहयोग आवश्यक है। उन्होंने ग्राम प्रधानों से कुपोषण मिटाने का संकल्प लेने का आग्रह किया ताकि इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके।
टीबी मरीजों को गोद लेने की पहल
गोण्डा जिले में टीबी मरीजों की संख्या 6125 है, जिनका उपचार सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों में चल रहा है। इस अभियान के तहत जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के नेतृत्व में सभी मरीजों को विभिन्न सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और समाजसेवियों द्वारा गोद लिया गया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी मरीजों को समय पर दवाएं, पोषण सहायता और चिकित्सकीय देखभाल मिल सके।
मुख्य विकास अधिकारी अंकिता जैन ने इस अवसर पर कहा कि किसी भी जिले के विकास की सबसे छोटी इकाई उसका गाँव होता है, और यदि गाँवों को स्वस्थ बनाया जाए, तो पूरे जिले की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के संकल्प की याद दिलाते हुए कहा कि गोण्डा जिले को इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
ग्राम प्रधानों का योगदान और उनकी प्रतिक्रिया
कार्यक्रम में भाग लेने वाले ग्राम प्रधानों ने इस पहल की सराहना की और इसे एक क्रांतिकारी कदम बताया। ब्लॉक परसपुर के अकोरी गाँव के प्रधान तामकेश्वर सिंह ने कहा कि यह पहल न केवल मरीजों के जीवन में बदलाव ला रही है, बल्कि पूरे समाज को जागरूक बना रही है। उन्होंने बताया कि उनके गाँव में लोगों को टीबी के लक्षणों और इसके रोकथाम के उपायों के बारे में जागरूक करने के लिए नियमित अभियान चलाए जाते हैं।
इस दौरान महिला ग्राम प्रधानों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया और टीबी उन्मूलन को लेकर अपने विचार साझा किए। ब्लॉक बेलसर के मरगूबपुर, मनकापुर के करनुपुर राजा, वजीरगंज के दो गाँव, मैनपुर और पहली, मुजेहना के शुक्लपुर, हलधरमऊ के भुलभुलिया, बभनी और चकपान, नवाबगंज के इटियाथोक के बरडोड सहित 09 ग्राम पंचायतें ऐसी थीं, जो वर्ष 2023 में भी टीबी मुक्त घोषित की गई थीं और इस वर्ष भी उन्होंने इस मानक को बनाए रखा।
भविष्य की योजना और जिला प्रशासन की अपील
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने सभी ग्राम प्रधानों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से अपील की कि वे अगले वर्ष 2025 में गोण्डा जिले की सभी ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त बनाने के लिए पूरी निष्ठा से काम करें। उन्होंने कहा कि यदि ग्राम प्रधान और स्थानीय प्रशासन मिलकर कार्य करें, तो यह लक्ष्य पूरी तरह से संभव है।
कार्यक्रम के दौरान जिला पंचायत राज अधिकारी लालजी दूबे और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार डॉ. दीपक चतुर्वेदी को भी सम्मानित किया गया। उन्हें जिला क्षय रोग विभाग की ओर से मोमेंटो प्रदान किया गया, जिससे उनके द्वारा इस अभियान में दिए गए विशेष योगदान को सराहा जा सके।
टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत गोण्डा जिले की 53 ग्राम पंचायतों ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इस अभियान के अंतर्गत जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, ग्राम प्रधानों और समाजसेवियों ने मिलकर एक नई मिसाल कायम की है। अब चुनौती यह है कि 2025 तक पूरे जिले को टीबी मुक्त किया जाए। जिलाधिकारी और सीडीओ की प्रेरणा से शुरू हुआ यह अभियान गोण्डा जिले को एक स्वस्थ भविष्य की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध होगा।
इस कार्यक्रम में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. जयगोविंद, एसीएमओ डॉ. आदित्य वर्मा, डीपीआरओ लालजी दूबे, डीसीपीएम डॉ. आरपी सिंह, डीपीसी विवेक सारन, ग्राम प्रधानों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। सभी ने इस अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए अपने संकल्प को दोहराया।