गोण्डा। जिले में सरकारी निविदा प्रक्रिया को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से संबंधित एक निविदा को लेकर गंभीर अनियमितताओं की शिकायत की गई है। यह विवाद जेम पोर्टल पर प्रकाशित निविदा संख्या GEM/2024B/5770078 से संबंधित है, जिसमें तकनीकी बिड के दौरान कथित रूप से बेसिक शिक्षा अधिकारी के ऊपर कुछ कंपनियों को अनुचित लाभ देने के आरोप लगे हैं। इस मामले में जिलाधिकारी महोदया से निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई की मांग की गई है।
तकनीकी बिड में गड़बड़ी के आरोप
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जेम पोर्टल पर प्रकाशित निविदा के तहत तकनीकी बिड समिति द्वारा कुल 205 फर्मों के आवेदन प्राप्त हुए थे। सभी 205 फर्मों के दस्तावेजों की तुलना की गई थी। तकनीकी परीक्षण के दौरान कई कंपनियों के दस्तावेज अधूरे पाए गए, जिसके चलते उन्हें 48 घंटे का अतिरिक्त समय दिया गया। इस अवधि में कुल 53 फर्मों ने अपने संशोधित दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिन्हें पुनः समिति द्वारा जांचा गया।
तकनीकी परीक्षण के बाद HAAD SERVICES AND CONSTRUCTION PRIVATE LIMITED तथा VS Enterprises नामक दो फर्मों को योग्य पाया गया और उनके वित्तीय बिड खोलने की प्रक्रिया तय की गई। लेकिन जब इन कंपनियों के दस्तावेजों की गहन समीक्षा की गई, तो पाया गया कि इनका ISO 9001:2015 प्रमाणपत्र निविदा खुलने के बाद जारी किया गया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि इन कंपनियों ने निविदा शर्तों का उल्लंघन किया है और तकनीकी बिड में अयोग्य होने के बावजूद उन्हें गलत तरीके से योग्य घोषित कर दिया गया।
फर्मों के ISO प्रमाणपत्र पर उठे सवाल
यह एक गंभीर अनियमितता मानी जा रही है, क्योंकि यदि किसी कंपनी का ISO प्रमाणपत्र तकनीकी बिड के समय सत्यापित नहीं था, या आईएसओ प्रमाण पत्र तकनीकी बिड अपलोड करने के बाद का है तो उसे योग्य ठहराने का कोई औचित्य नहीं था। इससे अन्य निविदाकर्ताओं के साथ अन्याय हुआ है और पूरी निविदा प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं।
समिति पर पक्षपात का आरोप
तकनीकी बिड की जांच करने वाली समिति पर पक्षपात के आरोप लग रहे हैं। निविदा में भाग लेने वाली फर्म ने शिकायत दर्ज कराई है कि समिति ने मनमाने तरीके से बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा निर्णय लिए और कुछ कंपनियों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने का प्रयास किया।
यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह एक गंभीर भ्रष्टाचार का मामला बन सकता है। सरकारी ठेकों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष और नियमों के अनुसार हो।
डीएम से निष्पक्ष जांच की मांग
अब यह मामला जिलाधिकारी महोदया के संज्ञान में लाया गया है और उनसे इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने की मांग की जा रही है। स्थानीय व्यापारिक संगठनों और अन्य निविदाकर्ताओं ने भी इस मामले की जांच की मांग की है।
यदि इस निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी पाई जाती है, तो इससे सरकारी विभागों की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाएगा। साथ ही, भविष्य में सरकारी निविदाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता होगी।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
अब देखना यह होगा कि जिलाधिकारी इस मामले में क्या निर्णय लेते हैं। क्या पूरी प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाएगा या फिर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी? यह मामला अन्य सरकारी निविदाओं के लिए भी एक नजीर बन सकता है, जिससे भविष्य में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।

