बलिया 3 अप्रैल। बलिया इन दिनों फर्जी नियुक्तियों को लेकर सुर्खियों में है। सरकारी विभागों में बिना वैध प्रक्रिया अपनाए ही नियुक्तियां कर दी जा रही हैं, और इसमें अधिकारियों से लेकर नेताओं तक की संलिप्तता के आरोप लग रहे हैं। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग में 145 कर्मचारियों की नियुक्ति एक फर्जी पत्र के आधार पर कर दी गई, जिसके बाद तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) ने इस मामले की जांच कर रिपोर्ट निदेशालय को भेजी। रिपोर्ट के आधार पर जनवरी 2025 में एफआईआर दर्ज कर इन कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने का निर्देश दिया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसी दौरान, कार्यकाल खत्म होने से ठीक दो दिन पहले तत्कालीन सीएमओ डॉ. विजय पति द्विवेदी ने 15 स्टाफ नर्सों पर मामला दर्ज कराया, जिससे मामले ने तूल पकड़ लिया।
अभी भी इन फर्जी कर्मचारियों को करोड़ों रुपये का वेतन दिया जा रहा है। इसी तरह, माध्यमिक शिक्षा विभाग में भी बड़ी संख्या में अवैध नियुक्तियां की गईं, जिनकी जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है। इस मामले में जिले के कई प्रभावशाली नेताओं के परिवारजनों के नाम सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग में 200 से अधिक फर्जी नियुक्तियां
बलिया जिले में बतौर जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) जुलाई 2022 में रमेश सिंह की तैनाती हुई थी। दो वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने एडेड स्कूलों और संस्कृत विद्यालयों में सहायक शिक्षक, लिपिक और परिचारक ग्रेड में 200 से अधिक नियुक्तियां करवाईं। इन नियुक्तियों का वेतन भी स्वीकृत कर दिया गया और अब तक लगभग 10 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
मऊ में तैनात रहे तत्कालीन डीआईओएस देवेंद्र गुप्ता ने भी इसी तरह 50 नियुक्तियों का भुगतान किया। जून 2024 में जब रमेश सिंह का तबादला मऊ हुआ और देवेंद्र गुप्ता ने बलिया का कार्यभार संभाला, तब दोनों अधिकारियों ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें शासन को भेजीं। रमेश सिंह ने मऊ में की गईं नियुक्तियों पर सवाल उठाए, तो बलिया में तैनात डीआईओएस देवेंद्र गुप्ता ने भी बलिया में की गई फर्जी नियुक्तियों की जांच शुरू कर दी।
फर्जी नियुक्तियों की जांच में खुलासा
जांच के पहले चरण में ही 179 नियुक्तियों में अनियमितताओं की पुष्टि हुई। इसमें संस्कृत शिक्षक, लिपिक, परिचारक सहित अन्य पदों पर 200 से अधिक अवैध नियुक्तियां सामने आईं। जांच के बाद इन सभी कर्मचारियों का वेतन जुलाई 2024 से रोक दिया गया। डीआईओएस ने इस संबंध में प्रशासनिक मुख्य सचिव (एसीएस) को पत्र लिखकर कार्रवाई की सिफारिश की। इसी बीच, मऊ में तैनात रहे रमेश सिंह ने भी एसीएस को पत्र लिखकर अपनी सफाई दी।
हालांकि, कुछ दिनों पहले रमेश सिंह को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, बलिया के डीआईओएस देवेंद्र गुप्ता ने स्पष्ट किया कि संस्कृत विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति का अधिकार जिला विद्यालय निरीक्षक को कभी रहा ही नहीं है। अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक की नियुक्ति माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड द्वारा की जाती है। इसके अलावा, अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती 2011 से प्रतिबंधित है, लेकिन इसके बावजूद भारी पैमाने पर नियुक्तियां की गईं।
भाजपा जिलाध्यक्ष का बयान और राजनीतिक विवाद
भाजपा जिलाध्यक्ष ने इस मामले में कहा कि अभी तक पूरी जानकारी नहीं मिली है, लेकिन किसी कार्यकर्ता ने उन्हें इस संबंध में एक वीडियो दिखाया है। उन्होंने कहा कि जब तक सभी तथ्यों की पुष्टि नहीं हो जाती, तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
इस पूरे मामले में सत्ता से जुड़े कई नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुई कुछ सूचनाओं में नेताओं के परिजनों के नामों का जिक्र किया जा रहा है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कई विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधा है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
अब तक की कार्रवाई और भविष्य की दिशा
अब तक की जांच में यह साफ हो गया है कि बलिया जिले में सरकारी विभागों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। फर्जी नियुक्तियों के माध्यम से करोड़ों रुपये का सरकारी धन गबन किया गया है। हालांकि, अभी तक दोषियों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
सूत्रों के अनुसार, एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद सरकार इस पर बड़ा कदम उठा सकती है। वहीं, प्रशासनिक स्तर पर भी इस मामले को लेकर सख्ती बरती जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस घोटाले के मुख्य दोषियों तक जांच पहुंच पाएगी, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
बलिया का यह मामला उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक बड़ा उदाहरण बन गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच एजेंसियां इस पर क्या कदम उठाती हैं और सरकार इस मामले में क्या निर्णय लेती है।

