
गोवंश संरक्षण में लापरवाही पर जिलाधिकारी नेहा शर्मा का बड़ा एक्शन
गोंडा 10 जनवरी। गोवंश संरक्षण और उनके रखरखाव में लापरवाही पर सख्त कदम उठाते हुए जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने विकास खंड बेलसर के पकवान गांव और ताराडीह स्थित अस्थायी गो आश्रय स्थलों में पाई गई अव्यवस्थाओं के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है। निरीक्षण के दौरान गंभीर खामियां पाए जाने पर जिलाधिकारी ने संबंधित ग्राम प्रधान, ग्राम विकास अधिकारी और गो आश्रय स्थल के केयरटेकर के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने के आदेश दिए हैं। साथ ही, खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है। जिलाधिकारी ने इस मामले को गंभीर मानते हुए जिले के सभी गो आश्रय स्थलों का निरीक्षण और उनकी वित्तीय ऑडिट करने के निर्देश दिए हैं।
जिले में गो आश्रय स्थलों की स्थिति की पोल तब खुली, जब पकवान गांव और ताराडीह के स्थलों का निरीक्षण किया गया। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट और जांच टीम के निष्कर्षों ने व्यवस्था की खामियों को उजागर किया। निरीक्षण में पाया गया कि:
- ठंड से बचाव के लिए किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं थी।
- भूसा और हरा चारा लगभग अनुपलब्ध था।
- पकवान गांव में पीने के पानी के लिए कोई टैंक नहीं था, और पशुओं को दूषित तालाब का पानी पिलाया जा रहा था।
- ताराडीह के गो आश्रय स्थल में साफ-सफाई की स्थिति बेहद खराब थी।
इन खामियों के आधार पर जिलाधिकारी ने इसे न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग माना, बल्कि गोवंशों के प्रति गंभीर असंवेदनशीलता भी करार दिया।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने स्पष्ट किया कि गोवंशों के रखरखाव में किसी भी प्रकार की लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह न केवल प्रशासनिक विफलता है, बल्कि नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी की भी अनदेखी है। जिलाधिकारी ने बेलसर विकासखंड के बीडीओ के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि जारी की और सभी संबंधित अधिकारियों को चेतावनी दी कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं के लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी ने पूरे जिले में चल रहे गो आश्रय स्थलों की स्थिति का आकलन करने के लिए एक विशेष जांच टीम गठित की है। यह टीम न केवल इन स्थलों की भौतिक स्थिति की जांच करेगी, बल्कि वित्तीय लेन-देन का भी आंतरिक ऑडिट करेगी। उन्होंने कहा कि गो आश्रय स्थलों के संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
जांच के आदेश के तहत निरीक्षण टीम को निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक गो आश्रय स्थल की स्थिति का बारीकी से आकलन करें और यह सुनिश्चित करें कि गोवंशों को पर्याप्त चारा, पानी और अन्य आवश्यक सुविधाएं मिल रही हैं।
जिलाधिकारी ने कहा कि गो आश्रय स्थलों में अव्यवस्थाएं न केवल प्रबंधन की लापरवाही को दर्शाती हैं, बल्कि सरकारी धन के दुरुपयोग की ओर भी इशारा करती हैं। उन्होंने इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए आश्रय स्थलों की वित्तीय गतिविधियों का विशेष ऑडिट करने का आदेश दिया है। डीएम ने कहा कि धन का सही उपयोग सुनिश्चित करना प्रशासन की प्राथमिकता है।
जिलाधिकारी ने कहा कि गोवंश संरक्षण के लिए एक दीर्घकालिक योजना बनाई जा रही है, जिसमें गो आश्रय स्थलों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करना और उनके संचालन में पारदर्शिता लाना शामिल है। इसके तहत सभी गो आश्रय स्थलों पर नियमित निरीक्षण किया जाएगा। वहां काम कर रहे कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। गो आश्रय स्थलों के लिए विशेष निगरानी तंत्र विकसित किया जाएगा। जिलास्तरीय समिति का गठन कर आश्रय स्थलों के संचालन पर सीधा नियंत्रण रखा जाएगा।जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि गोवंश संरक्षण प्रशासन की नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “यदि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” जिलाधिकारी ने स्थानीय जनता से भी अपील की कि वे गोवंशों के संरक्षण में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि पशु प्रेम और सामाजिक जिम्मेदारी का यह प्रयास तभी सफल हो सकता है, जब प्रशासन और जनता मिलकर काम करें।
समाज के लिए संदेश
जिलाधिकारी ने कहा कि गोवंश भारतीय समाज और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। उनका संरक्षण केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जिले में गो आश्रय स्थलों को आदर्श स्वरूप दिया जाएगा, जहां गोवंशों की हर आवश्यकता का ध्यान रखा जाएगा।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा की इस सख्त कार्रवाई ने न केवल प्रशासनिक जिम्मेदारियों की अहमियत को दोहराया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि लापरवाही के खिलाफ सख्त कदम उठाने से ही सुधार संभव है। यह कार्रवाई अन्य जिलों के लिए भी एक मिसाल बनेगी और गोवंश संरक्षण के क्षेत्र में नए मानक स्थापित करेगी।