सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और जागरूकता बढ़ाने की नई रणनीति
गोण्डा, 09 जनवरी। देवीपाटन मंडल में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए मंडलायुक्त शशि भूषण लाल सुशील ने एक ऐतिहासिक पहल की घोषणा की है। “नो हेलमेट, नो फ्यूल” अभियान के तहत अब मंडल के गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती जिलों में बिना हेलमेट पहने हुए दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं दिया जाएगा। यह कदम नोएडा मॉडल से प्रेरित है, जहां यह रणनीति पहले ही सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी है।
मंडलायुक्त शशि भूषण लाल सुशील ने डीएम, आरटीओ (प्रवर्तन) और डीएसओ सहित संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस अभियान को पूरी सख्ती और पारदर्शिता के साथ लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में हेलमेट न पहनने वाले दोपहिया वाहन चालकों की मौत की संख्या चिंताजनक है। हेलमेट पहने होने से दुर्घटनाओं में मौत का जोखिम काफी हद तक कम हो जाता है।
मंडलायुक्त ने कहा, “अब लोग घर से हेलमेट पहनकर ही सड़क पर निकलेंगे। बिना हेलमेट पहने पेट्रोल पंपों से पेट्रोल नहीं मिलेगा। यह रणनीति न केवल सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देगी, बल्कि लोगों में यातायात नियमों के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगी।”
1 जून 2019 को नोएडा में “नो हेलमेट, नो फ्यूल” नीति लागू की गई थी। इसके तहत पेट्रोल पंपों पर बिना हेलमेट पहने दोपहिया वाहन चालकों और उनके सहयात्रियों को ईंधन देने पर रोक लगा दी गई थी। इस नीति के सकारात्मक परिणाम सामने आए, और सड़क दुर्घटनाओं में उल्लेखनीय कमी देखी गई। इसी सफलता को देखते हुए देवीपाटन मंडल में भी इस नीति को लागू करने का निर्णय लिया गया है।
मंडलायुक्त ने हेलमेट पहनने के कानूनी प्रावधानों पर भी जोर दिया। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा-129 के तहत प्रत्येक दोपहिया वाहन चालक और सवारी को मानक हेलमेट पहनना अनिवार्य है।
- यह प्रावधान चार वर्ष से अधिक आयु के बच्चों पर भी लागू होता है।
- सिख धर्म के अनुयायियों को, जो पगड़ी पहनते हैं, इस नियम से छूट दी गई है।
- नियम का उल्लंघन करने पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा-177 के तहत दंड और जुर्माने का प्रावधान है।
सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए मंडलायुक्त ने ब्लैक स्पॉट्स (जहां दुर्घटनाएं बार-बार होती हैं) की पहचान करने और उन्हें सुधारने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में बेहतर साइन बोर्ड, सड़क प्रकाश व्यवस्था और यातायात पुलिस की तैनाती सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि सभी जिलों में सड़क सुरक्षा समितियों की मासिक बैठकें आयोजित की जाएं। इन बैठकों में अभियान की प्रगति की समीक्षा की जाएगी और आवश्यकता के अनुसार रणनीतियों में सुधार किया जाएगा।
मंडलायुक्त ने जोर देकर कहा कि सड़क सुरक्षा को एक जन आंदोलन के रूप में विकसित किया जाए। इसके लिए एनजीओ, स्वयंसेवी संगठनों और मीडिया का सहयोग लिया जाएगा।
क्षेत्र के प्रभावशाली व्यक्तियों को इस अभियान में शामिल किया जाएगा। यातायात पुलिस और परिवहन विभाग मोटर वाहन अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत हेलमेट न पहनने वालों पर जुर्माना लगाएंगे। पेट्रोल पंप मालिकों को इस रणनीति के महत्व और क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
पेट्रोल पंपों पर सीसीटीवी कैमरों की मदद से निगरानी रखी जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नियमों का पालन हो रहा है। इसके साथ ही ईंधन वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
मंडलायुक्त ने कहा कि इस रणनीति को सबसे पहले शहरी क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाएगा। शहरी क्षेत्रों में दोपहिया वाहनों की संख्या अधिक होती है और दुर्घटनाओं की संभावना भी ज्यादा होती है। शहरी क्षेत्रों में इस नीति के प्रभाव का मूल्यांकन करने के बाद इसे ग्रामीण क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जाएगा।
सड़क दुर्घटनाएं देश में मृत्यु और चोटों का एक प्रमुख कारण हैं। हेलमेट न पहनने के कारण दुर्घटनाओं में गंभीर चोटों और मौतों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लाखों लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं।
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, हेलमेट पहनने से सिर की चोटों का जोखिम 70% तक और मृत्यु का जोखिम 40% तक कम हो जाता है।
“नो हेलमेट, नो फ्यूल” पहल का उद्देश्य केवल सजा देना नहीं है, बल्कि लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है। यह पहल लोगों को यातायात नियमों का पालन करने और अपनी सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार बनाने का एक कदम है।
जनता से अपील
मंडलायुक्त ने जनता से अपील की कि वे इस अभियान का समर्थन करें और सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करें। उन्होंने कहा कि यातायात नियमों का पालन करना केवल एक कानूनी आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह जीवन की रक्षा के लिए आवश्यक है।
देवीपाटन मंडल में “नो हेलमेट, नो फ्यूल” पहल सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल न केवल सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में मदद करेगी, बल्कि लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक भी बनाएगी।
मंडलायुक्त शशि भूषण लाल सुशील का यह प्रयास जिले और राज्य के लिए एक मिसाल बन सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस अभियान का क्रियान्वयन कितनी कुशलता से किया जाता है और यह रणनीति सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने में कितनी प्रभावी साबित होती है।

