
नई दिल्ली 29 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए रविवार को देशवासियों को संबोधित किया। इस बार का कार्यक्रम विशेष रूप से प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ 2025 पर केंद्रित था। प्रधानमंत्री ने महाकुंभ की तैयारियों, उसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्ता पर बात की और देशवासियों से इस महाआयोजन को एकता और समरसता का संदेश लेकर मनाने की अपील की।
महाकुंभ का आयोजन: विविधता में एकता का प्रतीक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का आयोजन शुरू हो रहा है। उन्होंने कहा कि संगम तट पर इस समय भव्य तैयारियां चल रही हैं। हाल ही में प्रयागराज दौरे का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “कुछ दिन पहले जब मैंने हेलीकॉप्टर से कुंभ की तैयारियों का अवलोकन किया, तो मैं बहुत प्रभावित हुआ। इतना विशाल, इतना सुंदर और इतनी भव्यता देखकर प्रसन्नता हुई। यह आयोजन केवल इसके आकार की वजह से नहीं, बल्कि इसकी विविधता के कारण विश्वभर में अनोखा है। महाकुंभ वास्तव में एकता और समरसता का महोत्सव है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु, हजारों परंपराएं, सैकड़ों संप्रदाय और अनेकों अखाड़े शामिल होते हैं। “यहां हर व्यक्ति एक ही उद्देश्य के साथ आता है—आध्यात्मिक शुद्धि और सामाजिक एकता। यहां किसी तरह का भेदभाव नहीं दिखता। कोई बड़ा या छोटा नहीं होता। यह आयोजन विविधता में एकता का अद्भुत उदाहरण है, जिसे दुनिया में कहीं और नहीं देखा जा सकता।”
महाकुंभ का संदेश: ‘एक हो पूरा देश’
प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से महाकुंभ 2025 में भाग लेने और इस आयोजन को राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “जब हम महाकुंभ में भाग लें, तो समाज में विभाजन और नफरत की भावना को खत्म करने का संकल्प लेकर लौटें। कुंभ का संदेश है, ‘महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश।’ यह आयोजन न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र है, बल्कि सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है।”
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए कहा, “गंगा की अविरल धारा, न बंटे समाज हमारा। गंगा की पवित्रता और प्रवाह हमें यह सिखाते हैं कि समाज में विभाजन नहीं होना चाहिए। कुंभ का यह आयोजन हमारे भीतर इस भावना को और मजबूत करेगा।”
डिजिटल नवाचार से होगा कुंभ 2025 और विशेष
महाकुंभ 2025 की विशेषता इस बार इसका अत्याधुनिक तकनीकी इस्तेमाल भी होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि यह आयोजन डिजिटल और तकनीकी दृष्टि से ऐतिहासिक बनने जा रहा है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई डिजिटल सेवाएं और नवाचार उपलब्ध कराए जाएंगे।
एआई चैटबॉट की सुविधा:
महाकुंभ 2025 में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चैटबॉट का इस्तेमाल किया जाएगा। यह चैटबॉट 11 भारतीय भाषाओं में जानकारी उपलब्ध कराएगा। इसके जरिए श्रद्धालु किसी भी प्रकार की मदद या जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, “एआई चैटबॉट से जुड़कर आप कुंभ से संबंधित सभी सवालों के जवाब पा सकते हैं। चाहे वह यात्रा की योजना हो, घाटों का स्थान हो, या अन्य आवश्यक जानकारी हो—यह चैटबॉट हर कदम पर आपकी सहायता करेगा।”
डिजिटल नेविगेशन:
प्रधानमंत्री ने बताया कि डिजिटल नेविगेशन की मदद से श्रद्धालु आसानी से कुंभ के विभिन्न घाटों, मंदिरों और अखाड़ों तक पहुंच सकेंगे। यह तकनीक पार्किंग स्थलों तक पहुंचने और मेला क्षेत्र में भ्रमण करने में भी मदद करेगी।
कैमरों से सुरक्षा और खोया-पाया केंद्र:
पूरे मेला क्षेत्र को एआई संचालित कैमरों से कवर किया जाएगा। अगर कोई श्रद्धालु अपने परिजनों से बिछड़ जाता है, तो ये कैमरे उनकी खोज में मदद करेंगे। इसके अलावा, श्रद्धालुओं के लिए डिजिटल खोया-पाया केंद्र की सुविधा भी उपलब्ध होगी, जहां वे अपने बिछड़े परिजनों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
मोबाइल आधारित सेवाएं:
श्रद्धालुओं को उनके मोबाइल फोन पर सरकार द्वारा स्वीकृत टूर पैकेज, आवास और होमस्टे की जानकारी भी दी जाएगी। इस सुविधा से कुंभ के दौरान श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के अपनी यात्रा को सुविधाजनक बना सकेंगे।
#एकताकामहाकुंभ: प्रधानमंत्री की अपील
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से अपील की कि महाकुंभ में शामिल होकर इसके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को आत्मसात करें। उन्होंने कहा, “महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं है; यह एक ऐसा अवसर है, जहां हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करते हुए सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दे सकते हैं। जब आप महाकुंभ में जाएं, तो #एकताकामहाकुंभ के साथ अपनी सेल्फी जरूर अपलोड करें। इससे यह संदेश हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंचेगा।”
महाकुंभ 2025: एक अनोखा अनुभव
महाकुंभ का आयोजन विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है। इसकी भव्यता, विविधता और संदेश इसे अन्य आयोजनों से अलग बनाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे “एकता का महाकुंभ” करार दिया।
इस आयोजन में करोड़ों श्रद्धालु, साधु-संत, और विभिन्न परंपराओं के प्रतिनिधि एकत्र होते हैं। यह आयोजन न केवल भारतीय संस्कृति की गहराई और समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है।
प्रधानमंत्री के संदेश ने महाकुंभ 2025 को न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बना दिया है, बल्कि इसे सामाजिक और तकनीकी नवाचार के दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक बनाने का वादा किया है। प्रयागराज में इस महाआयोजन के दौरान हर कोई “गंगा की अविरल धारा” के साथ “न बंटे समाज हमारा” के संदेश को आत्मसात करेगा और एकता, समरसता और समर्पण के साथ इस आयोजन का हिस्सा बनेगा।
महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं होगा, बल्कि यह एकता, तकनीकी नवाचार और सांस्कृतिक धरोहर का जश्न होगा। प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में भारतीय संस्कृति और परंपरा की ताकत को उजागर करेगा।