
गोंडा 29 दिसंबर। जिले के पंडरीकृपाल विकासखंड में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत किए गए विकास कार्यों में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। जिलाधिकारी एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक गोंडा के आदेश संख्या-3305 दिनांक 03 दिसंबर 2024 के तहत संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
गबन का विवरण और प्रारंभिक जांच रिपोर्ट
जांच की शुरुआत एक शिकायत के आधार पर हुई, जिसे श्री सुरेंद्र कुमार और श्री बेचेलाल ने राधाकुंड, गोंडा से 2 दिसंबर 2021 को दर्ज कराया था। मुख्य विकास अधिकारी और उपायुक्त, स्व-रोजगार द्वारा की गई जांच में पाया गया कि 2017-18 और 2018-19 के बीच किए गए कई कार्यों में धन का दुरुपयोग हुआ।
घोटाले की प्रमुख परियोजनाएं और गबन का विवरण
जांच के दौरान जिन परियोजनाओं में अनियमितताएं पाई गईं:
1. दरियापुर हरिदोपट्टी: नानबच्चा मौर्य के खेत से श्रराम प्रधान के खेत तक भूमि विकास कार्य के लिए स्वीकृत ₹3.74 लाख की तुलना में ₹3.28 लाख जारी किए गए, लेकिन मौके पर कार्य अधूरा पाया गया।
2. मलारी: खजुहा तालाब के जीर्णोद्धार के लिए ₹9.95 लाख स्वीकृत थे, जिसमें ₹7.81 लाख का भुगतान हुआ, लेकिन कार्य आंशिक मिला।
3. टिकरिया: भूमि विकास और गौ आश्रय केंद्र तालाब निर्माण सहित परियोजनाओं के लिए करोड़ों रुपये स्वीकृत किए गए थे, लेकिन मौके पर अधिकांश कार्य नदारद थे।
अधिकारियों की भूमिका पर सवाल
जांच आख्या के अनुसार, संबंधित अधिकारियों ने वित्तीय अनियमितताओं में अपनी भूमिका निभाई। इनमें तत्कालीन खंड विकास अधिकारी हरिश्चंद्र राम प्रजापति, अवर अभियंता अंगद सिंह कुशवाहा, रमेश कुमार, और लेखाकार संजीव वर्मा का नाम शामिल है। इन अधिकारियों ने बगैर दस्तावेजी प्रमाण और हस्ताक्षर के धनराशि का भुगतान किया।
जांच में यह भी पाया गया कि कई कार्यों की फाइलें और अभिलेख जांच टीम को उपलब्ध नहीं कराए गए, जिससे यह संदेह प्रबल हुआ कि गबन को छुपाने के लिए साक्ष्य मिटाए गए।
दोषियों पर एफआईआर और कठोर कार्रवाई के निर्देश
जिलाधिकारी गोंडा ने 3 दिसंबर 2024 को आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उनके आदेश के तहत पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई और दोषियों की विवेचना शुरू हो गई है।
कानूनी कार्रवाई का विवरण
गबन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आईपीसी की सुसंगत धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए। इनमें सरकारी धन के दुरुपयोग, सरकारी अभिलेखों को छुपाने और गबन जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।
पुलिस अधीक्षक का बयान
पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट किया कि मामले की जांच निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ की जा रही है। उन्होंने कहा, “चाहे दोषी कोई भी हो, चाहे वह सरकारी कर्मचारी हो या अन्य, किसी के साथ रियायत नहीं बरती जाएगी।”
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश
यह मामला गोंडा में प्रशासनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। जिलाधिकारी और पुलिस प्रशासन द्वारा किए गए सख्त कदम यह संकेत देते हैं कि सरकार सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को कतई सहन नहीं करेगी।
प्रभात भारत विशेष
इस घटना ने सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, जिलाधिकारी गोंडा की त्वरित कार्रवाई ने यह संकेत दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इस कार्रवाई से अन्य जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को भी एक स्पष्ट संदेश जाएगा कि यदि कोई भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया, तो उसे कानून के दायरे में लाया जाएगा। आने वाले दिनों में पुलिस जांच की प्रगति और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई पर सभी की नजर रहेगी।