
गोण्डा, 27 दिसंबर। देवीपाटन मंडल के कमिश्नर शशि भूषण लाल सुशील ने गोण्डा जिले में बाढ़ कार्य खंड के तहत हुए निर्माण कार्यों में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत के आधार पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी को 15 दिनों के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
जांच की जद में आने वाले कार्यों में एल्गिन ब्रिज चरसढ़ी तटबंध और सकरौर भिखारीपुर रिंग बांध के निर्माण और उन्नयन शामिल हैं। ऐली परसौली निवासी शिकायतकर्ता ओम प्रकाश सिंह ने 6 दिसंबर 2024 को इन परियोजनाओं में ठेकेदारों और अभियंताओं द्वारा सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 से अब तक इन परियोजनाओं में फर्जी अनुबंध बनाकर और फर्जी भूमि अधिग्रहण के जरिए भारी वित्तीय अनियमितताएं की गई हैं। कमिश्नर ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एक उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जिसमें लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अभियंत्रण अभियंता, और प्राविधिक संपरीक्षा विभाग के प्राविधिक परीक्षक को शामिल किया गया है।
गंभीर आरोप और फर्जीवाड़े का विवरण
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि एल्गिन ब्रिज और सकरौर रिंग बांध परियोजनाओं में एक ही कार्य को अलग-अलग वित्तीय वर्षों में दर्शाकर फर्जी भुगतान किए गए। तटबंधों के निर्माण और उन्नयन के लिए बनाई गई परियोजनाओं में ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी अनुबंध और भुगतान की साजिश रची गई।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में भी अनियमितता बरती गई। आरोप है कि फर्जी दस्तावेजों और कागजों के आधार पर सरकारी धन की बंदरबांट की गई। यह अनियमितताएं न केवल भ्रष्टाचार का संकेत देती हैं, बल्कि सरकारी धन के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की ओर भी इशारा करती हैं।
कमिश्नर की सख्त कार्रवाई और जांच के निर्देश
मंडलायुक्त शशि भूषण लाल सुशील ने इन आरोपों को बेहद गंभीर मानते हुए कमेटी को निर्देश दिया है कि वे गहराई से जांच करें और हर पहलू का विश्लेषण कर 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा, “सरकारी धन का दुरुपयोग किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
कमेटी को सभी संबंधित दस्तावेज, रिकॉर्ड, और निर्माण कार्यों की स्थिति का निरीक्षण करने के लिए पूर्ण अधिकार दिए गए हैं। इसके अलावा, शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और स्थानीय ग्रामीणों के बयान भी जांच का हिस्सा बनाए जाएंगे।
बाढ़ कार्यों में भ्रष्टाचार से सरकारी योजनाओं पर सवाल
गोण्डा जिले में एल्गिन ब्रिज चरसढ़ी तटबंध और सकरौर रिंग बांध जैसी परियोजनाएं बाढ़ नियंत्रण और ग्रामीण क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। हालांकि, इन परियोजनाओं में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों ने सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और ईमानदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शिकायतकर्ता का कहना है कि इन परियोजनाओं में ठेकेदारों और अभियंताओं ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए अनुबंध किए और भुगतान उठाए। यह आरोप सरकारी धन के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की ओर इशारा करते हैं। अगर यह आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह स्पष्ट होगा कि किस तरह कुछ अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से जनहित की योजनाओं को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
जांच प्रक्रिया और कमेटी की भूमिका
कमेटी में शामिल लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग, और प्राविधिक संपरीक्षा विभाग के विशेषज्ञ जांच के हर पहलू की बारीकी से समीक्षा करेंगे। भूमि अधिग्रहण से लेकर अनुबंधों की प्रक्रिया और भुगतान के रिकॉर्ड तक, हर पहलू की जांच की जाएगी।
कमेटी के सदस्यों को निर्देश दिया गया है कि वे न केवल वित्तीय रिकॉर्ड का विश्लेषण करें, बल्कि कार्यस्थलों पर जाकर निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और स्थिति का भी आकलन करें। इस प्रक्रिया में ठेकेदारों और संबंधित अभियंताओं के बयान भी दर्ज किए जाएंगे।
भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का संदेश
कमिश्नर द्वारा जांच कमेटी के गठन और सख्त निर्देशों को भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अगर दोषी पाए जाते हैं, तो न केवल उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई होगी, बल्कि उन्हें कानूनी प्रक्रिया का भी सामना करना पड़ेगा।
सरकारी धन के दुरुपयोग की ऐसी घटनाएं न केवल प्रशासन की छवि को धूमिल करती हैं, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी कमजोर करती हैं। इस जांच के जरिए न केवल दोषियों को सजा मिलने की उम्मीद है, बल्कि अन्य विभागों को भी ईमानदारी और पारदर्शिता का संदेश जाएगा।
जांच की समयसीमा और अपेक्षाएं
कमिश्नर ने जांच को 15 दिनों के भीतर पूरा करने का आदेश दिया है। यह अपेक्षा की जा रही है कि जांच रिपोर्ट में सभी तथ्यों का खुलासा होगा और दोषियों को चिन्हित किया जाएगा। जनता को उम्मीद है कि यह कदम सरकारी धन के दुरुपयोग पर रोक लगाने और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन सुनिश्चित करने में सहायक होगा।
इस मामले की जांच से प्राप्त निष्कर्ष न केवल गोण्डा जिले के प्रशासनिक तंत्र पर प्रभाव डालेंगे, बल्कि अन्य जिलों में भी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक मिसाल पेश करेंगे।