
नई दिल्ली, 21 दिसंबर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर पर की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर राजनीतिक माहौल गरम हो गया है। कांग्रेस ने इस टिप्पणी के विरोध में बड़ा राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ने का ऐलान किया है। पार्टी ने 24 दिसंबर को देशभर के सभी जिला मुख्यालयों में ‘बाबा साहेब अंबेडकर सम्मान मार्च’ निकालने और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपने की घोषणा की है। इसके साथ ही 22 और 23 दिसंबर को देश के 150 शहरों में कांग्रेस नेता प्रेस वार्ता आयोजित करेंगे।
कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पार्टी के मीडिया और प्रचार विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह 2024 के चुनाव में जनता के फैसले को पचा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा, “400 पार और संविधान बदलने के सपने देखने वाले अब संविधान की रक्षा करने वाले लोगों के कारण कुंठा से ग्रसित हो गए हैं। गृह मंत्री अमित शाह की अपमानजनक टिप्पणी उसी हताशा का परिणाम है। अगर यह गलती से होता, तो अब तक माफी मांग ली गई होती, लेकिन भाजपा नेताओं के कुतर्क उनकी वास्तविक मंशा उजागर करते हैं।”
गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफ़े की मांग को लेकर हमारा आंदोलन जारी रहेगा! हम इन मनुस्मृति के उपासकों के खिलाफ़ डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की विरासत की रक्षा के लिए लड़ेंगे!
कांग्रेस आगामी सप्ताह को डॉ. अंबेडकर सम्मान सप्ताह के रूप में मनाएगी।
सभी कांग्रेस सांसद, वरिष्ठ नेता और…
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) December 21, 2024
खेड़ा ने कहा कि यह टिप्पणी केवल डॉ. अंबेडकर का नहीं, बल्कि पूरे देश का अपमान है। “यह सरकार बाबा साहेब द्वारा बनाए गए संविधान के खिलाफ काम कर रही है और उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रही है। अमित शाह का बयान इस प्रवृत्ति का जीता-जागता उदाहरण है,” उन्होंने जोड़ा।
कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन
कांग्रेस के इस राष्ट्रव्यापी अभियान की रूपरेखा भी स्पष्ट की गई। खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों और राज्य मुख्यालयों में पत्रकार वार्ता करने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान अमित शाह के बयान की कड़ी निंदा की जाएगी और उनके इस्तीफे की मांग उठाई जाएगी।
24 दिसंबर को आयोजित होने वाले ‘बाबा साहेब अंबेडकर सम्मान मार्च’ का नेतृत्व पार्टी के वरिष्ठ नेता करेंगे। यह मार्च डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण से शुरू होगा और संबंधित जिला कलेक्टरों को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपने के साथ समाप्त होगा। खेड़ा ने बताया, “इस मार्च का उद्देश्य न केवल अमित शाह के बयान का विरोध करना है, बल्कि संविधान की रक्षा और बाबा साहेब के सम्मान को बनाए रखने के लिए जनता को एकजुट करना है।”
ऐतिहासिक संदर्भ और बेलगावी अधिवेशन की 100वीं वर्षगांठ
पवन खेड़ा ने कांग्रेस के इतिहास और मूल्यों पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी से लेकर मल्लिकार्जुन खरगे तक कांग्रेस ने संघर्ष का मार्ग चुना है। हम अपने उस इतिहास को दोहराते हुए हर संघर्ष को जनता के साथ मिलकर लड़ेंगे।”
खेड़ा ने बेलगावी अधिवेशन की 100वीं वर्षगांठ पर भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 26 दिसंबर, 1924 को महात्मा गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे, जो स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था। “यह कांग्रेस के लिए ऐतिहासिक दिन है। इसी दिन कांग्रेस ने स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा तय की थी। इस ऐतिहासिक अवसर को मनाने के लिए 26 दिसंबर को बेलगावी में विस्तारित कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक आयोजित की जाएगी। 27 दिसंबर को बेलगावी में ही एक विशाल रैली होगी, जिसमें पार्टी के शॉर्ट टर्म और मीडियम टर्म एक्शन प्लान पर चर्चा होगी।”
कांग्रेस का संघर्ष और भविष्य की रणनीति
खेड़ा ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस कभी भी सत्ताधारी ताकतों के आगे झुकी नहीं है। “हमने हमेशा संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी है। बाबा साहेब के सम्मान की लड़ाई भी हमारे इसी संघर्ष का हिस्सा है। हम हर जिले में जनता के साथ मिलकर भाजपा के संविधान-विरोधी रवैये को उजागर करेंगे,” उन्होंने कहा।
कांग्रेस के इस अभियान को 2024 के चुनावों से पहले पार्टी की जनता के साथ संपर्क बढ़ाने और विपक्षी दलों को मजबूत करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। खेड़ा ने यह भी संकेत दिया कि आगामी बेलगावी बैठक में संगठनात्मक मजबूती और भविष्य की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
अंततः, कांग्रेस का यह कदम बाबा साहेब अंबेडकर के सम्मान और उनके विचारों की रक्षा के लिए एक बड़े आंदोलन की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। इससे जहां पार्टी को जनसमर्थन जुटाने में मदद मिल सकती है, वहीं भाजपा को जवाब देने के लिए एक नया राजनीतिक मोर्चा खोलना होगा।