
गोण्डा, 19 दिसंबर। बृहस्पतिवार को गोण्डा के कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा की अध्यक्षता में जिला गंगा समिति और जिला पर्यावरणीय समिति की बैठक संपन्न हुई। बैठक का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, वेटलैंड का पुनरुद्धार, वृक्षारोपण का निरीक्षण, और जल संसाधनों का प्रबंधन सुनिश्चित करना था। डीएम ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि पर्यावरणीय लक्ष्य को शत-प्रतिशत प्राप्त करने के लिए सभी संबंधित विभागों को सामूहिक प्रयास करने होंगे।
बैठक में जिलाधिकारी ने वेटलैंड संरक्षण, जलकुंभी प्रबंधन, और वृक्षारोपण की प्रगति की गहन समीक्षा की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 में हुए वृक्षारोपण के सापेक्ष शत-प्रतिशत जियो-टैगिंग सुनिश्चित की जाए। जिन पौधों की मृत्यु हो गई है, उनकी जगह नए पौधे लगाए जाएं और उन्हें पूरी देखभाल के साथ पुनर्जीवित किया जाए। जिलाधिकारी ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर सभी विभागों के बीच समन्वय बनाने पर विशेष जोर दिया।
वेटलैंड संरक्षण और वृक्षारोपण की समीक्षा
जिलाधिकारी ने वेटलैंड्स के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि जिले के सभी वेटलैंड्स को अतिक्रमण और जलकुंभी से मुक्त करना होगा। उन्होंने इस संबंध में कृषि, मत्स्य, और एनआरएलएम विभागों को संयुक्त रूप से कार्य करने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने कहा, “वेटलैंड्स की स्थिति में सुधार के लिए सक्रिय कदम उठाए जाने चाहिए। जो वेटलैंड्स मृत हो चुके हैं, उन्हें पुनर्जीवित किया जाए।”
बैठक में पार्वती अरगा पक्षी विहार से टिकरी शाखा नहर को जोड़ने की अनुमति मिलने की जानकारी दी गई। जिलाधिकारी ने कहा कि इस कार्य को जल्द से जल्द प्रारंभ किया जाएगा। यह कदम न केवल पर्यावरणीय संतुलन को बढ़ावा देगा, बल्कि क्षेत्र में जैव विविधता को भी संरक्षित करेगा।
वृक्षारोपण का लक्ष्य और प्रगति
बैठक में वर्ष 2024 में किए गए वृक्षारोपण की समीक्षा की गई। जिलाधिकारी ने कहा कि सभी संबंधित विभाग अपने-अपने क्षेत्र में वृक्षारोपण के निर्धारित लक्ष्यों के सापेक्ष शत-प्रतिशत जियो-टैगिंग सुनिश्चित करें। उन्होंने उन पौधों की भी पहचान करने को कहा जो जीवित नहीं हैं, और उनके स्थान पर नए पौधे लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए।
शहर में कूड़े का निस्तारण और ईंट भट्ठों का निरीक्षण
शहर में ठोस कचरा प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए डीएम ने नगरपालिका गोण्डा को समय पर कूड़े का निस्तारण सुनिश्चित करने का आदेश दिया। इसके अलावा, खनन अधिकारी को सभी ईंट भट्ठों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए ताकि जिले में कोई भी ईंट भट्ठा अवैध रूप से संचालित न हो सके। डीएम ने जिले में अवैध मिट्टी खनन पर विशेष ध्यान देने को कहा और इसे सख्ती से रोकने का निर्देश दिया।
जलकुंभी प्रबंधन और समेकित प्रयासों पर जोर
बैठक में जलकुंभी से उत्पन्न समस्याओं पर विशेष चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने मत्स्य विभाग, कृषि विभाग और एनआरएलएम विभाग को आपस में समन्वय बनाकर जलकुंभी का समुचित निस्तारण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। जलकुंभी की समस्या न केवल जल निकायों को बाधित करती है, बल्कि कृषि और मत्स्य पालन को भी प्रभावित करती है।
पर्यावरणीय समन्वय और जागरूकता अभियान
बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने सभी विभागों को निर्देश दिया कि वे पर्यावरणीय समन्वय को बढ़ावा दें और सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें। डीएम ने कहा, “पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी केवल प्रशासन की नहीं है। समाज के सभी वर्गों को इस दिशा में सहयोग करना होगा।”
सभी विभागों की भागीदारी
बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने अपनी-अपनी प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। मुख्य विकास अधिकारी अंकिता जैन, प्रभागीय वनाधिकारी, परियोजना निदेशक डीआरडीए चंद्रशेखर, और डीसी मनरेगा ने अपने विभागों की जिम्मेदारियों और कार्यों की जानकारी दी।
डीएम का स्पष्ट निर्देश
बैठक के अंत में जिलाधिकारी ने सभी विभागों को चेतावनी देते हुए कहा कि पर्यावरणीय लक्ष्यों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा, “पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना आवश्यक है। यह न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी भविष्य की नींव है।”
प्रभात भारत विशेष
पर्यावरण संरक्षण और गंगा संरक्षण जैसे गंभीर मुद्दों पर जिला प्रशासन का यह प्रयास सराहनीय है। डीएम नेहा शर्मा का नेतृत्व और उनकी कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करती है कि जिले में पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। वेटलैंड्स का पुनर्जीवन, वृक्षारोपण का निरीक्षण, और जलकुंभी प्रबंधन जैसे कार्य जिले में पर्यावरणीय सुधार के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे।
बैठक में जिलाधिकारी ने जिन कार्यों और निर्देशों पर जोर दिया, उनका उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण है, बल्कि जिले के प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी उपयोग सुनिश्चित करना भी है। जिलाधिकारी और उनकी टीम के प्रयास जिले को पर्यावरणीय समस्याओं से मुक्त करने और इसे एक हरित एवं स्थायी विकास के मॉडल के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगे।