गोंडा, 28 अगस्त (प्रभात भारत स्पेशल )। देश में जब चारों तरफ कोरोना ने तबाही मचा रखी है तो सरकार ने लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कई तरीके की सहूलियत और सहायता दे रही है लोगों के जो व्यापार कम हुए तो लोगों के सामने खाने का संकट ना पैदा हो इसके लिए उन्हें खाद्यान्न का वितरण फ्री कराया जा रहा है आज आइये हम इसी खाद्यान्न वितरण पर बात करते हैं और हम बात करेंगे गोंडा की वैसे तो गोंडा पहले से भी खाद्यान्न घोटाले को लेकर बदनाम रहा है यहां से ट्रेन की रैक में सरकारी गेहूं ऊंचे दाम पर बांग्लादेश भेज दिया गया था इसकी जांच अभी भी सीबीआई कर रही है यह तो बात पुरानी रही अब हम बात नई की कर रहे हैं और शुरुआत कर रहे हैं गोंडा के झंझरी गोदाम से। पढिये, समझिये और देखिए कैसे होता है प्रसाशन के नाक के नीचे खाद्यान का चोरी….

झंझरी गोदाम जहां से सार्वजनिक वितरण प्रणाली का खाद्यान कोटेदारों को वितरित होता है, गोदाम के सत्यापन के बाद वितरण के दिन से शुरू होता है असली खेल सभी कोटेदार का एक न एक फाइनेंसर होता था जो कोटेदारो का पैसा जमा करता था लेकिन अब कोटेदार अपने खाद्यान के आवंटन से 5 / 6 कुंतल खाद्यान गोदाम पर ही खड़े लोगो को बेंच देता है और एक पिकअप के बराबर खाद्यान हो जाने के बाद उसे गोंडा के गल्ला मंडी में काका के यहाँ बेंच दिया जाता है। अभी बीते दिनों किसी पत्रकार की नजर में आ जाने के कारण प्रकिया में थोड़ा बदलाव किया गया आवास विकास एक दूध डेरी के बगल में स्थित कोटे की दुकान पर अब ये पूरा खाद्यान उतर जाता है और वहां से इसे 60 किलो का करके वापस काका के यहां भेज दिया जाता है। गणना के अनुसार काका वितरण के दिनों में 200 कुंतल खाद्यान प्रतिदिन हजम कर लेते है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिला मुख्यालय पर जहां सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद है पुलिस को नजर रखना बड़ा आसान है मुखबिर भी कई होंगे फिर भी अभी तक इन माफियाओं तक प्रसाशन के हाथ क्यों नही पहुंचे? (क्रमशः)

