
गोण्डा 09 दिसंबर/ स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज, गोण्डा में आपातकालीन कक्ष (इमरजेंसी) में लापरवाही के मामलों को लेकर प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। देवीपाटन मंडल के आयुक्त द्वारा किए गए औचक निरीक्षण में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ. अरिहंत मिश्रा और फार्मासिस्ट उमाकांत त्रिपाठी अपने निर्धारित स्थान से अनुपस्थित पाए गए। इस निरीक्षण में अन्य खामियां भी उजागर हुईं, जिससे मरीजों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ा।
आयुक्त की सख्ती
आयुक्त देवीपाटन मंडल ने मेडिकल कॉलेज में मिली लापरवाही को गंभीर अनुशासनहीनता करार दिया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिम्मेदार कर्मचारियों से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा जाए और अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। आयुक्त ने इमरजेंसी कक्ष में मरीजों को मिलने वाली सेवाओं में सुधार के लिए नियमित निरीक्षण की व्यवस्था करने और उसकी विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा।
आयुक्त ने इस लापरवाही को ‘खेदजनक’ बताते हुए कहा, “मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान में अनुशासन का पालन न करना न केवल संस्थान की छवि को नुकसान पहुंचाता है बल्कि मरीजों की जान को भी खतरे में डालता है।”

कर्मचारियों पर कार्रवाई: वेतन रोका गया
मामले की गंभीरता को देखते हुए मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य, प्रो. धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने ने तुरंत कार्रवाई की है। ड्यूटी पर अनुपस्थित पाए गए कर्मचारियों के वेतन/मानदेय को तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया गया है। कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है, और स्पष्ट किया गया है कि जब तक स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाया जाता, तब तक उनके वेतन पर रोक जारी रहेगी।
स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश
अनुशासन सुनिश्चित करने की पहल
डॉ. अरिहंत मिश्रा और उमाकांत त्रिपाठी को अपने विभागाध्यक्ष के माध्यम से तुरंत स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही दोहराने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने यह स्पष्ट किया कि इस घटना के बाद अनुशासन बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे। प्रधानाचार्य ने इमरजेंसी कक्ष की कार्यप्रणाली की नियमित निगरानी के निर्देश दिए और संबंधित अधिकारियों से साप्ताहिक रिपोर्ट मांगी है।
व्यवस्था में सुधार के प्रयास
यह कार्रवाई मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से जिम्मेदारी और अनुशासन सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम है। प्रधानाचार्य ने सभी कर्मचारियों को सचेत किया है कि मरीजों को सर्वोत्तम चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा, “यह संस्थान मरीजों की सेवा के लिए है, और यहां हर कर्मचारी का कर्तव्य है कि वह अपनी जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निभाए।”
आयुक्त और प्रधानाचार्य की इस संयुक्त पहल से मेडिकल कॉलेज प्रशासन में जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह कदम न केवल इमरजेंसी कक्ष में सुधार सुनिश्चित करेगा बल्कि अन्य विभागों को भी प्रेरित करेगा।
प्रभात भारत विशेष
मेडिकल कॉलेज की इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया कि मरीजों की सेवा में लापरवाही के लिए कोई स्थान नहीं है। प्रशासन का यह कदम अन्य संस्थानों के लिए भी एक मिसाल बनेगा। अब देखना यह है कि इन सुधारात्मक प्रयासों का संस्थान की कार्यप्रणाली पर कितना प्रभाव पड़ता है।