
गोण्डा, 07 दिसंबर। जनशिकायतों के समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने कड़ा रुख अपनाते हुए 24 अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। इनमें से 10 अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है, जबकि 14 अधिकारियों को कठोर चेतावनी जारी की गई है। जिलाधिकारी ने यह संदेश स्पष्ट किया कि जनशिकायतों के निस्तारण में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई जारी रहेगी।
जिलाधिकारी ने कहा, “जिला प्रशासन गोण्डा जनता की समस्याओं के समाधान के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। आईजीआरएस पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों और उनके निस्तारण की गुणवत्ता की नियमित समीक्षा की जा रही है। जो अधिकारी अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक से नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।”
जिला प्रशासन द्वारा की गई इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य जनशिकायतों के प्रभावी निस्तारण की प्रणाली को सुदृढ़ करना और शिकायतकर्ताओं को समय पर न्याय दिलाना है। आईजीआरएस पोर्टल के आंकड़ों के आधार पर चिन्हित किए गए अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए, जिलाधिकारी ने उन्हें भविष्य में सतर्क रहने की सख्त हिदायत दी है।
विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि पाने वाले अधिकारियों की सूची और मामले की गंभीरता
जिन 10 अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है, उनमें से अधिकतर का कार्य क्षेत्र पंचायत, शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित है। ये विभाग सीधे तौर पर ग्रामीण विकास और सार्वजनिक सेवाओं से जुड़े हैं। इनमें बाल विकास परियोजना अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी (पंचायत), और सीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारियों जैसे पद शामिल हैं।
विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि पाने वाले अधिकारी:
1. राम प्रकाश मौर्या (बाल विकास परियोजना अधिकारी, तरबगंज)
2. ओम प्रकाश सिंह यादव (खंड विकास अधिकारी, बभनजोत)
3. राजेश कुमार वर्मा (सहायक विकास अधिकारी, पंचायत, हलधरमऊ)
4. श्रवण कुमार तिवारी (खंड शिक्षा अधिकारी, हलधरमऊ)
5. भूदेव सिंह (सहायक विकास अधिकारी, पंचायत, पंडरी कृपाल)
6. हरिओम पाल (सहायक विकास अधिकारी, पंचायत, छपिया)
7. रवि मिश्रा (सहायक विकास अधिकारी, पंचायत, बेलसर)
8. डॉ. सुनील पासवान (प्रभारी चिकित्साधिकारी, सीएचसी, इटियाथोक)
9. डॉ. एम.पी. यादव (प्रभारी चिकित्साधिकारी, सीएचसी, कटरा बाजार)
10. राकेश श्रीवास्तव (सहायक विकास अधिकारी, पंचायत, बभनजोत)
इन अधिकारियों को जनशिकायतों का त्वरित और गुणवत्ता युक्त समाधान सुनिश्चित करने में विफल रहने का दोषी पाया गया। जिलाधिकारी ने इन अधिकारियों के खिलाफ प्रशासनिक फाइल में प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज कर उनकी कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
कठोर चेतावनी प्राप्त करने वाले अधिकारी और उनके विभागों का विवरण
14 अन्य अधिकारियों को चेतावनी जारी की गई है। इनमें तहसीलदार, जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, और अन्य विभागीय प्रमुख शामिल हैं। इन पर जनशिकायतों के निस्तारण में सतर्कता न बरतने और शिकायतों की गुणवत्ता में कमी के आरोप हैं।
चेतावनी प्राप्त करने वाले अधिकारी:
1. लालजी दूबे (जिला पंचायत राज अधिकारी)
2. गिरिजेश पटेल (सहायक विकास अधिकारी, पंचायत, इटियाथोक)
3. हुकुम दत्त सिंह (सहायक विकास अधिकारी, पंचायत, बभनजोत)
4. देवेंद्र यादव (तहसीलदार, सदर)
5. सत्यपाल (तहसीलदार, मनकापुर)
6. मनीष कुमार (तहसीलदार, करनैलगंज)
7. रंजन वर्मा (तहसीलदार, तरबगंज)
8. जुगल किशोर (क्षेत्रीय पूर्ति निरीक्षक)
9. शिव प्रकाश (क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी)
10. मनोज कुमार मौर्य (जिला कार्यक्रम अधिकारी, बाल विकास एवं पुष्टाहार)
11. डॉ. रामचंद्र (जिला विद्यालय निरीक्षक)
12. आर.सी. भारतीय (सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी)
13. आर.एस. यादव (उपायुक्त, वाणिज्य कर)
14. संजय चतुर्वेदी (वित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक शिक्षा विभाग)
जिलाधिकारी ने इन अधिकारियों को भविष्य में सतर्कता बरतने और शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण समाधान सुनिश्चित करने की कड़ी हिदायत दी है।
जिलाधिकारी का स्पष्ट संदेश: कोई लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने कहा कि जनता की शिकायतों को समय पर हल करना जिला प्रशासन की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि जनशिकायतों का सही ढंग से समाधान न होने से प्रशासन की छवि खराब होती है और जनता का विश्वास टूटता है।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे आईजीआरएस पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों का समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण करें। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ताओं को उनकी समस्याओं का समाधान होने का सीधा अनुभव होना चाहिए, न कि केवल कागजों पर कार्यवाही पूरी की जाए।
जनता को मिलेगा न्याय: प्रशासनिक सुधारों की ओर कदम
इस कार्रवाई को प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। जिलाधिकारी ने सभी विभागीय अधिकारियों को चेतावनी दी है कि भविष्य में यदि इसी प्रकार की लापरवाही पाई गई, तो न केवल प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाएगी, बल्कि कठोर दंडात्मक कदम भी उठाए जाएंगे।
जिला प्रशासन का यह प्रयास जनता के बीच प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।