
अभियंता, सहायक अभियंता सहित कई ठेकेदार रडार पर
लखनऊ 4 दिसंबर। उत्तर प्रदेश में सड़क निर्माण कार्यों में गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई हैं। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा किए गए निरीक्षण में नौ जिलों के अभियंताओं पर गुणवत्ता मानकों की अनदेखी और घोटाले के आरोप लगे हैं। इन अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी हो चुकी है, और इसकी रिपोर्ट विभागीय मुख्यालय को भेज दी गई है। अगले सप्ताह तक शासन द्वारा इस पर कड़ी कार्रवाई की संभावना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो लोक निर्माण विभाग के मंत्री भी हैं, ने अक्टूबर में अधिकारियों को नई सड़कों की गुणवत्ता की जांच के निर्देश दिए थे। इस आदेश के तहत प्रमुख सचिव अजय चौहान, विभागीय सलाहकार वीके सिंह और तत्कालीन विभागाध्यक्ष योगेश पवार ने हरदोई सहित नौ जिलों में बनी नई सड़कों की जांच की।
जांच के दौरान हरदोई की चार सड़कों में गंभीर खामियां पाई गईं। गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में ये सड़कें असफल रहीं और प्रयोगशाला परीक्षणों में इनके नमूने फेल हो गए। शासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 16 अभियंताओं को निलंबित कर दिया और ठेकेदारों से 30 करोड़ रुपये की वसूली का निर्णय लिया।
इसके अलावा, विभाग ने कानपुर नगर, आजमगढ़, गाजीपुर, मुजफ्फरनगर, बलरामपुर, प्रतापगढ़, बदायूं, जालौन और बस्ती में बनी सड़कों की जांच कराई। इन जिलों से 40 से अधिक सड़क नमूने लिए गए, जिनमें से अधिकांश फेल हो गए। इसने विभाग की ओर से कमीशनखोरी और घटिया सामग्री के उपयोग के गंभीर संकेत दिए हैं।
भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण के खिलाफ कार्रवाई तेज
जांच में मिली खामियों ने लोक निर्माण विभाग की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रयोगशाला जांच में सामने आया कि अधिकांश सड़क निर्माण में मानकों की अनदेखी की गई है। खराब सामग्री जैसे घटिया कोलतार और पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है, जिससे सड़कों की गुणवत्ता प्रभावित हुई। इन खामियों के लिए संबंधित अभियंताओं और निर्माण कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि दोषी अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी तेज कर दी गई है। जल्द ही इनके खिलाफ निलंबन और अन्य दंडात्मक कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, ठेकेदारों और निर्माण कंपनियों पर भी शिकंजा कसने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
हरदोई जिले में सबसे गंभीर मामले सामने आए हैं। यहां की चार सड़कों का निर्माण पूरी तरह घटिया पाया गया। इनकी गुणवत्ता को परखने के लिए नमूनों की जांच की गई, जो पूरी तरह असफल रही। इसी के आधार पर 16 अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया है।
अन्य जिलों में भी हालात बेहतर नहीं हैं। कानपुर नगर, आजमगढ़, गाजीपुर और मुजफ्फरनगर जैसे जिलों में बनी सड़कों के नमूने जांच में असफल पाए गए। इससे स्पष्ट है कि सड़क निर्माण में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है। विभाग का कहना है कि भ्रष्टाचार से प्रभावित इन परियोजनाओं में शामिल सभी दोषियों पर कठोर कार्रवाई होगी।
इस पूरे प्रकरण ने लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद विभाग द्वारा किए गए जांच अभियान से स्पष्ट हो गया है कि निर्माण कार्यों में कमीशनखोरी और अनियमितताओं का गहरा जाल है। इस घोटाले में शामिल ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग जोर पकड़ रही है।
प्रभात भारत विशेष
सड़क निर्माण जैसे बुनियादी ढांचे में भ्रष्टाचार ने सरकार और जनता के बीच विश्वास को चोट पहुंचाई है। लोक निर्माण विभाग द्वारा शुरू की गई यह कार्रवाई विभागीय सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। हालांकि, सख्त और पारदर्शी जांच के साथ दोषियों के खिलाफ ठोस कदम उठाना समय की मांग है। इससे न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक उदाहरण स्थापित होगा।