
गोंडा, 3 दिसंबर।उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में जिला प्रशासन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जनता की समस्याओं के समाधान में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ग्राम चौहट्टा में वर्षों से चले आ रहे चकरोड विवाद को जिलाधिकारी नेहा शर्मा की सक्रियता और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई के चलते मात्र एक दिन में सुलझा लिया गया। यह मामला सोमवार को जिलाधिकारी के जनता दर्शन कार्यक्रम में सामने आया, जब ग्राम चौहट्टा के निवासी दीनानाथ उपाध्याय ने अपनी शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत और समस्या की पृष्ठभूमि
दीनानाथ उपाध्याय ने जिलाधिकारी को बताया कि उनके गाँव में चकरोड पर लंबे समय से अतिक्रमण था। राजस्व विभाग के लेखपाल ने पहले ही चकरोड को चिन्हित कर लिया था, लेकिन उस पर से कब्जा हटाने की कार्रवाई नहीं की गई थी। इस वजह से दीनानाथ और अन्य ग्रामीणों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा था। दीनानाथ ने यह भी बताया कि उनके दो एकड़ खेत में गन्ने की फसल खड़ी है और चकरोड के अतिक्रमण की वजह से फसल ले जाने में उन्हें कठिनाई हो रही है। अगर चकरोड जल्द खाली नहीं कराया गया, तो फसल की कटाई और बिक्री में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
डीएम ने दिखाई तत्परता
शिकायत सुनते ही जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने तुरंत संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि मौके पर जाकर समस्या का समाधान सुनिश्चित करें। उन्होंने राजस्व विभाग, पुलिस विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया। डीएम के सख्त निर्देशों के बाद तीन घंटे के भीतर राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुँच गई।
मौके पर कार्रवाई
राजस्व टीम ने सबसे पहले चकरोड की पैमाइश की। इस दौरान अतिक्रमण की पुष्टि हुई। टीम ने ग्रामीणों और कब्जाधारकों से बातचीत की और उन्हें अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया। जब कब्जाधारकों ने अतिक्रमण हटाने में देरी की, तो प्रशासन ने मौके पर ही जेसीबी मशीन बुलाकर कार्रवाई शुरू कर दी। शाम तक चकरोड को पूरी तरह खाली करा दिया गया। इस कार्रवाई में स्थानीय पुलिस ने भी अहम भूमिका निभाई, जिससे किसी प्रकार की अशांति नहीं हुई।
डीएम ने दी सख्त चेतावनी
घटना के बाद जिलाधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि गोंडा जिले में अतिक्रमण और जनता की समस्याओं के प्रति लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि ऐसे मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। डीएम ने यह भी कहा कि जनता के अधिकारों की रक्षा करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने कहा, “चकरोड पर कब्जा करने वाले लोग यह समझ लें कि प्रशासन किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि को सहन नहीं करेगा। हमारी प्राथमिकता जनता की समस्याओं को समयबद्ध तरीके से हल करना है।”
ग्रामीणों ने की प्रशंसा
ग्राम चौहट्टा के निवासियों ने जिला प्रशासन की इस त्वरित कार्रवाई की सराहना की। उनका कहना है कि वर्षों पुरानी समस्या को एक ही दिन में सुलझा लिया गया, जो प्रशासन की तत्परता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी नेहा शर्मा की सक्रियता और सख्ती की भी जमकर तारीफ की।
स्थानीय निवासी क्या बोले?
गाँव के एक अन्य निवासी रामेश्वर यादव ने कहा, “पहले हमें लगता था कि हमारी शिकायतों को कोई सुनने वाला नहीं है। लेकिन जिलाधिकारी ने जिस तरह से त्वरित कार्रवाई की, उससे भरोसा हुआ कि प्रशासन वास्तव में हमारी समस्याओं को हल करने के लिए काम कर रहा है।”
एक महिला ग्रामीण सुनीता देवी ने कहा, “यह चकरोड हमारे लिए बहुत जरूरी था। फसल ले जाने और गाँव के अन्य हिस्सों में जाने के लिए यह रास्ता महत्वपूर्ण है। प्रशासन ने हमारी बड़ी समस्या का समाधान कर दिया।”
प्रशासनिक दक्षता का उत्कृष्ट उदाहरण
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि गोंडा प्रशासन जनता की समस्याओं को हल करने में कितनी गंभीरता से काम कर रहा है। एक ही दिन में कार्रवाई कर चकरोड विवाद का समाधान करना प्रशासनिक दक्षता और तत्परता का बेहतरीन उदाहरण है। जिलाधिकारी नेहा शर्मा की प्रतिबद्धता ने न केवल प्रभावित ग्रामीणों को राहत पहुँचाई, बल्कि यह संदेश भी दिया कि गोंडा में अब कोई भी अवैध कार्य नहीं चल सकता।
समस्याओं के त्वरित समाधान का मॉडल
गोंडा प्रशासन की यह त्वरित कार्रवाई एक मॉडल के रूप में उभरकर सामने आई है। जिलाधिकारी के आदेशों के तहत जिस तरह से विभिन्न विभागों ने समन्वय बनाकर कार्य किया, वह अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।
प्रभात भारत विशेष
गोंडा के ग्राम चौहट्टा का यह चकरोड विवाद प्रशासन की प्रतिबद्धता, पारदर्शिता और सक्रियता का जीवंत उदाहरण है। जिलाधिकारी नेहा शर्मा और उनकी टीम ने यह साबित कर दिया कि जब प्रशासनिक मशीनरी संवेदनशील और जिम्मेदार होती है, तो जनता को तुरंत न्याय मिल सकता है। इस कार्रवाई ने गोंडा के लोगों के मन में प्रशासन के प्रति भरोसा बढ़ाया है और यह सुनिश्चित किया है कि उनकी शिकायतें अनसुनी नहीं रहेंगी।