
लखनऊ 28 नवंबर। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के तहत सड़क निर्माण में बड़े स्तर पर अनियमितताएं उजागर हुई हैं। चार नई सड़कों की गुणवत्ता जांच में गंभीर खामियां पाए जाने पर राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए एक अधीक्षण अभियंता (एसई), दो अधिशासी अभियंता (एक्सईएन) और आठ अवर अभियंता (जेई) सहित कुल 16 अभियंताओं को सस्पेंड कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जताते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल और कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
घोटाले का खुलासा
हरदोई में लोक निर्माण विभाग द्वारा हाल ही में बनाई गई चार सड़कों की गुणवत्ता को लेकर स्थानीय स्तर पर शिकायतें मिली थीं। विभाग ने इन सड़कों के नमूने लेकर उन्हें लैब में परीक्षण के लिए भेजा। रिपोर्ट में इन सड़कों के निर्माण में कई गंभीर खामियां सामने आईं:
1. तारकोल की मात्रा मानक से कम: सड़कों पर बिछाई गई सामग्री में तारकोल की कमी पाई गई।
2. गिट्टी और अन्य सामग्री में कमी: उपयोग किए गए निर्माण सामग्री भी गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर रही थी।
3. निर्माण में लापरवाही: निर्माण प्रक्रिया में निर्धारित तकनीकी और गुणवत्ता मानकों का उल्लंघन किया गया।
मुख्यमंत्री का सख्त रुख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को लेकर स्पष्ट निर्देश दिया है कि सड़क निर्माण में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “घटिया निर्माण करने और सरकारी धन का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद लोक निर्माण विभाग ने अन्य जिलों में भी सड़कों की गुणवत्ता की जांच शुरू कर दी है।
जांच के दायरे में अन्य जिले
विभागीय सूत्रों ने बताया कि हरदोई के अलावा नौ अन्य जिलों में भी सड़क निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच की जा रही है। इन जिलों से नमूने लैब में भेजे गए हैं, और रिपोर्ट आने के बाद दोषी पाए गए अभियंताओं और ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन जिलों की जांच रिपोर्ट में भी अनियमितताएं उजागर होती हैं, तो यह घोटाला और भी व्यापक हो सकता है।
लोक निर्माण विभाग में हड़कंप
हरदोई में घोटाले का खुलासा होने के बाद लोक निर्माण विभाग में हड़कंप मच गया है। विभाग के अधिकारी अब अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सतर्क हो गए हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए विभागीय प्रक्रियाओं को और सख्त किया जाएगा।
गुणवत्ता नियंत्रण पर सवाल
हरदोई में हुए इस घोटाले ने लोक निर्माण विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह घटना दर्शाती है कि निर्माण कार्यों की निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण की प्रक्रिया में खामियां हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि निगरानी प्रणाली कमजोर है सड़कों के निर्माण के दौरान गुणवत्ता जांच के लिए मजबूत निगरानी प्रणाली की कमी है। जवाबदेही का अभाव है दोषियों की पहचान और उनके खिलाफ कार्रवाई में देरी से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। पारदर्शिता की कमी है निर्माण परियोजनाओं के टेंडरिंग और कार्यान्वयन में पारदर्शिता की आवश्यकता है।
जनता की नाराजगी और उम्मीदें
हरदोई की जनता इस घोटाले से नाराज है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि गुणवत्ताहीन सड़कों के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है और सार्वजनिक धन की बर्बादी होती है।एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा सरकारी परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की सख्त जरूरत है। मुख्यमंत्री की त्वरित कार्रवाई से उम्मीद बंधी है कि दोषियों को सजा मिलेगी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है। हरदोई सड़क घोटाले के खिलाफ की गई यह कार्रवाई इस नीति को प्रतिबिंबित करती है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में किसी भी परियोजना में लापरवाही या भ्रष्टाचार पाए जाने पर त्वरित और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विभाग की चुनौतियां और सुधार की जरूरत
इस घोटाले ने लोक निर्माण विभाग के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। विभाग को अपनी प्रक्रियाओं में निम्नलिखित सुधार लाने की आवश्यकता है:
1. सख्त निगरानी और निरीक्षण:
निर्माण परियोजनाओं की नियमित निगरानी और गुणवत्ता निरीक्षण के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी की नियुक्ति होनी चाहिए।
2. अभियंताओं की जवाबदेही तय करना:
अभियंताओं और ठेकेदारों की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक मजबूत प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।
3. पारदर्शिता बढ़ाना:
निर्माण कार्यों से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को जनता के लिए पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।
4. प्रशिक्षण कार्यक्रम:
अभियंताओं और अधिकारियों को गुणवत्तापूर्ण निर्माण और नई तकनीकों के उपयोग पर नियमित प्रशिक्षण देना चाहिए।
प्रभात भारत विशेष
हरदोई में सड़क निर्माण घोटाला उत्तर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग की कार्यशैली पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की त्वरित कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि सरकार भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ सख्त है।
यदि अन्य जिलों में भी जांच के दौरान खामियां पाई जाती हैं, तो यह घोटाला और अधिक व्यापक हो सकता है। ऐसे में यह जरूरी है कि लोक निर्माण विभाग अपने कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करे।
इस घटना से सरकार और विभाग को यह सीख लेनी चाहिए कि भविष्य में इस तरह की लापरवाहियों को रोकने के लिए सख्त नियम और प्रक्रियाएं लागू करनी होंगी।