गोंडा, 28 नवंबर। जिलाधिकारी नेहा शर्मा के नेतृत्व में प्रशासन ने एक बार फिर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई का उदाहरण प्रस्तुत किया। बुधवार को करनैलगंज तहसील के अंतर्गत मौजा-जगतापुर, परगना-पहाड़ापुर की एक महिला द्वारा आवासीय पट्टे पर हुए अवैध कब्जे की शिकायत करने के बाद मात्र आठ घंटे के भीतर जमीन का कब्जा पुनः दिला दिया गया। प्रशासन की इस सक्रियता से न केवल पीड़िता को न्याय मिला बल्कि जनता में प्रशासनिक प्रणाली के प्रति विश्वास भी बढ़ा।
शिकायत और प्रशासन की तत्परता
महिला ने जनता दर्शन कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी से शिकायत की थी कि उन्हें अप्रैल 2023 में एक आवासीय पट्टा आवंटित किया गया था, लेकिन गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने इस पर जबरन कब्जा कर लिया है। पीड़िता ने बताया कि जब उसने कब्जा हटाने का प्रयास किया तो उसे धमकियां दी गईं और गाली-गलौज का सामना करना पड़ा।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल करनैलगंज के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) और तहसीलदार को मौके पर भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की शिकायतों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
प्रशासनिक टीम का त्वरित एक्शन
जिलाधिकारी के निर्देश मिलते ही प्रशासनिक अमला हरकत में आ गया। बुधवार सुबह शिकायत दर्ज होने के बाद तहसील प्रशासन ने तुरंत मौके पर पहुंचकर जांच की। जांच में पाया गया कि महिला की शिकायत सही थी और उसकी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया था।
तहसीलदार और पुलिस बल की मौजूदगी में शाम तक अवैध कब्जा हटवाकर जमीन पीड़िता को सौंप दी गई। इस दौरान किसी प्रकार की अप्रिय घटना को रोकने के लिए स्थानीय पुलिस ने इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखी।
डीएम नेहा शर्मा का बयान
इस त्वरित कार्रवाई के बाद जिलाधिकारी ने कहा, “प्रत्येक शिकायत का निष्पक्ष और त्वरित समाधान प्रशासन की प्राथमिकता है। अवैध कब्जा करने वाले और कानून व्यवस्था को बाधित करने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे। हम सुनिश्चित करेंगे कि जनपद में हर नागरिक को न्याय मिले।
जनता की प्रतिक्रिया
महिला को उनकी जमीन वापस मिलने के बाद उनकी आंखों में खुशी और संतोष झलक रहा था। उन्होंने जिलाधिकारी और प्रशासनिक टीम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मैं पिछले डेढ़ साल से इस जमीन को पाने के लिए संघर्ष कर रही थी। जिलाधिकारी मैडम की तत्परता ने मुझे न्याय दिलाया।”
क्षेत्र के अन्य नागरिकों ने भी प्रशासन की इस तत्परता की सराहना की। स्थानीय लोगों का कहना है कि डीएम नेहा शर्मा के कार्यकाल में जनसुनवाई और त्वरित न्याय सुनिश्चित हुआ है। एक ग्रामीण ने कहा, “ऐसे मामलों में अक्सर कार्रवाई लंबी खिंच जाती है, लेकिन जिलाधिकारी के सख्त निर्देशों से यह मामला कुछ ही घंटों में सुलझ गया। यह प्रशासनिक संवेदनशीलता का उदाहरण है।”
प्रशासनिक संवेदनशीलता का प्रभाव
जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा की गई इस कार्रवाई ने गोंडा में प्रशासनिक व्यवस्था को नई पहचान दी है। जनता दर्शन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से जन समस्याओं का समाधान तेजी से किया जा रहा है।
इस घटना ने यह भी दर्शाया कि जिला प्रशासन न केवल अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए तत्पर है बल्कि जरूरतमंदों को समय पर न्याय दिलाने के लिए भी प्रतिबद्ध है। डीएम ने यह भी सुनिश्चित किया कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों, इसके लिए सख्त निगरानी रखी जाएगी।
प्रभात भारत विशेष
जिलाधिकारी नेहा शर्मा की इस कार्रवाई ने गोंडा जिले में प्रशासनिक प्रणाली की ताकत और संवेदनशीलता को रेखांकित किया है। अवैध कब्जों के खिलाफ उनकी सख्त नीति और त्वरित न्याय दिलाने की तत्परता ने यह साबित कर दिया है कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति से जनहित के कार्यों को प्राथमिकता दी जा सकती है।
इस घटना ने न केवल एक महिला को न्याय दिलाया बल्कि प्रशासन और जनता के बीच विश्वास को भी मजबूत किया। डीएम नेहा शर्मा की यह पहल अन्य जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकती है।

