नोएडा/लखनऊ, 27 नवंबर। राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने विकसित भारत के निर्माण के लिए संविधान के अनुपालन को अत्यावश्यक बताया। उन्होंने यह विचार गौतमबुद्ध नगर के नोएडा स्थित गलगोटिया यूनिवर्सिटी में आयोजित उत्तरीय क्षेत्र सम्मेलन (अन्वेशन) 2024 में व्यक्त किए। इस सम्मेलन में देश के 45 विश्वविद्यालयों से हजारों की संख्या में आए छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
डॉ. शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 2015 से हर वर्ष संविधान दिवस मनाने की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि संविधान का निर्माण कार्य स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व ही प्रारंभ हो चुका था और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। डॉ. शर्मा ने कहा कि संविधान न केवल हमारे अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह कर्तव्यों की भी व्याख्या करता है। इसे समझना और इसका अनुपालन करना हर नागरिक का दायित्व है।
संविधान की भूमिका और बच्चों का शिक्षण
डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि बच्चों को पठन-पाठन के साथ-साथ देश में हो रही गतिविधियों की जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक सशक्त लोकतंत्र तभी संभव है, जब नई पीढ़ी संविधान और उसके महत्व को समझे। उन्होंने इस संदर्भ में शिक्षकों और अभिभावकों को जिम्मेदारी लेने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, “बच्चों में सीखने की आदत डालनी चाहिए। शिक्षा केवल अंक प्राप्त करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह विद्यार्थियों के व्यक्तित्व और विचारधारा को भी गढ़ती है। एक अच्छा विद्यार्थी वही है, जो सीखने के प्रति भूखा हो और वर्तमान से संतुष्ट रहते हुए भविष्य को संवारने का चिंतन करे।”
वर्तमान से संतुष्टि सफलता का आधार
डॉ. शर्मा ने कहा कि वर्तमान से संतुष्टि ही जीवन में सफलता और खुशहाली का आधार है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा, “अतीत से सीख लें, वर्तमान को बेहतर बनाएं और भविष्य के लिए चिंतनशील रहें। सफलता और प्रगति का यही मंत्र है।”
उन्होंने कहा कि भारत ने लालटेन युग से आधुनिक युग तक की यात्रा की है। यह हमारे पूर्वजों की मेहनत और त्याग का परिणाम है। “आज हमारे वैज्ञानिक, इंजीनियर और शोधकर्ता दुनिया में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रहे हैं। यह बदलाव आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव का संकेत है।”
देश में बदलाव की कहानी
डॉ. शर्मा ने देश में हुए बदलावों की चर्चा करते हुए कहा, “पहले बिजली का आना खबर होती थी, लेकिन अब बिजली का जाना खबर बनती है। यह बदलाव देश के मजबूत नेतृत्व और सटीक योजनाओं का परिणाम है।”
उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान भारत की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा, “जब पूरी दुनिया महामारी से कराह रही थी, तब भारत ने तीन-तीन स्वदेशी वैक्सीन बनाईं। ये वैक्सीन न केवल भारत के लिए बल्कि 120 अन्य देशों के लिए भी जीवनदायिनी साबित हुईं। यहां तक कि अमेरिका जैसी महाशक्ति को भी भारत से सहायता मांगनी पड़ी। यह हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”
जनधन खाते और डिजिटल क्रांति
डॉ. शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि जनधन खाते आम जनता के सुनहरे भविष्य की कुंजी बने हैं। उन्होंने कहा, “एक समय ऐसा था, जब सरकारी सहायता में 100 रुपये में से केवल 15 रुपये ही लाभार्थी तक पहुंचते थे। लेकिन आज डिजिटल इंडिया और जनधन खातों के माध्यम से सहायता सीधे लोगों के खाते में पहुँच रही है। यह पारदर्शिता और तकनीकी नवाचार का परिणाम है।”
उन्होंने डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने उम्मीदों को हकीकत में बदला है। आज डिजिटल माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ तत्काल मिल रहा है।
तकनीक और शोध का महत्व
डॉ. शर्मा ने कहा कि जीवन को उत्तम बनाने के लिए तकनीक का उपयोग जरूरी है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शोध गंगा पोर्टल की शुरुआत का उल्लेख करते हुए कहा, “यह पोर्टल तकनीकी और शोध के क्षेत्र में नई जानकारियां साझा करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। कोरोना काल ने ऑनलाइन शिक्षा की संभावनाओं को बढ़ावा दिया और डिजिटल लाइब्रेरी ने ज्ञान के प्रवाह को बनाए रखा।”
उन्होंने कहा कि भारतीय छात्रों की मेधा शक्ति का आज दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है। पहले जहां भारतीय छात्र विदेशों में शिक्षा के लिए जाते थे, वहीं आज विदेशी छात्र भारत में पढ़ाई करने आ रहे हैं। यह बदलते भारत की ताकत और वैश्विक स्तर पर उसकी बढ़ती साख का प्रमाण है।
भारतीय संस्कृति और मूल्यों की आवश्यकता
डॉ. शर्मा ने भारतीय संस्कृति और मूल्यों पर जोर देते हुए कहा, “भारत की पहचान उसकी संस्कृति से होती है, जो परिवार और समाज आधारित है। इसके विपरीत, विदेशी संस्कृति बाजार आधारित है, जहां हर चीज बिकाऊ है। हमें अपनी संस्कृति और मूल्यों को बचाकर रखना होगा। सम्मान हमेशा व्यक्ति के गुणों का होता है, न कि उसकी स्थिति या संपत्ति का।”
उत्तर प्रदेश: निवेश और विकास का केंद्र
उत्तर प्रदेश के विकास का उल्लेख करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा, “आज उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक निवेश आकर्षित कर रहा है। प्रदेश में सबसे बड़ा डेटा सेंटर और मोबाइल निर्माण का केंद्र स्थापित हुआ है। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश की प्रगति का उदाहरण है।”
उन्होंने कहा कि प्रदेश में शोध और तकनीकी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। “उत्तर प्रदेश आज शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित कर रहा है।”
उच्च शिक्षा में शोध का महत्व
डॉ. शर्मा ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी संस्थान की पहचान वहां किए गए शोध से होती है। उन्होंने कहा, “गलगोटिया यूनिवर्सिटी ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। आज यहां 35,000 से अधिक छात्र अध्ययन कर रहे हैं। विश्वविद्यालयों में शोध और नवाचार को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि देश के प्रतिभावान छात्रों को अपने सपनों को साकार करने का मौका मिल सके।”
सम्मेलन में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
इस अवसर पर कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित थे। इनमें वैज्ञानिक और डी.आई.बी.ई.आर. के निदेशक डॉ. देवकांत सिंह, ए.आई.यू. के महासचिव डॉ. पंकज मित्तल, संयुक्त निदेशक डॉ. अमरेंद्र पाणी, गलगोटिया विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुनील गलगोटिया, विशेष कार्य अधिकारी डॉ. ध्रुव गलगोटिया, कुलपति डॉ. के.एम. बाबू, प्रोफेसर डॉ. अवधेश कुमार, और रजिस्ट्रार डॉ. नितिन कुमार कौर शामिल थे।
डॉ. दिनेश शर्मा ने अपने समापन भाषण में छात्रों को सीखने और नवाचार को जीवन का हिस्सा बनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “संविधान का अनुपालन, तकनीकी नवाचार, शोध और भारतीय मूल्यों का संरक्षण भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।”
उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे अपने गुणों से देश का नाम रोशन करें और भारतीय संस्कृति को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाएं। इस सम्मेलन ने उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने की दिशा में एक मजबूत आधार तैयार किया है।

