
गोंडा में नई पहल, 2024 में वृक्षारोपण में लगाए गए पेड़ की होगी जियो- टैगिंग, जिला गंगा एवं पर्यावरण समिति की बैठक सम्पन्न: डीएम ने दिए पर्यावरण संरक्षण पर सख्त निर्देश
गोंडा, 26 नवंबर। जिले में पर्यावरण संरक्षण और गंगा पुनर्जीवन के लक्ष्य को लेकर मंगलवार को जिला गंगा समिति और पर्यावरणीय समिति की बैठक जिलाधिकारी नेहा शर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2024 में किए गए वृक्षारोपण की समीक्षा और वेटलैंड संरक्षण के प्रयासों को मजबूती देना था। कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित इस बैठक में जिलाधिकारी ने सभी विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि वृक्षारोपण के तहत लगाए गए पौधों की शत-प्रतिशत जियो-टैगिंग सुनिश्चित की जाए।
वृक्षारोपण के लक्ष्यों की समीक्षा
जिलाधिकारी ने बैठक के दौरान वर्ष 2024 में जिले में हुए वृक्षारोपण की गहन समीक्षा की। उन्होंने कहा कि पौधारोपण केवल संख्या बढ़ाने का कार्य नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि लगाए गए पौधे जीवित रहें और विकसित हों। इसके लिए जियो-टैगिंग जैसे उपाय अत्यंत आवश्यक हैं।
जिलाधिकारी ने कहा कि सभी विभाग यह सुनिश्चित करें कि वृक्षारोपण के सापेक्ष 100% जियो-टैगिंग हो। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जियो-टैगिंग के माध्यम से न केवल पौधों की स्थिति की निगरानी की जाएगी, बल्कि भविष्य में उनकी देखभाल के लिए भी ठोस कदम उठाए जा सकेंगे। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि जिन क्षेत्रों में पौधे नष्ट हो चुके हैं, वहां दोबारा पौधारोपण किया जाए।
वेटलैंड संरक्षण पर विशेष जोर
बैठक में वेटलैंड (आर्द्रभूमि) संरक्षण के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई। जिलाधिकारी ने कहा कि जिले में मौजूद वेटलैंड्स को अतिक्रमण और जलकुंभी से मुक्त करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि जिन वेटलैंड्स की स्थिति खराब हो चुकी है, उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाएं।
जिलाधिकारी ने कहा आर्द्रभूमि केवल जल संसाधनों का भंडार नहीं हैं, बल्कि यह जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन के लिए भी बेहद जरूरी हैं। उनका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है,”
जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वेटलैंड की स्थिति पर नियमित रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इसके अलावा, मत्स्य विभाग, कृषि विभाग, और एनआरएलएम विभाग को आपसी समन्वय से जलकुंभी का समाधान निकालने के लिए कहा गया।
अधिकारियों को सौंपे गए दायित्व
बैठक के दौरान डीएम ने विभागीय अधिकारियों को उनके कार्य और दायित्व स्पष्ट किए।
1. जियो-टैगिंग की अनिवार्यता: सभी विभाग अपने-अपने विभागीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण की जियो-टैगिंग पूरी करें।
2. पौधों का संरक्षण: लगाए गए पौधों की नियमित देखभाल सुनिश्चित की जाए।
3. वेटलैंड पुनर्जीवन: वेटलैंड को जलकुंभी और अतिक्रमण से मुक्त किया जाए।
4. सहयोगात्मक कार्य: मत्स्य, कृषि, और एनआरएलएम विभाग आपसी समन्वय से कार्य करते हुए जलकुंभी का निस्तारण करें।
संबंधित विभागों की सहभागिता
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी अंकिता जैन, प्रभागीय वनाधिकारी, डीसी मनरेगा, खनन अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, पीडब्ल्यूडी विभाग, विद्युत विभाग, स्वास्थ्य विभाग, नगर पालिका और नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। सभी अधिकारियों ने अपने विभाग की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की और आने वाले महीनों के लिए अपनी कार्य योजना साझा की।
जिलाधिकारी का सख्त रुख
जिलाधिकारी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और गंगा पुनर्जीवन के कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने सभी अधिकारियों को समयबद्ध तरीके से कार्य पूरा करने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने कहा कि यदि कोई भी विभाग अपने लक्ष्यों को समय पर पूरा करने में विफल रहता है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, “पर्यावरण संरक्षण न केवल शासन की प्राथमिकता है, बल्कि यह हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी भी है। यह कार्य केवल कागजों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसका प्रभाव जमीनी स्तर पर दिखना चाहिए।”
सकारात्मक बदलाव की उम्मीद
बैठक के बाद कई अधिकारियों ने जिलाधिकारी के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि डीएम के निर्देशों से जिले में पर्यावरण संरक्षण के कार्यों को नई दिशा मिलेगी।
मुख्य विकास अधिकारी अंकिता जैन ने कहा, “जिले में पर्यावरणीय परियोजनाओं को सफल बनाने के लिए सभी विभाग मिलकर कार्य कर रहे हैं। डीएम के सख्त निर्देशों के बाद हम सुनिश्चित करेंगे कि सभी कार्य समय पर और गुणवत्ता के साथ पूरे हों।”
जनता की भागीदारी को बढ़ावा
जिलाधिकारी ने बैठक में यह भी सुझाव दिया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जनभागीदारी बढ़ाने के प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण और वेटलैंड संरक्षण जैसे कार्यों में जनता की भागीदारी से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों, और सामाजिक संगठनों को जोड़ा जाए।
“पर्यावरण संरक्षण एक सामूहिक प्रयास है। जब तक जनता इसमें सक्रिय भाग नहीं लेगी, तब तक इसका दीर्घकालिक प्रभाव संभव नहीं है,”
जिला पर्यावरण समिति और जिला गंगा समिति की इस बैठक ने जिले के पर्यावरणीय लक्ष्यों को लेकर नई उम्मीदें जगाई हैं। जिलाधिकारी नेहा शर्मा की सख्ती और नेतृत्व ने यह सुनिश्चित किया है कि जिले में पर्यावरण संरक्षण के कार्य केवल कागजों तक सीमित न रहें, बल्कि जमीनी स्तर पर दिखें।
जिले में वृक्षारोपण, वेटलैंड पुनर्जीवन, और जलकुंभी निस्तारण के कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है। जनता और प्रशासन के सामूहिक प्रयासों से गोंडा जिले में पर्यावरण संरक्षण को लेकर सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।